बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर || baith jata hoon mitti pe aksar || harivansh rai bachchan poems

ActiveLife
ActiveLife
244.2 هزار بار بازدید - 2 سال پیش - हारना तब आवश्यक हो जाता
हारना तब आवश्यक हो जाता है 👇👇
हरिवंश राय बच्चन की कविता | harivansh...

सच बिकता है झूठ बिकता है बिकती है हर कहानी 👇👇
सच बिकता है | झूठ बिकता है | बिकती है...

बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है


मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना।

ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है
पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है

जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्योंकि
एक जमाने से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले।

एक घड़ी ख़रीदकर हाथ में क्या बाँध ली, 2
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे।

सोचा था घर बना कर बैठूँगा सुकून से
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला।

सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब, 2
बचपन वाला ‘इतवार’ अब नहीं आता।

शौक तो माँ-बाप के पैसों से पूरे होते हैं,
अपने पैसों से तो बस ज़रूरतें ही पूरी हो पाती हैं।

जीवन की भाग-दौड़ में;
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?- 2

हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है।
एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम,

और आज कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है।
कितने दूर निकल गए रिश्तों को निभाते निभाते
खुद को खो दिया हमने अपनों को पाते पाते।

लोग कहते हैं कि हम मुस्कुराते बहुत हैं -2
और हम थक गए दर्द को छुपाते छुपाते

खुश हूं और सबको खुश रखता हूं
लापरवाह हूं फिर भी सबकी परवाह करता हूं

चाहता हूं कि ये दुनिया बदल दूं
पर दो वक्त की रोटी की जुगाड़ से फुर्सत नहीं मिलती दोस्तो,..

महंगी से महंगी घड़ी पहन कर देख ली- 2
फिर भी ये वक्त मेरे हिसाब से कभीना चला..

यूं ही हम दिल को साफ रखने की बात करते हैं,
पता नहीं था कि कीमत चेहरों की हुआ करती है..

मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं -2
पर सुना है लोग सादगी में जीने नहीं देते !

अगर खुदा नहीं है तो उसका जिक्र क्यों
और अगर खुदा है तो फिर फिक्र क्यों ,

दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं -२
एक उसका अहम और दूसरा उसका वहम,

पैसों से दुख कभी नही खरीदा जाता दोस्तो
और दुख का कोई खरीददार नही होता,

कभी कभी कवि कुछ ऐसा लिख देते हैं
जिसे आम इंसान अपने जीवन में महसूस तो करता है
पर बयां नहीं कर पाता हरिवंश राय बच्चन जी की यह कविता पसंदीदा कविताओं में से एक है
मुझे उम्मीद है आपको मेरी आवाज में यह जरूर पसंद आई होगी

#jupiter_classes_education_academy
#activelife_with_sanjay
#poetry
2 سال پیش در تاریخ 1401/02/16 منتشر شده است.
244,248 بـار بازدید شده
... بیشتر