अनित्य दुख समुदाय निरोध बौद्ध धर्म के अनुसार Impermanence, Suffering, Craving, Cessation In Buddhism

Tathagat TV
Tathagat TV
4.6 هزار بار بازدید - 4 سال پیش - थार्थवादी बुद्ध ने जीवन के
थार्थवादी बुद्ध ने जीवन के ठोस तथ्यों को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया. यद्यपि उनके उपदेशों में विवेचन मिलता है. ऐसा करना संभवतः कर्म सिद्धान्त की स्वीकृति हेतु अपेक्षित था, तथापि बुद्ध जिस वस्तु के विषय में प्रत्यक्ष रूप से ज्ञान न हो उसका बहिष्कार करना उचित समझते थे. उन्होंने वेद प्रमाण्य एवं यज्ञ प्रक्रिया को भी अस्वीकार किया अर्थात् वे प्रत्यक्ष एवं तर्क के दायरे के बाहर किसी भी तथ्य की स्वीकृति के लिए सहमत नहीं थे. इस दृष्टि से बुद्ध को प्रयोजनवादी भी कहा जाता है, क्योंकि उनके उपदेश उन्हीं विषयों से सम्बद्ध थे जिन्हें मानव कल्याण के लिए आवश्यक समझा गया. महात्मा बुद्ध ने लोक, जीव, परमात्मा, आत्मा सृष्टि सम्बन्धी अनेक विवादों को अप्रयोज्य मानते हुए दस अकथनीय सिद्धान्तों का विवेचन किया. लोक से सम्बन्धित तथ्य है- क्या लोक नित्य है; अनित्य है, शान्त है, अनन्त है? इसी प्रकार जीव से सम्बद्ध तथ्य है- क्या जीव एवं शरीर एक हैं अथवा- भिन्न हैं, क्या मृत्यु के बाद तथागत होते हैं या नहीं होते हैं? वस्तुतः बौद्ध में आदर्शवाद एवं यथार्थवाद का व्यवहारपरक संयोजन देखा जाता है. बुद्ध जीवन को दु:खमय पाया. अत: उससे बचना आवश्यक है साथ ही दु:ख से बचने के उपायों की चर्चा की. किन्तु बुद्ध के उपदेशों को दु:खवादी कहने का तात्पर्य यह नहीं कि वे निराशावाद की ओर उन्मुख करने वाले हैं क्योंकि अहत् की अवस्था इस लोक एवं जीवन में शान्ति की संभावना को स्वीकार करती है.

Buddhists find it neither optimistic nor pessimistic, but realistic .
भगवान बुद्ध द्वारा प्रवर्तित होने पर भी बौद्ध दर्शन कोई एक दर्शन नहीं, अपितु दर्शनों का समूह है। विभिन्न दार्शनिक मुद्दों पर उनमें परस्पर मतभेद भी है। कोई परमाणुवादी हैं तो कोई परमाणु की सत्ता नहीं मानते। कोई साकार ज्ञानवादी हैं तो कोई निराकार ज्ञानवादी। कुछ बातों में विचारसाम्य होने पर भी मतभेद अधिक हैं। शब्दसाम्य होने पर भी अर्थभेद अधिक हैं। अनेक शाखोपशाखाओं के होने पर भी दार्शनिक मान्यताओं के साम्य की दृष्टि से बौद्ध विचारों का चार विभागों में वर्गीकरण किया गया है, यथा-
वैभाषिक,
सौत्रान्तिक,
योगाचार (विज्ञानवाद) और
माध्यमिक (शून्यवाद)।
दार्शनिक मन्तव्यों को समझने से पहले भगवान बुद्ध की उन सामान्य शिक्षाओं की चर्चा करना चाहते हैं, जो सभी चारों दार्शनिक प्रस्थानों में समानरूप से मान्य हैं, यद्यपि उनकी व्याख्या में मतभेद हैं।

बुद्ध में अनन्तानन्त गुण होते हैं। उन्हें चार भागों में वर्गीकृत किया जाता है, यथा-

काय गुण,
वाग-गुण,
चित्त गुण एवं
कर्म गुण।
काय-गुण— 32 महापुरुषलक्षण एवं 80 अनुव्यजंन बुद्ध के कायगुण हैं। उनमें से प्रत्येक यहाँ तक कि प्रत्येक रोम भी सभी ज्ञेयों का साक्षात दर्शन कर सकता है। बुद्ध विश्व के अनेक ब्रह्याण्डों में एक-साथ कायिक लीलाओं का प्रदर्शन कर सकते हैं। इन लीलाओं द्वारा वे विनेयजनों को सन्मार्ग में प्रतिष्ठित करते हैं।
वाग-गुण— बुद्ध की वाणी स्निग्ध वाक्, मृदुवाक, मनोज्ञवाक्, मनोरम वाक्, आदि कहलाती है। इस प्रकार बुद्ध की वाणी के 64 अंग होते हैं, जिन्हें 'ब्रह्मस्वर' भी कहते हैं। ये सब बुद्ध के वाग्-गुण हैं।
चित्त-गुण— बुद्ध के चित्त-गुण ज्ञानगत भी होते हैं और करुणागत भी। कुछ गुण साधारण भी होते हैं, जो श्रावक और प्रत्येकबुद्ध में भी होते हैं। कुछ गुण असाधारण होते हैं, जो केवल बुद्ध में ही होते हैं। दश बल, चतुवैशारद्य, तीन असम्भिन्न स्मृत्युपस्थान, तीन अगुप्त नास्ति मुषितस्मृतिता, सम्यक् प्रतिहतवासनत्व, महाकरुणा, अष्टादश आवेणिक गुण आदि बुद्ध के ज्ञानगत गुण हैं। दु:खी सत्त्वों को देखकर बुद्ध की महाकरुणा अनायास स्वत: प्रवृत्त होने लगती है। महाकरुणा के इस अजस्र प्रवाह से जगत का अविच्छिन्न रूप से कल्याण होता रहता है। यह उनका करुणागत गुण है।
कर्म-गुण— ये दो प्रकार के होते हैं, यथा-
निराभोग कर्म और
अविच्छिन्न कर्म।
निराभोग कर्म से तात्पर्य उन कर्मों से है, जो बिना प्रयत्न या संकल्प के सूर्य से प्रकाश की भांति स्वत: अपने-आप प्रवृत्त होते हैं।
बुद्ध के कर्म बिना कालिक अन्तराल के लगातार सर्वदा प्रवृत्त होते रहते हैं, अत: ये अविच्छिन्न कर्म कहलाते हैं।

#Buddha_stories
#Buddha_Dhammapada
#Buddhism_in_Hindi
#Buddhism_Literature
#Buddha_Motivational_speech
#Buddha_inspirational_quotes
#Buddha_positive_attitude
#Buddha_New_Life
#Buddha_Motivational_quotes
#Buddha_Positive_quotes  
#Buddha_Best_quotes  
#Buddha_Success_quotes  
#Buddha_Good_quotes  
#Buddha_Positive_life_quote  
#Buddha_Meditation
#Buddha_Hindi_stories
#Buddhist_literature_tripitaka
#Essential_Buddhist_texts
#Buddhism
#Buddhist_sutras
#Buddhist_literature_in_Hindi
 
Contact information :
[email protected]
http://www.tathagat.tv/
4 سال پیش در تاریخ 1399/03/18 منتشر شده است.
4,654 بـار بازدید شده
... بیشتر