मधुबाला ll कविता: प्याला।। हरिवंश राय बच्चन ll #Harivanshraibachchan

अजीत अजित
अजीत अजित
965 بار بازدید - 4 هفته پیش - मधुबालाबिक, मगर, गया मैं मोल
मधुबाला
बिक, मगर, गया मैं मोल बिना, जब आया मानव सरस हृदय!
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मुझको न सके ले धन- कुबेर दिखलाकर अपना ठाट-बाट,
मुझको न सके ले नृपति मोल दे माल खजाना, राज- पाट,
अमरों ने अमृत दिखलाया, दिखलाया अपना अमर लोक,
ठुकराया मैंने दोनों को रखकर अपना उन्नत ललाट;
बिक, मगर, गया मैं मोल बिना, जब आया मानव सरस हृदय!
मिट्टी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन-- मेरा परिचय!


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4 هفته پیش در تاریخ 1403/03/30 منتشر شده است.
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