बुद्ध के मांस खाने का कारण क्या था जानिए / Know What is the Reason for Buddha Eating flesh

Tathagat TV
Tathagat TV
240.3 هزار بار بازدید - 5 سال پیش - #भोजन_की_अरुचि_या_स्वाद
#भोजन_की_अरुचि_या_स्वाद
#मांस_खाने_के_बारे_में_बुद्ध_ने_क्या_कहा
बुद्ध को भगवान क्यों कहते है जानिए

#बुद्ध जिसका अर्थ है वो “#जो #जाग #रहा #है” इस #अर्थ में कि जो “#वास्तविकता के लिए #जगा” हो, यह पहला शीर्षक भगवान बुद्ध को दिया गया था लगभग 2500 साल पहले जब #राजकुमार #सिद्धार्थ #गौतम ने जीवन की #वास्तविकता प्राप्त करने के लिए सभी #सांसारिक #सुखों को छोड़ दिया और बुद्ध बन गये। वह बुद्ध या #प्रबुद्ध एक के रूप में जाने जाने लगे। जब उन्होंने सिखाया, तो उन्होंने #ईश्वर बनने का #ढोंग नहीं किया। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ एक व्यक्ति थे, जिसने #जीवन (#ज्ञान) का अर्थ पाया था, और किसी भी व्यक्ति को जीवन का अर्थ भी मिल सकता है।
#बौद्ध #धर्म में मध्यम मार्ग पर जोर दिया गया है| भगवान बुद्ध के #मांसाहारी या #शाकाहारी होने के विषय में #इतिहासकार और #बुद्धिजीवी एकमत नहीं हैं|बौद्ध धर्म की #थेरावदा #परंपरा में ये माना जाता है कि कुंद लोहार द्वारा बुद्ध को जो #मद्दव दिया गया था वो एक प्रकार का #सुअर का #मांस था| इसके विपरीत महायान परंपरा के अनुसार बुद्ध को #कुंद द्वारा #मशरूम खाने के लिए दिया गया था| #मद्दव का एक #अर्थ #मशरूम भी होता है|

ऐसी ही बातों पर मतभेद होता आया है। पर ये तो स्वयं बुद्ध ही जानते रहे होंगे कि उन्होंने क्या ग्रहण किया। वो एक #महान #महापुरुष थे जिन्होंने अपना सारा जीवन सत्य की खोज में बिता दिया।

#तथागत पर #मांसाहार का #आक्षेप हल.
#विवादित_प्रश्न :क्या बुद्ध का #अंतिम #भोजन #सुअर का #मांस था?

