धूप में निकलो घटाओं में नाहा कर देखो जिन्दगी क्या है किताबो को हटा कर देखो Gazal Nida Fazli #poetry

Hrishibha raj
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3.1 هزار بار بازدید - ماه قبل - धूप में निकलो घटाओं में
धूप में निकलो घटाओं में नाहा कर देखो जिन्दगी क्या है किताबो को हटा कर देखो Gazal Nida Fazli #poetry    

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POETRY:- किन्ही बातो की गहराइयों को छू लेना ये ऐसा है जैसे किसी चीज को अच्छे से समझ के, दुसरो को बहुत कम शब्दो में, बहुत ही रोचक ढंग से समझा देना।
कुछ आपने एहसासों को दिखाने का  तो कुछ अपने एहसासो को बायां करने का हुनर रखते।
और जिन्हे ये दोनों चीजे नहीं आती हैं, उन्हें ये शेरो शायरी ये Poetry ये ग़ज़ल मौका देता है कही गयी बातो में खुद को बयां करने का
जब इन ग़ज़लों की कोई लाइन दिल में आ लगती है तब एहसास होता है की हा मुझे यही कहना था

PHILOSOPHY:- हम जो कुछ भी सोचते है हम जो कुछ भी जिस तरह से देखते है वो सब कुछ देखने और सोचने का तरीका हमारा नहीं होता है,हम जिस समाज में रह रहे होते है वो उस समाज का नज़रिया है ( 90 से भी ज़्यादा प्रतिसत )
Philosophy हमे मौका देता है, हमारे समाज के दिए विचारो से ऊपर उठ कर इस दुनिया के अलग- अलग समाज के अलग- अलग महान विचारको ने जो अलग -अलग नज़रिया ,विचार और सिद्धांत दिए है
उनको पढ़ के, समझ के एक बार उनके दिए नजरिये  और विचारो से आपने समाज के नजारो  को देखें|
और दुनिया उसी तरह दिखती है जिस तरह का हमारा नजरिया होता है|

SOCIOLOGY:-हर समाज संरचना के अनकहे नियमो पे चलता है, एक पीढ़ी का पाखण्ड अगली पीढ़ी का परम्परा तक बन जाता है।
जो परम्परा हम आज देखते है जानते है या सुनते है वो सभी परम्परा किन्ही समय जी जरुरत रही होंगी।
आज जरूरत मेहसूस नहीं होती है और यही वजह है की बहुत सी परम्परा आज विलुप्त हो गयीं हैं और बहुत सी होती भी जा रही है।
परम्परा के मूल में आप जोर देके देखे और समझे तो उसकी शुरुआत की गड़ना की जा सकती है
भारतीय समाज की संरचना वेदो के वैज्ञानिक महान ऋषि मुनियों ने किया है।
मै जाति और वर्ण व्यवस्था की बात नहीं कर रहा हु, वो भी कर्म पर आधारित था , कर्म प्रधान था।
वेदो के वैज्ञानिक इसलिए क्युकी पैरो का पायल ,बिछिया ;माथे का बिंदी ,मांग का सिन्दूर ,सर का पलू ,मर्दो की पगड़ी ,हाथो की चूड़ी ;हर एक चीज का वैज्ञानिक कारण मौजूद है की क्यों पेहेना जाये इसे
मंदिर की संरचनाओं से लेकर त्योहारों की मान्यताओं तक ,हर चीज के पीछे विज्ञानं मौजूद है वो भी सटीक और Absolute.
जिस व्यक्ति में समाज का डर खत्म हो जाता है, वो देव या दैत्य का रूप धारण कर सकता है।
कोई भी समाज सुचारू ढंग से तब ही काम कर सकता  है जब उस समाज में डर की व्यस्था की गयी हो।
लोगो में समाज का डर  ही लोगो के अंदर बैठे दैत्य को दबाए रखता है
समाज में बुराइयाँ नहीं होती ,समाज के लोगो में होती है ,और जिस समाज में बुराइयाँ होती हैं वो समाज पहले ही खत्म हो चुके होते है।

PSYCHOLOGY:- बहुत से इंसान गलती करते है और खुद उन्हें तक पता नहीं होता है की उन्होंने क्यू किया ,और कभी कभी तो उन्हें उनकी गलती भी पता चलता है की वो ऐसा कब कर दिए।
माना जाता है की इस ब्रम्भाण्ड के बाद कोई चीज ज़टिल है तो वो है हम इंसानो का दिमाग
क्यों कहा जाता है की हम इतिहास से बहुत सिख सकते है... क्युकी हम इंसानो के अंदर Maturity हमारी गलतियों की वजह से ही आता है।
और इंसानी इतिहास गलतियों का भण्डार है।
किसी के भी कुछ करने के तरीके से हम उसके बारे में बहुत कुछ जान और समझ सकते है।
इतिहास पढ़ के हम पुरे मानव जाती का मन और सोच का गड़ना कर सकते है उनकी पूरी Psychology जान सकते है।
हम इंसान ज्यादा तर अपनी भावनाओं के आघोस में आपने निणय करते है। ... और गलतिया करते है।
इंसानी मस्तिष्क और उसकी गतिविधियां को पढ़ के समझना ही साइकोलॉजी नहीं है। ... बल्कि उसमे बेहतरी करना भी Psychology है।

SPRITUALITY:- Everything in this universe is the form of vibration or formed by vibration.
जब आपके senses बाहर के दृश्य को Perceive  करना छोड़ के आपके अंदर जो कुछ है उन सब चीजों को Perceive करने लगता है तो वो आध्यात्मिकता  का Process है।
हमें धार्मिक नहीं आध्यात्मिक होना है।
जब आपकी आँखे बाहरी दृश्य से ज्यादा भीतरी दृश्य को देखने लग जाती हैं
जब आपके कान भीतरी आवाज को सुनने लग जाते है
जब आप हस्यामैथून का सुख कुण्डलिनी के जागृत होने पर हल पल पाने लगते है तो आप आद्यात्मिक Spritual होते है या होने लगते है।
जितना आप उस परम ख़ालीपन Absolute Nothingness को जानने  या समझने लगते है। ... या महसूस करते है वो ही Sprituality है।

Poetry, Gazal Sayari,
kahani, baate ye jaawani,
fasaana, dilo ka afsaana
Mohbaat, usse paane ki sohbaat
kv kabir to kv kavita
unkahi baate
unsune alfaaz
ye anjaana ahsaas
Wo unjaana jo h khas
koi dur h per yaade h pass
kitaabo ki baate
miln ki oo raate
aise dhero kisse
tumhari hamari jindgi ke h jo hai hisse
in sab pe baat krenge
jab hum tum milenge
sayad oo duniya koi aur hoga
bas tera mera daur hoga
bichadne ka na dar hoga
mohbaat aur mohbaat ka hi ghar hoga
aisi bahut si baate krenge aapki aur hamari  aane wale videos me

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ماه قبل در تاریخ 1403/03/10 منتشر شده است.
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