भगवान विष्णु के अवतार सहस्त्रार्जुन ऐवम लाभकारि मंत्रदि Sahastrarjuna and beneficial mantras

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42 بار بازدید - 2 ماه پیش - कार्तिक शुक्लपक्ष कि सप्तमी की
कार्तिक शुक्लपक्ष कि सप्तमी की सहस्त्रार्जुन
जयंती एक पर्व और उत्सव के रूप में मनाई जाती है।   कार्तवीर्य अर्जुनहैहय क्षत्रिय चंद्रवंशीय है इनका जन्म
का नाम एक-वीर था, कई नाम हैहयाधिपति, सहस्रार्जुन, दषग्रीविजयी, सुदशेन,
चक्रावतार, सप्तद्रवीपाधि, कृतवीर्यनंदन, राजेश्वर आदि कई नाम होने का वर्णन मिलता
है।

इनका गोत्र कृष्णात्रेय और प्रवर तीन है जो क्रमश:
कृष्णात्रेय, आत्रेय और व्यास है, इनकी कुलदेवी माँ दुगा जी, देवता शिव जी,
वेद  यजुर्वेद, शाखा वाजसनेयी, सूत्र परस्कारग्रहसूत्र, गढ़ खडीचा, नदी
नर्वदा तथा ध्वज नील, शस्त्र-पूजन कटार और वृक्ष पीपल  है, जो कृतवीर्य के पुत्र होने के नाते  कार्तवीर्य व् अर्जुन तथा सहस्त्रो भुजाएँ होने का वरदान होने के कारण
सह्स्त्राबहु के नाम से भी जाने जाने जाते है तथा उनकी पूजा अर्चना उनके अनुयायी
सहस्त्रार्जुन के नाम से करते है| जोकि हम हैहयवंशियो को दीपोत्सव की ही तरह
महाराज  कार्तवीर्य अर्जुन की गरिमामयी इतिहास और
उमंग  की याद में उनके गुणगान और महिमा को धूम धाम से
जयन्ती  के रूप में मनाना  चाहिए, इस पर्व से ना हम अपनी
पहचान को बढ़ा संकेगे, बल्कि इनके महिमा का वर्णन कर सुख और अमर के सहभागी बन सकते
है| क्योकि इनका जीवन चरित्र धार्मिक ग्रंथो  वेदों और पुरानो में भगवान
विष्णु के अंश चक्रावतार के रूप मानी गयी है|


श्री
मत्स्य पुराण में वर्णित उपरोक्त श्लोक का अर्थ है कि पचीसवे कृत युग के आरम्भ में
हैहय कुल में एक प्रतापी राजा कार्तवीर्य राजा होगा जो सातो द्वीपों और
समस्त भूमंडल का परिपालन करेगा| स्मृति पुराण शास्त्र के अनुसार कार्तिक शुक्ल पछ
के सप्तमी, जो कि हिन्दी माह के कार्तिक महीने में सातवे  दिन पडता है,
दीपावली के ठीक बाद हर वर्ष मनाया जाता है| माहिष्मती महाकाब्य के निम्न श्लोक के
अनुसार यह चन्द्रवंश के महाराजा  कार्त्यावीर के
पुत्र कार्तवीर्य -अर्जुन – हैहयवंश शाखा के ३६ राजकुलो में से एक कुल
से समबद्ध मानी जाती है| उक्त सभी राजकुलो में – हैहयवंश-कुल के राजवंश के
कुलश्रेष्ट राजा श्री राज राजेश्वर सहस्त्राबहु अर्जुन समस्त सम-कालीन वंशो
में सर्व श्रेष्ठ, सौर्यवान, परिश्रमी, निर्भीक और प्रजा के पालक के रूप की जाती
है| यह भी धारणा मानी जाती है की इस कुल वंश ने सबसे ज्यादा १२००० से अधिक वर्षों
तक सफलता पूर्वक शाशन किया था| श्री राज राजेश्वर सहस्त्राबाहु अर्जुन का
जन्म महाराज हैहय के दसवी पीढ़ी में माता पदमिनी के गर्भ से हुआ था,
राजा  कृतवीर्य  के संतान होने के कारण ही
इन्हें कार्तवीर्य अर्जुन और भगवान दतात्रेय के भक्त होने के नाते उनकी
तपस्या कर मांगे गए सहस्त्रा बाहु  भुजाओ के बल के वरदान
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भगवान विष्णु के अवतार सहस्त्रार्जुन ऐवम लाभकारि मंत्रदि Sahastrarjuna and beneficial mantras
2 ماه پیش در تاریخ 1403/03/30 منتشر شده است.
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