उत्तर: किसी भी व्यक्ति को किसी भी आरोप का जहां तक हो सके  #पूर्ण #विश्लेषण करना चाहिए। यदि वह# सत्य की #कसौटी पर खरा उतरे तो उसे #सहर्ष स्वीकार करना चाहिये। औइये इस आरोप की पूरी जांच पड़ता करते हैं। एक विद्द्वान बुद्धघोष ने अपनी #पुस्तक #सुमंगलविलासिनी में लगभग #हजार_साल बाद '#सूकर #मद्दव' का अर्थ सुअर का मांस किया जिसको भगवान बुद्ध ने ग्रहण किया ,बताया गया है
#सूकर #मद्दव का क्या अर्थ है और इसे सूकर मद्दव ही क्यो कहा जाता है। #सूकर का #अर्थ होता है वराह अर्थात #सूअर और #मद्दव का अर्थ होता है #मशरूम(संज्ञा) और #कोमल (विशेषण) । यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि मद्दव का अर्थ मांस नही है। पाली में मांस के लिये मंस शब्द है न कि मद्दव। वैसे भी सुअर का मन्स खाने के बाद किसी को भी #खूनी #पेचिस नही लगते हैं।
पहले से #अस्वस्थ चल रहे #भगवान बुध्द ने #महापरिनिर्वाण (महापरिनिर्वाण सम्यक सम्बुद्ध का होता है जबकि परिनिर्वाण बुद्ध का और निर्वाण अर्हत का होता है) अर्थात '#सम्पूर्ण #जन्म #चक्र की #मुक्ति' से पूर्व  सूकर मद्दव खाया। इसे सुकर मद्दव इसलिय कहा जाता है क्योंकि इसकी पहचान #सूकर(सुअर) सूंघकर बड़ी आसानी से करके खाता है । इसीलिए इसे सूकर मद्दव कहा जाता है। #सुअर की #सूंघकर पहचानने की #क्षमता #कुत्ते से कई गुना #तेज होती है।  इस मद्दव (#मशरूम) की कई #किस्मे हैं। ( जिस प्रकार #भिंडी को #महिलाओं की #अंगुली की भांति पतला और लंबा होने के कारण लेडिफिंगर कहा जाता है। जबकि यह महिला की अंगुली नही होती। ) और #जंगल मे #जलेबी की तरह गोल फलियो को जंग जलेबी कहा जाता है ताकि नाम लेते ही कोई भी व्यक्ति तुरन्त पहचान लेवे। लेकिन इसका अर्थ यह नही है कि यह #जंगल मे बनाई जाने वाली जलेबी है।
परंतु इस मद्दव( मशरूम,कोमल) की कईं किस्मे होने के कारण कुछ विषाक्त भी हैं। जिसे खाने के बाद पेचिस लग जाते हैं। इसकी #प्रमाणिकता के लिये #मद्दव (#मशरूम) की किस्मो के बारे में पढ़ा जा सकता है।
चुंद द्वारा पहला ग्रास जब सम्यक सम्बुद्ध बुध्द ने ग्रहण किया तब खाते ही #सर्वज्ञ #गौतम #बुध्द (सर्वज्ञ जब जो जानना चाहते हैं, जान सकते हैं,) उसकी #विषाक्ता को जान गए और तत्काल बाकी #भिक्षुओं को उसे खाने से मना किया। और उस #विषाक्त मद्दव को #चुंद द्वारा किसी दूर स्थान पर जमीन के नीचे गाढ़ देने के लिए कहा। जिसके बाद भगवान बुद्ध को #खूनी #पेचिश की शिकायत हुई और उनका शरीर ढीला पड़ गया। और वे #बीमार पड़ गए। भगवान ने अपने इस अंतिम भोजन को इतना ही #पवित्र और #लाभकारी कहा जितना उनका #बुद्धत्व से पूर्व #सुजाता द्वारा दिया गया पहला भोजन (#खीर) था।

#भगवान #बुद्ध के #महापरिनिर्वाण के बाद #सम्यकसम्बुद्ध को #अंतिम #भोजन कराने वाले #चुंद का #पावा, #उत्तर_प्रदेश में उनके निर्वाण के बाद स्तुप भी #निर्मित कराया गया। जो आज भी #जीर्ण #क्षीण #अवस्था मे चुंद के #निर्दोष होने और# उपस्थिति के #प्रमाण दे रहा है।

अब प्रश्न यह उठता है कि #विद्वान #बुध्दघोष ने यह इतनी बड़ी #गलती #जानबूझ कर की या यह उनसे #अज्ञानता वश हुई। तो इसका जवाब सरल है।
आपको यह जानकर #हैरानी होगी कि बुद्ध के #समकालीन चुंद भी दो हैं पहला चुंद# सुअर #मांस #विक्रेता था। जो इस #अकुशल #कर्म(पाप) के कारण #अविचि #महानरक (#दुर्गति) को प्राप्त हुआ। और दूसरा चुंद #सुनार था। जिसने भगवान बुद्ध को भोजन के लिए #आमंत्रित किया था।

अतः यह #प्रमाणित होता है कि सूकर #मद्दव में मद्दव का अर्थ मशरूम से है ना कि मांस से है। #पाली में मांस के लिये अलग #मंस शब्द है। और गौतम बुध्द ने तो #मद्दव(मशरूम ) ग्रहण किया था न कि #मांस

#नमो_बुद्धाय

#Buddha_stories
#Buddha_Dhammapada
#Buddhism_in_Hindi
#Buddhism_Literature
#Buddha_Motivational_speech
#Buddha_inspirational_quotes
#Buddha_positive_attitude
#Buddha_New_Life
#Buddha_Motivational_quotes
#Buddha_Positive_quotes  
#Buddha_Best_quotes  
#Buddha_Success_quotes  
#Buddha_Good_quotes  
#Buddha_Positive_life_quote  
#Buddha_Meditation
#Buddha_Hindi_stories
#Buddhist_literature_tripitaka
#Essential_Buddhist_texts
#Buddhism
#Buddhist_sutras
#Buddhist_literature_in_Hindi
 
Contact information :
[email protected]
http://www.tathagat.tv/
5 سال پیش در تاریخ 1398/10/19 منتشر شده است.
240,316 بـار بازدید شده
... بیشتر