गिरते ही ख़ाक पर शहदीं को ग़श आ ही गया , फिर भी न कोई पियासे....| Marsia - e - Dabeer | Urdu Poetry |
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6 سال پیش
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Channel- Sunil Batta Films
Channel- Sunil Batta Films
Documentary on Marsia (Urdu Poetry) - Marsia - e - Dabeer
Produced & Directed by Sunil Batta, Voice- S H Mehndi, Camera-Chandreshwar Singh Shanti, Production- Dhruv Prakesh, Camera Asst.- Subhash Shukla.
Synopsis-
चमकती जो ख़ुद सर से तो सर से निकल गयी
शाने पर जो पड़ी तो जिगर से निकल गयी
सीने में दम लिया तो कमर से निकल गयी
हैरां था ख़ुद बदन कि किधर से निकल गयी
यह आवाज़ मिर्ज़ा सलामत आली दबीर की थी जो ग्यारह और बारह साल की उम्र में ही शायरी करने लगे थे और उन्होंने ने ज़िन्दगी भर सिर्फ मर्सिया ही लिखा जिन की तादाद 3 हज़ारा है शुरू में उन्होंने रूबाई ओर ग़ज़ल भी कही
मिर्ज़ा दबीर ने अपने शुरू के दौर में क़सीदा और मस्नवी भी लिखी उन की अक़ीदत का इज़हार सलाम के जरीया भी हुआ लेकिन फिर उन्होंने मर्सिया को ही अपनी निजात का मुस्तक़िल जरीया बना लिया।
मर्ग़ पिसर से ख़नाए दिल बे चिराग़ है
सरवे हसन के ग़म से जिगर दाग़दार है
वीरां अलम से भाई के राहत का बाग़ है
फुर्क़त में भांजों की परेशा दिमाग़ है
क़ल्ब में रूह जिस्म में ताबो रवां नहीं
ख़ामोश यूं खड़े हैं गोया ज़बां नहीं
चेहरा है ज़र्द आंख़ों में नूरे ज़िया नहीं
क़ाबू में आह दिल नहीं और दस्तों पा नहीं
होशो हवाश अक़्लो तबीअत बजां नहीं
सोख़ी ज़बान तालू से होती जुदा नहीं
बेताब दिल है सीने में ठर्राही जाते हैं
आलम है यह जोअफ का ग़श आए ही जाते हैं
मिर्ज़ा सलामत अली दबीर की पैदाइश दिल्ली मुहल्ला बिल्लह महरान में 21 अगस्त 1804 ईस्वी को हुआ था। लेकिन पांच साल की उम्र में अपने ख़ानदान के लोगों के साथ वह लखनऊ आ गए। मिर्ज़ा दबीर की तालीमो तरबियत इसी लखनऊ के तहज़ीबी माहौल में हुई ज़ेहनी इरतिक़ा का सफर लखनऊ ही में तय किया।
गिरते ही ख़ाक पर शहदीं को ग़श आ ही गया
फिर भी न कोई पियासे को पानी पिला गया
ख़नजर लगा गया कोई नेज़ा लगा गया
खोली जो आंख शहर में जिगर ठर्रा गया
सर काटने का पावों किसी का न बढ़ सका
जुज़ रंगो ज़र्द और कोई मुंह न चढ़ सका।
पर आह आह शमर ने बढ़ कर ग़ज़ब किया
सीने पर मौज़ा हलक़ पे ख़नजर को रोक दिया
चालाते आए क़ब्रों से महबूबे किबरिया
बहीं गले में डालदी ख़ंजर पकड़ लिया
जौहरा पुकारी यह दिल हैदर का चैन है
मेरा हुसैन है अरे मेरा हुसैन है
#UrduPoetry
#Marsiya
#MirzaSalaamatAliDabeer
#MarsiyaMirzaDabeer
#IMAMBARA
#Muharram
Documentary on Marsia (Urdu Poetry) - Marsia - e - Dabeer
Produced & Directed by Sunil Batta, Voice- S H Mehndi, Camera-Chandreshwar Singh Shanti, Production- Dhruv Prakesh, Camera Asst.- Subhash Shukla.
Synopsis-
चमकती जो ख़ुद सर से तो सर से निकल गयी
शाने पर जो पड़ी तो जिगर से निकल गयी
सीने में दम लिया तो कमर से निकल गयी
हैरां था ख़ुद बदन कि किधर से निकल गयी
यह आवाज़ मिर्ज़ा सलामत आली दबीर की थी जो ग्यारह और बारह साल की उम्र में ही शायरी करने लगे थे और उन्होंने ने ज़िन्दगी भर सिर्फ मर्सिया ही लिखा जिन की तादाद 3 हज़ारा है शुरू में उन्होंने रूबाई ओर ग़ज़ल भी कही
मिर्ज़ा दबीर ने अपने शुरू के दौर में क़सीदा और मस्नवी भी लिखी उन की अक़ीदत का इज़हार सलाम के जरीया भी हुआ लेकिन फिर उन्होंने मर्सिया को ही अपनी निजात का मुस्तक़िल जरीया बना लिया।
मर्ग़ पिसर से ख़नाए दिल बे चिराग़ है
सरवे हसन के ग़म से जिगर दाग़दार है
वीरां अलम से भाई के राहत का बाग़ है
फुर्क़त में भांजों की परेशा दिमाग़ है
क़ल्ब में रूह जिस्म में ताबो रवां नहीं
ख़ामोश यूं खड़े हैं गोया ज़बां नहीं
चेहरा है ज़र्द आंख़ों में नूरे ज़िया नहीं
क़ाबू में आह दिल नहीं और दस्तों पा नहीं
होशो हवाश अक़्लो तबीअत बजां नहीं
सोख़ी ज़बान तालू से होती जुदा नहीं
बेताब दिल है सीने में ठर्राही जाते हैं
आलम है यह जोअफ का ग़श आए ही जाते हैं
मिर्ज़ा सलामत अली दबीर की पैदाइश दिल्ली मुहल्ला बिल्लह महरान में 21 अगस्त 1804 ईस्वी को हुआ था। लेकिन पांच साल की उम्र में अपने ख़ानदान के लोगों के साथ वह लखनऊ आ गए। मिर्ज़ा दबीर की तालीमो तरबियत इसी लखनऊ के तहज़ीबी माहौल में हुई ज़ेहनी इरतिक़ा का सफर लखनऊ ही में तय किया।
गिरते ही ख़ाक पर शहदीं को ग़श आ ही गया
फिर भी न कोई पियासे को पानी पिला गया
ख़नजर लगा गया कोई नेज़ा लगा गया
खोली जो आंख शहर में जिगर ठर्रा गया
सर काटने का पावों किसी का न बढ़ सका
जुज़ रंगो ज़र्द और कोई मुंह न चढ़ सका।
पर आह आह शमर ने बढ़ कर ग़ज़ब किया
सीने पर मौज़ा हलक़ पे ख़नजर को रोक दिया
चालाते आए क़ब्रों से महबूबे किबरिया
बहीं गले में डालदी ख़ंजर पकड़ लिया
जौहरा पुकारी यह दिल हैदर का चैन है
मेरा हुसैन है अरे मेरा हुसैन है
#UrduPoetry
#Marsiya
#MirzaSalaamatAliDabeer
#MarsiyaMirzaDabeer
#IMAMBARA
#Muharram
6 سال پیش
در تاریخ 1396/12/17 منتشر شده
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