महामृत्युंजय मंत्र। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे। Mahamrityunjay Mantra. Om Tryambakam Yajamahe.#mantra

MANTRA SHAKTI AUR SAMADHAN
MANTRA SHAKTI AUR SAMADHAN
672 بار بازدید - 3 هفته پیش - महामृत्युंजय मंत्र। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
महामृत्युंजय मंत्र। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
इस मंत्र का जप सर्वदेव पूजा , यज्ञ और हवन में  शिव जी का आवाहन करने तथा उनको आहुति देने हेतु करते हैं।
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शिव जी के शक्तिशाली मंत्र

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शिव जी के मंत्र हिन्दी में

भगवान शिव के बारे में जानकारी
शंकर या महादेव सनातन शिव धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है।वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, भिलपती, भिलेश्वर,रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय , अय्यपा और गणेश हैं, तथा पुत्रियां अशोक सुंदरी , ज्योति और मनसा देवी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है।
शिव -शांति, विनाश, समय, योग, ध्यान, नृत्य, प्रलय और वैराग्य के देवता, सृष्टि के संहारक , जगत पिता , परब्रह्म
अन्य नाम- नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, महेश्वर, पशुपतिनाथ, नटराज, भोलेनाथ, बैद्यनाथ, रुद्र , भैरव आदि
संबंध -हिन्दू देवता, परब्रह्म, परमात्मा, परमेश्वर
निवास स्थान- कैलाश पर्वत
अस्त्र- त्रिशूल , पिनाक धनुष, परशु ,पशुपतास्त्र
जीवनसाथी- पार्वती (सती का पुनर्जन्म) और सती
भाई-बहन- सरस्वती (छोटी बहन)
संतान- कार्तिकेय ,गणेश , अशोकसुन्दरी , अय्यपा, मनसा देवी और ज्योति
सवारी- नन्दी

शंकर जी को संहार का देवता कहा जाता है। शंंकर जी सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। इन्हें अन्य देवों से बढ़कर माना जाने के कारण महादेव कहा जाता है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। शिव के कुछ प्रचलित नाम, महाकाल, आदिदेव, किरात, शंकर, चन्द्रशेखर, जटाधारी, नागनाथ, मृत्युंजय [मृत्यु पर विजयी], त्रयम्बक, महेश, विश्वेश, महारुद्र, विषधर, नीलकण्ठ, महाशिव, उमापति [पार्वती के पति], काल भैरव, भूतनाथ, त्रिलोचन [तीन नयन वाले], शशिभूषण आदि।

भगवान शिव को रूद्र नाम से जाना जाता है रुद्र का अर्थ है रुत् दूर करने वाला अर्थात दुखों को हरने वाला अतः भगवान शिव का स्वरूप कल्याण कारक है। रुद्राष्टाध्यायी के पांचवे अध्याय में भगवान शिव के अनेक रूप वर्णित हैं रूद्र देवता को स्थावर जंगम सर्व पदार्थ रूप, सर्व जाति मनुष्य देव पशु वनस्पति रूप मानकर के सर्व अंतर्यामी भाव एवं सर्वोत्तम भाव सिद्ध किया गया है इस भाव का ज्ञाता होकर साधक अद्वैतनिष्ठ बनता है।


१. भगवान शिव का मूलनाम मंत्र
ॐ नमः शिवाय

२.ॐ नमो: भगवते रूद्राय

३. शिव वैदिक मंत्र
ॐ नम : शम्भवाय च मयोभवाय च  ।
नमः शंकराय च महेस्कराय च
नमः शिवाय च  शिवतराय च।

४. महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

(OM. Tryambakam Yajamahe, Sugandhim Pushti-Vardhanam, Urvarukamiva Bandhanaan, Mrityor Mukshiya mamritaat...)

महामृत्युंजय मंत्र का हिंदी अर्थ

इस मंत्र का हिंदी अर्थ है कि हम जिन भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं। जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।
5. रुद्र  गायत्री मंत्र :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।।

6. शिव पंचाक्षर स्तोत्र

7. ब्रह्मा विष्णु महेश का  गुरु मंत्र

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु : गुरुर्देवोमहेश्वर :

गुरुर्साक्षात्  परब्रह्म: तस्मै श्री गुरुवे नमः

8. कर्पूर गौरम् करुणावतारम् मंत्र

कर्पूर गौरम् करुणावतारम् संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम्
सदा वसन्तम्  हृदयार्विन्दे भवम् भवानी सहितम् नमामि।।
कर्पूर गौरम् करुणावतारं मंत्र का अर्थ

अर्थात, हे शिव, आप कर्पूर के समान गौर वर्णवाले हैं, आप करुणा के अवतार हैं, आप संसार का सार हैं, और आप सर्प का हार धारण करने वाले हैं। हे शंकर, आप माता भवानी के साथ मेरे हृदय में सदा वास करें। हे शिव, हम आपको हमारा प्रणाम समर्पित करते
9. रुद्राष्टकम्
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।
THESE MANTRAS ARE RECITED 5,11,21,51,108 TIMES IN YAGYA (यज्ञ) TO GET BLESS FROM LORD SHIVA.
ABOUT MANTRA

LYRICS -  RIG VED , Rudrasthadhyayi, रुद्री

Sound :  Pt. H S SHARMA

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