Alai Darwaza: The Gate of Alauddin Khilji.अलाई दरवाजा: अलाउद्दीन खिलजी का द्वार @MoAsifVloge87
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3 ماه پیش
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1311 में खिलजी वंश के
1311 में खिलजी वंश के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी द्वारा ने कुतुब-ए-इस्लाम परिसर में अलाई दरवाजा को बनवाया था। इसे पहला भारतीय स्मारक माना जाता है, जिसका निर्माण इस्लामी शैली में किया गया था। अपनी सुंदर नक्काशी और शिलालेख पट्टियों के साथ, इसे इस्लामी वास्तुकला के सबसे कीमती इमारतों में से एक माना जाता है।
अलाई दरवाजा सफेद संगमरमर के साथ लाल बलुआ पत्थर से बना है। ये दरावाजा कुतुब मीनार के सामने का मेहराब घोड़े की नाल के आकार का है, जो भारत में पहली बार बनाया गया था। इस पर तुर्की शैली से नक्काशी की गई है, जबकि खिड़कियों में संगमरमर की जाली हैं। सतह की सजावट में आपस में गुंथे हुए फूल टेंड्रिल होते हैं और इसे तीन दरवाजों पर एक जैसा डिजाइन किया गया है। इसके अलावा दरवाजे पर अरबी भाषा में लिखावट भी है। इसके अलावा दरवाजे में एक गुंबद है। गुंबद के बाहरी हिस्से पर प्लास्टर सामग्री का उपयोग किया है। अलाई दरवाजे के चारों ओर सुंदर संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर की सुंदर नक्काशी की गई है। अलाई दरवाजे को बनाना आसान नहीं था। इसकी लंबाई 17 मीटर और चौड़ाई करीब 10 मीटर है। अलाई दरवाजा करीब तीन मीटर मोटा है।
ऐसा कहा जाता है कि खिलजी ने कुतुब-ए-इस्लाम मस्जिद के चारों और ऐसे दरवाजे बनाने का प्लान बनाया था। लेकिन 1316 में खिलजी की मौत हो गई और केवल एक ही अलाई दरवाजा बन पाया। अलाई दरवाजे को कमल की कलियों की डिजाइन में बनाया गया है। ये कुवैत-उल-इस्लाम मस्जिद से जोड़ते हैं। मस्जिद में जाने के लिए इसे एंट्री गेट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। अगर अलाई दरवाजा की वास्तुकला देखे तो उसमे एक ही हॉल की लंबाई 35 फीट और चौड़ाई 56.5 फीट है। उसकी छत की छत की ऊंचाई 47 फीट है। पूर्व, पश्चिम और दक्षिण दिशा में दरवाजे के तीन नुकीले कोने हैं। जो घोड़े की नाल के आकार में बने हैं। इसे भारत में निर्मित पहला गुंबद माना जाता है।
#Allauddinkhilji
#Alidarwazakanhabprh
अलाई दरवाजा सफेद संगमरमर के साथ लाल बलुआ पत्थर से बना है। ये दरावाजा कुतुब मीनार के सामने का मेहराब घोड़े की नाल के आकार का है, जो भारत में पहली बार बनाया गया था। इस पर तुर्की शैली से नक्काशी की गई है, जबकि खिड़कियों में संगमरमर की जाली हैं। सतह की सजावट में आपस में गुंथे हुए फूल टेंड्रिल होते हैं और इसे तीन दरवाजों पर एक जैसा डिजाइन किया गया है। इसके अलावा दरवाजे पर अरबी भाषा में लिखावट भी है। इसके अलावा दरवाजे में एक गुंबद है। गुंबद के बाहरी हिस्से पर प्लास्टर सामग्री का उपयोग किया है। अलाई दरवाजे के चारों ओर सुंदर संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर की सुंदर नक्काशी की गई है। अलाई दरवाजे को बनाना आसान नहीं था। इसकी लंबाई 17 मीटर और चौड़ाई करीब 10 मीटर है। अलाई दरवाजा करीब तीन मीटर मोटा है।
ऐसा कहा जाता है कि खिलजी ने कुतुब-ए-इस्लाम मस्जिद के चारों और ऐसे दरवाजे बनाने का प्लान बनाया था। लेकिन 1316 में खिलजी की मौत हो गई और केवल एक ही अलाई दरवाजा बन पाया। अलाई दरवाजे को कमल की कलियों की डिजाइन में बनाया गया है। ये कुवैत-उल-इस्लाम मस्जिद से जोड़ते हैं। मस्जिद में जाने के लिए इसे एंट्री गेट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। अगर अलाई दरवाजा की वास्तुकला देखे तो उसमे एक ही हॉल की लंबाई 35 फीट और चौड़ाई 56.5 फीट है। उसकी छत की छत की ऊंचाई 47 फीट है। पूर्व, पश्चिम और दक्षिण दिशा में दरवाजे के तीन नुकीले कोने हैं। जो घोड़े की नाल के आकार में बने हैं। इसे भारत में निर्मित पहला गुंबद माना जाता है।
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3 ماه پیش
در تاریخ 1403/02/21 منتشر شده
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