लोह-गांजर का मैदान यहां हुआ था आल्हा ऊदल और बिजली पासी का युद्ध स्थानीय लोगों ने क्या जानकारी दी

The Pasi Landlord's
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5.4 هزار بار بازدید - 12 ماه پیش - गंजरिया - लोह गांजर यानी
गंजरिया - लोह गांजर यानी लोहे का मैदान यह नाम अंग्रेज़ी दस्तावेज़ अनुसार गांजर नाम कैसे पड़ा...? "यह गांजर नाम यहां के मूलनिवासी ( पासियो ) के युद्ध प्रिय आचरण के कारण पड़ा " इसी क्षेत्र में मशहूर लड़ाके आल्हा ऊदल का युद्ध शक्तिशाली राजा बिजली पासी से हुआ था जो इस पूरे परिक्षेत्र के शासक थे जिनके 12 किले हुआ करते थे जिसके अवशेष आज भी मौजूद है कहानी लगभग 800 वर्ष पहले की है कन्नौज का राजा जयचंद इस अवध भूमि को जीतना चाहता था वह अपना एकाधिकार चाहता था वह इस क्षेत्र से भारी भरकम कर वसूल करता था अवध क्षेत्र के कई सारे छोटे-छोटे राज्य पासी राजाओं द्वारा शासित थे जो कन्नौज के राजा जयचंद को कर वसूल कर देते थे एक तरह से यहां के पासी राजा कन्नौज नरेश के सामंत के रूप में कहे जाते थे परंतु जब पासियों ने अपनी शक्ति बढ़ा ली तो उन्होंने यह दृढ़ संकल्प किया कि हम कन्नौज को एक भी पैसा नहीं देंगे एक भी कर नहीं देंगे यह बात कन्नौज के नरेश जयचंद को रास नहीं आई उसने अपने बेटे और भतीजे को पैसा वसूलने के लिए गंजर के तरफ लड़ाई के लिए भेजा पर पासी इतनी शक्तिशाली थे के 12 साल तक जयचंद को मुंह की खानी पड़ी । गाँजर की लड़ाई कर की लड़ाई कही जाती है यानि टैक्स की कुछ समय बाद महोबा के मशहूर लड़के आल्हा और ऊदल महोबे से निष्कासित कर दिए गए तब आल्हा ऊदल जयचंद के पास शरण ली और जयचंद ने मौके का फायदा उठाकर उनको भारी धन संपदा का लालच देकर गाँजर के युद्ध अभियान के लिए मना लिया .... आल्हा खंड में गाँजर युद्ध अभियान के बारे में जिक्र दिया गया है पर वह आल्हा खंड आल्हा को मानने वालों द्वारा लिखा गया है जिसमें राजा सातन पासी की हार और आल्हा की जीत दिखाया गया है बिजली पासी और सातन पासी एक शक्तिशाली राजा थे सातन पासी उन्नाव के तरफ सातन कोट के राजा थे और बिजली पासी बिजनौर नाथावन के शासक थे इस भयंकर युद्ध में आल्हा ऊदल की हार तथा आल्हा ऊदल के साले जोगा और भोग दोनों मारे गए... कुछ अनसुनी किद्वंती यह कहती है कि राजा बिजली पासी वीरगति को प्राप्त हुए तब उनके परम मित्र सातन पासी तथा देव मती पासी को खबर प्राप्त होते ही आग बबूला हो गए समस्त सेनाओं को एकत्रित करके भूखे शेरों के तरह आल्हा ऊदल पर टूट पड़े और आल्हा ऊदल का युद्ध अभियान यहीं समाप्त हो जाता है और भागने पर विवश हो जाते हैं फिर 1202 के आसपास महाराजा सातन पासी का मुकाबला बख्तियार खिलजी से संडीला क्षेत्र की तरफ युद्ध होता है और कहा जाता है उसे भीषण युद्ध में राजा सातन पासी वीरगति हुए । पासी जाति के अंदर गायन शैली को जिंदा रखने वाले बिरतिया लोग आज भी जीवित हैं जो राजा बिजली पासी और सातन पासी की हार कभी स्वीकार नहीं करते वह उनकी विजय की गाथा पासी समाज के बीच में जा जाकर बताते हैं । गाँजरक्षेत्र ऐसा क्षेत्र था जहां पर हाथी और घोड़े का व्यापार होता था ऊंट का व्यापार होता था यहां मिलने वाले अत्यंत रहस्यमई पुराने जमाने की घोड़े की लीद से या पुष्टि होती है कि यहां पर पहले घोड़े का बहुत बड़ा अस्तबल चप्पे चप्पे पर हुआ करता था.... जहां लखनऊ में इकाना स्टेडियम बना है इसके बगल में महाराजा बिजली पासी का अखाड़ा हुआ करता था यह अखाड़ा गोमती नदी के करीब होने से जल की व्यवस्था आसानी से हो सके इसलिए इस अखाड़े को बनवाया गया था जहां पर घोड़ा की व्यवस्था थी ..... #history #lucknow #आल्हा_ऊदल #बिजली_पासी #loh_ganjar #trending #education #pasi
12 ماه پیش در تاریخ 1402/07/05 منتشر شده است.
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