दिवाली विशेष कथा | माँ लक्ष्मी हुई समुद्र मंथन से अवतरित | Jai Mahalaxmi Katha | 2023

Tilak
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210.2 هزار بار بازدید - 10 ماه پیش - भक्त को भगवान से और
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!

असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन होता हिया तो उसमें से बहुत साई चीजें निकलती हैं जिन्हें देवताओं और असुरों में बाँटने की बात की जाती है। समुद्र मंथन से अश्वों का राजा निकलता है और फिर समुद्र मंथन से ऐरावत निकलता है। कुछ समय बाद समुद्र मंथन से कोसतुब मणि निकलती है। देवता और असुर सभी एक एक करके वस्तुओं को अपने लिए रखने की बात करते हैं। समुद्र मंथन से कामधेनु गाय निकलती है और फिर कल्प वृक्ष निकलता है। उसके बाद समुद्र मंथन से चिंतामणि निकलती है। इन सभी वस्तुओं के बाद लक्ष्मी माता अपने महालक्ष्मी रूप को समुद्र से अवतरित करती हैं। देवी देवता और असुर लक्ष्मी माता की आराधना करते हैं। असुर राज लक्ष्मी माता को देख कर उसे अपने अधीन कर अपने साथ असुर लोक में ले जाने की ज़िद्द करता है। लक्ष्मी माता उसे मना कर देती है। असुर राज बलि लक्ष्मी माता को बंदी बनाने की कोशिश करता है परंतु बना नहीं पाता। असुर गुरु शुक्राचार्य असुर राज बलि को माता लक्ष्मी की शरण में जाने को कहते हैं। बलि लक्ष्मी माता से क्षमा माँगता है।

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10 ماه پیش در تاریخ 1402/08/20 منتشر شده است.
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