हल षष्ठी व्रत शेषावतार बलराम जन्म की कथा Hal Shashthi Vrat Sheshavatar Balarama

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54 بار بازدید - 10 ماه پیش - शेषावतार बलराम जी के जन्म
शेषावतार बलराम जी के जन्म की पौराणिक कथा
प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन हल षष्ठी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाते हैं। भागवत पुराण के अनुसार बलराम या संकर्षण को भगवान विष्णु का शेषावतार माना जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का अंश माने जाने वाले शेषनाग, उनके हर अवतार के साथ अवश्य धरती पर आते हैं। भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण के बड़े भाई के रूप में शेषनाग ने बलराम जी के नाम से अवतार लिआ था। कथा के अनुसार जब मथुरा नरेश कंस अपनी बहन देवकी और उनके पति वासुदेव को विदा कर रहा था, उसी समय आकाशवाणी हुई। आकाशवाणी में देवकी और वासुदेव की आंठवी संतान को कंस का काल बताया था। आकाशवाणी सुनकर कंस की रुह कांप गई और वह घबरा गया. आकाशवाणी के बाद कंस ने बहन देवकी की हत्या करने की ठान ली. लेकिन उस दौरान वासुदेव ने कंस को समझाया कि देवकी को मारने से क्या होगा. देवकी से नहीं, बल्कि उसको देवकी की आठंवी संतान से भय है. वासुदेव ने कंस को सलाह दी कि जब हमारी आठवीं संतान होगी तो हम अपाको सौंप देंगे. आप उसे मार देना. कंस को वासुदेव की ये बात समझ आ गई. लेकिन वासुदेव और देवकी को कंस ने कारगार में कैद कर लिया.
कारागार में देवकी ने एक-एक करके सात बच्चों को जन्म दिया, जब भी देवकी की कोई संतान होती तो कंस उसे मार देता इस तरह से कंस ने एक-एक करके देवकी की सभी संतानों को मार दिया। हालांकि सातवीं सन्तान के रूप में जन्में शेषावतार बलराम को योग माया ने संकर्षित कर माता रोहणी के गर्भ में पहुचां दिया था, इसलिए ही बलराम को संकर्षण भी कहा जाता है।
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10 ماه پیش در تاریخ 1402/06/15 منتشر شده است.
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