बुद्ध का बताया हुआ यही रास्ता है, जो कि निर्वाण तक पहुंचने के लिए है, जहां ना दुख है.. ना सुख है..
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5 سال پیش
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#निर्वाण तक
#निर्वाण तक पहुँचने के तीन सरलतम मार्ग हैं। पहला आष्टांग योग, दूसरा जिन त्रिरत्न और तीसरा आष्टांगिक मार्ग। हम यहाँ आष्टांगिक मार्ग के बारे में जानने का प्रयास करते हैं। बौद्ध धर्म मानता है कि यदि आप अभ्यास और जाग्रति के प्रति समर्पित नहीं हैं तो कहीं भी पहुँच नहीं सकते हैं।
#आष्टांगिक_मार्ग सर्वश्रेष्ठ इसलिए है कि यह हर दृष्टि से जीवन को शांतिपूर्ण और आनंदमय बनाता है। बुद्ध ने इस दुःख निरोध प्रतिपद आष्टांगिक मार्ग को 'मध्यमा प्रतिपद' या मध्यम मार्ग की संज्ञा दी है। अर्थात जीवन में संतुलन ही मध्यम मार्ग पर चलना है।....भंते अशोक शाक्य
दुखे दिल तो नैन भी रोता है ,
लूटे बहार तो चमन भी रोता है ,
और समझ ना पाए जो व्यक्ति ,
मनुष्य योनि में आकर बुद्ध के विचारो को ....
लीपटकर उससे कफ़न भी रोता है !!!!....भंते अशोक शाक्य
आर्याष्टांगमार्ग: सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वचन, सम्यक् कर्म, सम्यक् आजीविका, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति और सम्यक् समाधि।
सिरपुर 2nd अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव में भंते जी का जबरदस्त भाषण...
भंते जी की ये स्पीच एक बार जरूर सुने ,देखें और शेयर जरुर करे ।।
#आष्टांगिक_मार्ग सर्वश्रेष्ठ इसलिए है कि यह हर दृष्टि से जीवन को शांतिपूर्ण और आनंदमय बनाता है। बुद्ध ने इस दुःख निरोध प्रतिपद आष्टांगिक मार्ग को 'मध्यमा प्रतिपद' या मध्यम मार्ग की संज्ञा दी है। अर्थात जीवन में संतुलन ही मध्यम मार्ग पर चलना है।....भंते अशोक शाक्य
दुखे दिल तो नैन भी रोता है ,
लूटे बहार तो चमन भी रोता है ,
और समझ ना पाए जो व्यक्ति ,
मनुष्य योनि में आकर बुद्ध के विचारो को ....
लीपटकर उससे कफ़न भी रोता है !!!!....भंते अशोक शाक्य
आर्याष्टांगमार्ग: सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वचन, सम्यक् कर्म, सम्यक् आजीविका, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति और सम्यक् समाधि।
सिरपुर 2nd अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव में भंते जी का जबरदस्त भाषण...
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5 سال پیش
در تاریخ 1397/11/26 منتشر شده
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