Darul uloom Deoband bharat ki sabse khubsurat masjid..@MoAsifVloge87

Mo Asif Vloge87
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57 بار بازدید - ماه قبل - ताज महल से भी ज्यादा
ताज महल से भी ज्यादा खूबसूरत है देवबंद की यह मस्जिद, एक बार देखेंगे तो देखते रह जाएंगे, जानिए क्या है
विश्व प्रख्यात मस्जिद रशीद के निर्माण में जहां मजबूती को अव्वल दर्जा दिया गया है। वहीं मस्जिद को खूबसूरत बनाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की गई है। मस्जिद के निर्माण में मजबूती के साथ-साथ बारीक से बारीक खूबसूरती को ध्यान में रखा गया है। मस्जिद रशीद आजादी के बाद हिंदुस्तान में बनाई गई सभी मस्जिदों में सबसे भव्य, मजबूत और खूबसूरत है, जिसकी न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी खूब चर्चा है। इसके चलते मस्जिद रशीद को निहारने के लिए भारी संख्या में टूरिस्ट यहां पहुंचते है।



विश्व प्रसिद्ध मस्जिद रशीद की आधारशिला रखने का निर्णय दारुल उलूम देवबंद में सन् 1987 में आयोजित मजलिस-ए-शुरा की बैठक में लिया गया। इस भव्य मस्जिद के निर्माण के लिए 25 लाख रुपए का बजट उस समय पास किया गया, जो कि अब से 25 साल पहले एक बहुत बड़ी रकम थी। मस्जिद का नाम मशहूर आलिमे दीन मौलाना अब्दुल रशीद अहमद गंगोही के नाम पर मस्जिद रशीद रखा गया। इसके बाद सन् 1988 में हजरत मौलाना अब्दुल रशीद रह. उर्फ नन्नू मियां, मुफ्ती-ए-आजम हजरत मौलाना मुफ्ती महमूद हसन रह. जानशीन शेखुल हदीस हजरत मौलाना मोहम्मद तलहा सहित अन्य शुरा सदस्यों के हाथों से मस्जिद की आधारशिला रखी गई। मस्जिद को ओर अधिक भव्य रूप देने के उद्देश्य से शुरा द्वारा दो साल बाद मस्जिद के लिए पारित 25 लाख रुपये के बजट को बढ़ाकर 65 लाख रुपये कर दिया गया। शुरू में मस्जिद का क्षेत्रफल मौजूदा क्षेत्रफल से काफी छोटा था परंतु जैसे-जैसे निर्माण होता गया वैसे-वैसे लोगों की भरपूर मदद से इसके क्षेत्रफल को बढ़ाते हुए इसका बजट भी 25 से बढ़ाकर 65 लाख कर दिया गया। इसके बाद क्षेत्रफल बढ़ने के साथ-साथ ही इस मस्जिद के निर्माण का बजट बढ़ता गया और वर्तमान में यह बजट करोड़ों रुपये है और अब भी मस्जिद में निर्माण का छिटपुट कार्य चलता रहता है।


इस विश्व प्रसिद्ध मस्जिद रशीद का मुख्य द्वार 102 फीट चैड़ा और 50 फीट ऊंचा बनाया गया है। 102 फीट चैड़े इस मुख्य द्वार में मस्जिद के अंदर प्रवेश करने के लिए पांच दरवाजें बनाए गए हैं, जिसमें से मध्य में स्थित बड़े द्वार की चैड़ाई 20 फीट है। मस्जिद के द्वार के बाद एक बड़ा सेहन है, जिसकी लंबाई 180 फीट और चैड़ाई 128 फीट है। सेहन के चारों ओर 16 फुट चैड़ा जालियों और पत्थरों से बना हुआ बरामदा है। इसके उत्तर और दक्षिण छोर पर एक-एक प्रवेश द्वार है तथा सेहन के बिल्कुल सामने मस्जिद की आलीशान तीन मंजिला इमारत शान से सिर उठाए खड़ी है।


इस तीन मंजिला इमारत के बिल्कुल बीचो-बीच एक बेहद खूबसूरत व भव्य गुंबद बनाया गया है जिसकी चैड़ाई 60 गुणा 60 फीट और ऊंचाई 120 फीट है जिसके भीतर कम से कम 200 लोग आराम से नमाज अदा कर सकते है। मस्जिद के दोनों छोर पर दो भव्य व गगनचुंबी आलीशान मीनार बनाए गए है। आधुनिक तकनीक से बनाए गए इन मीनारों के बीच में खूबसूरत अंदाज की सीढियां बनाई गई है जो कि मीनार के अंत तक पहुंचती है। मस्जिद के नीचे नमाजियों की सुविधा के लिए एक भव्य तहखाना बनाया गया है तथा मस्जिद के मुख्य द्वार से दोनों ओर से तहखाने को जोड़ने के लिए जमीन के भीतर से रास्ता भी बनाया गया है जिसमें छात्रों के रहने के लिए कमरे भी बनाए गए है जिसके चलते मस्जिद के नीचे दारुल उलूम में पढ़ने वाले छात्रों की एक बड़ी बस्ती आबाद है।
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ماه قبل در تاریخ 1403/03/13 منتشر شده است.
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