Jitne apne the sab paraye the |rahat indori | राहत इंदौरी | whatsaap status| shayari |lyrics video|
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4 سال پیش
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जीतने अपने थे सब पराये
जीतने अपने थे सब पराये थे
हम हवा को गले लगाये थे
जितनी कसमे थी सब थी शर्मिंदा
जितने वादे थे सर झुकाए थे
जितने आँसु थे सब थे बेगाने
जितने महिमाँ थे बिन बुलाए थे
सब किताबें पढ़ी पढ़ाई थी
सारे किस्से सुने सुनाये थे
एक बंजर जमीन के सीने में
मैंने कुछ आसमान उगाए थे
सिर्फ दो घूँट प्यास की खातिर
उम्र भर धूप में नहाये थे
हासिये पर खड़े हुए है हम
हमने खुद हासिये बनाये थे
मैं अकेला उदास बैठा था
शाम ने कहकहे लगाये थे
है गलत उसको बेवफा कहना
हम कहा के धुले धुलाये थे
आज कांटो भरा मुकदर है
हमने गुल भी बहुत खिलाये थे
- Rahat indori
हम हवा को गले लगाये थे
जितनी कसमे थी सब थी शर्मिंदा
जितने वादे थे सर झुकाए थे
जितने आँसु थे सब थे बेगाने
जितने महिमाँ थे बिन बुलाए थे
सब किताबें पढ़ी पढ़ाई थी
सारे किस्से सुने सुनाये थे
एक बंजर जमीन के सीने में
मैंने कुछ आसमान उगाए थे
सिर्फ दो घूँट प्यास की खातिर
उम्र भर धूप में नहाये थे
हासिये पर खड़े हुए है हम
हमने खुद हासिये बनाये थे
मैं अकेला उदास बैठा था
शाम ने कहकहे लगाये थे
है गलत उसको बेवफा कहना
हम कहा के धुले धुलाये थे
आज कांटो भरा मुकदर है
हमने गुल भी बहुत खिलाये थे
- Rahat indori
4 سال پیش
در تاریخ 1399/07/22 منتشر شده
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