भगवान शिव का सबसे सरल मंत्र ।ॐ नमः शिवाय। Bhagwan shiv ka Mool Naam Mantra. Om Namah Shivay.#mantra

MANTRA SHAKTI AUR SAMADHAN
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77 بار بازدید - 2 ماه پیش - भगवान शिव का मूल नाम
भगवान शिव का मूल नाम मंत्र ।ॐ नमः शिवाय । Bhagwan shiv ka Mool Naam Mantra. Om Namah Shivay . इस मंत्र का जाप शिवजी की नित्य पूजा में भगवान शिव का अभिषेक करते समय किया जाता है। इस मंत्र नियमित जाप करने से सभी नकारात्मक प्रभाव खत्म होते हैं।
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Mantra by H S Sharma

भगवान शिव के बारे में जानकारी
शंकर या महादेव सनातन शिव धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है।वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, भिलपती, भिलेश्वर,रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय , अय्यपा और गणेश हैं, तथा पुत्रियां अशोक सुंदरी , ज्योति और मनसा देवी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है।
शिव -शांति, विनाश, समय, योग, ध्यान, नृत्य, प्रलय और वैराग्य के देवता, सृष्टि के संहारक , जगत पिता , परब्रह्म
अन्य नाम- नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, महेश्वर, पशुपतिनाथ, नटराज, भोलेनाथ, बैद्यनाथ, रुद्र , भैरव आदि
संबंध -हिन्दू देवता, परब्रह्म, परमात्मा, परमेश्वर
निवास स्थान- कैलाश पर्वत
अस्त्र- त्रिशूल , पिनाक धनुष, परशु ,पशुपतास्त्र
lजीवनसाथी- पार्वती (सती का पुनर्जन्म) और सती
भाई-बहन- सरस्वती (छोटी बहन)
संतान- कार्तिकेय ,गणेश , अशोकसुन्दरी , अय्यपा, मनसा देवी और ज्योति
सवारी- नन्दी

शंकर जी को संहार का देवता कहा जाता है। शंंकर जी सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। इन्हें अन्य देवों से बढ़कर माना जाने के कारण महादेव कहा जाता है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है।

भगवान शिव को रूद्र नाम से जाना जाता है रुद्र का अर्थ है रुत् दूर करने वाला अर्थात दुखों को हरने वाला अतः भगवान शिव का स्वरूप कल्याण कारक है। रुद्राष्टाध्यायी के पांचवे अध्याय में भगवान शिव के अनेक रूप वर्णित हैं रूद्र देवता को स्थावर जंगम सर्व पदार्थ रूप, सर्व जाति मनुष्य देव पशु वनस्पति रूप मानकर के सर्व अंतर्यामी भाव एवं सर्वोत्तम भाव सिद्ध किया गया है इस भाव का ज्ञाता होकर साधक अद्वैतनिष्ठ बनता है।


भगवान शिव के प्रमुख मंत्र

१. भगवान शिव का मूलनाम मंत्र
ॐ नमः शिवाय

२.ॐ नमो: भगवते रूद्राय

३. शिव वैदिक मंत्र
ॐ नम : शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च महेस्कराय च   नमः शिवाय च नमः शिवतराय च।

इस मंत्र की  एक यह भी विशेषता है कि इस में भगवान शिव के 6 सबसे सरल नाम शामिल है जिससे इसका प्रभाव भगवान शिव के मूल  नाम मंत्र  "ॐ नमः शिवाय" से 6 गुणा है। शायद यही कारण रहा होगा जिससे इस मंत्र का जप भगवान शिव के मुख्य आवाहन मंत्र के रूप में सभी शुभ कार्यों में किया जाता है। यह मंत्र रुद्राष्टाध्यायी के पांचवे अध्याय में  शामिल है
४. महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

महामृत्युंजय मंत्र का हिंदी अर्थ

इस मंत्र का हिंदी अर्थ है कि हम जिन भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं। जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।

5. रुद्र  गायत्री मंत्र :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।।

6. शिव पंचाक्षर स्तोत्र

7. ब्रह्मा विष्णु महेश का  गुरु मंत्र

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु : गुरुर्देवोमहेश्वर :

गुरुर्साक्षात्  परब्रह्म: तस्मै श्री गुरुवे नमः

8. शिव महिमामंत्र

कर्पूर गौरम् करुणावतारम् संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा वसन्तम्  हृदयार्विन्दे भवम् भवानी सहितम् नमामि।।
9.रुद्राष्टकम्

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपम् ।।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्।।



THESE MANTRAS ARE RECITED 108 TIMES IN YAGYA (यज्ञ) TO GET BLESS FROM LORD SHIVA.


ABOUT MANTRA

LYRICS -  RIG VED , Rudrasthadhyayi, रुद्री

Singer:  Pt. H. S. SHARMA

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शिव मंत्र
2 ماه پیش در تاریخ 1403/04/15 منتشر شده است.
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