Wahi Tumhari Thhodi Ka Til | वही तुम्हारी ठोड़ी का तिल | Dr Kumar Vishwas
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4 سال پیش
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कई बार लगता है, हालाँकि
कई बार लगता है, हालाँकि इस जन्म में होगा तो शायद नहीं ही, कि अचानक मेरे मोबाइल पर उसकी आवाज़ गूंज़े, जिसकी बेवक्त ख़ामोशी को मैंने उम्र-भर गीत किया है और मुझे पक्का पता है कि मैं उसका सिर्फ़ एक लफ़्ज़ "सुनो" सुनकर उसको पहचान तो लूँगा ही, तो मैं उससे बात कहाँ से शुरू करूँगा ? मैं, जिस की संदर्भगत बकबक को सुनकर ना जाने कितने लोग ख़ुश हैं और ना जाने कितने लोग नाख़ुश, उससे क्या पूछूँगा ? वक़्त की और उसकी नासमझी के किस-किस हिस्से पर उससे लड़ूँगा? इस पृथ्वी के किस-किस कोने में, किन-किन बड़े-बड़े ख़ाली शहरों, जगमगाते फीके-फीके होटलों, भीड़-भरे सुनसान रास्तों में मन ही मन साँस-साँस दुहराए गए उसके किस-किस व्यवहार पर उससे रूठूँगा? या सिर्फ़ एक वही बात पूछूँगा, जिसका ज़वाब कभी मैंने और उसने एक दूसरे में घुलकर,मिलकर गढ़ा था ! या हमारी मुहब्बत के वो ख़्वाब जो साझा नींदों में उतरने तय थे, उन के बारे में पूछूँगा ? या जो इस विडीओ में, गमकती तालियों और वाह-वाह के बीच दबी रह गयी मेरी अनसुनी-आहों ने नफ़ीस सूट पहन कर हँस-हँस कर उसकी अनुपस्तिथि से पूछा है, बस वही उसकी आवाज़ से पूछकर रह जाऊँगा ?
ख़ैर, ईश्वर के अलावा मुहब्बत ही दूसरा ऐसा जज़्बा है जो सोते-जागते, खोते-पाते, ख़बर-बेख़बर रहते ना कभी बुझता है ना कभी सादा ज़िंदगीपसंद दुनियावी लोगों को दिखता है ! शायद आप जैसे प्यार में गाफ़िल लोगों को दिखे
#DrKumarVishwas
#बच्चों_के_क्या_नाम_रखे_हैं
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ख़ैर, ईश्वर के अलावा मुहब्बत ही दूसरा ऐसा जज़्बा है जो सोते-जागते, खोते-पाते, ख़बर-बेख़बर रहते ना कभी बुझता है ना कभी सादा ज़िंदगीपसंद दुनियावी लोगों को दिखता है ! शायद आप जैसे प्यार में गाफ़िल लोगों को दिखे
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4 سال پیش
در تاریخ 1399/06/27 منتشر شده
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