जब द्रौपदी पुत्रों ने बचाया सात्यकि को शूरवीर कर्ण से...
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कर्ण का पराक्रम :-संजय कहते
कर्ण का पराक्रम :-
संजय कहते हैं- राजन! सात्यकि द्वारा पुत्र के मारे जाने पर क्रोध से व्याकुलचित्त हुए कर्ण ने शिनिप्रवर का वध करने के लिये उन पर एक शत्रु नाशक बाण छोड़ा और कहा- सात्यके! अब तू मारा गया। परन्तु उसके उस बाण को शिखण्डी ने तीन बाणों द्वारा काट दिया और उसे भी तीन बाणों से पीड़ित कर दिया। तब कर्ण ने दो छुरों से शिखण्डी की ध्वजा और धनुष काट कर नीचे गिरा दिये। फिर भयंकर वीर कर्ण ने छः बाणों से शिखण्डी को घायल कर दिया और धृष्टद्युम्न के पुत्र का मस्तक काट डाला। साथ ही महामनस्वी अधिरथ पुत्र ने अत्यन्त तीखे बाण से सुतसोम को भी क्षत-विक्षत कर दिया।
संजय कहते हैं- राजन! सात्यकि द्वारा पुत्र के मारे जाने पर क्रोध से व्याकुलचित्त हुए कर्ण ने शिनिप्रवर का वध करने के लिये उन पर एक शत्रु नाशक बाण छोड़ा और कहा- सात्यके! अब तू मारा गया। परन्तु उसके उस बाण को शिखण्डी ने तीन बाणों द्वारा काट दिया और उसे भी तीन बाणों से पीड़ित कर दिया। तब कर्ण ने दो छुरों से शिखण्डी की ध्वजा और धनुष काट कर नीचे गिरा दिये। फिर भयंकर वीर कर्ण ने छः बाणों से शिखण्डी को घायल कर दिया और धृष्टद्युम्न के पुत्र का मस्तक काट डाला। साथ ही महामनस्वी अधिरथ पुत्र ने अत्यन्त तीखे बाण से सुतसोम को भी क्षत-विक्षत कर दिया।
6 سال پیش
در تاریخ 1397/07/11 منتشر شده
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