तुम मुझको कब तक रोकोगे हरिवंशराय बच्चन | Harivansh rai bachchan kavita | हिंदी कविता
50.3 هزار بار بازدید -
2 سال پیش
-
तुम मुझको कब तक रोकोगे
तुम मुझको कब तक रोकोगे हरिवंशराय बच्चन | Harivansh rai bachchan kavita | हिंदी कविता
motivational कविताएं
तुम मुझको कब तक रोकोगे
मुट्ठी मे कुछ सपने लेकर
भरकर जेबों में आशाएं
दिल में है अरमान यही
कुछ कर जाएं – कुछ कर जाएं
सूरज सा तेज नही मुझमें
दीपक सा जलता देखोगे
अपनी हद रोशन करने से
तुम मुझको कब तक रोकोगे
मैं इस माटी का वृक्ष नही
जिसको नदियों ने सीचा है
बंजर माटी में पलकर मेने
मृत्यु से जीवन खींचा है
मैं पत्थर पर लिखी इबादत हु
सीसे कब तक तोड़ोगे
मिटने वाला में नाम नहीं
तुम मुझको कब तक रोकोगे
इस जग में जितने जुल्म नही
उतने सहने की ताकत है
तानो के भी शोर में रहकर
सच कहने की आदत है
में सागर से भी गहरा हु
तुम कितने कंकर फेकोगे
चुन चुन कर आगे बडूंगा मे
तुम मुझको कब तक रोकोगे
#हिंदी #हिन्दीकविता #hindi #hindikavita #harivanshraibachchan
motivational कविताएं
तुम मुझको कब तक रोकोगे
मुट्ठी मे कुछ सपने लेकर
भरकर जेबों में आशाएं
दिल में है अरमान यही
कुछ कर जाएं – कुछ कर जाएं
सूरज सा तेज नही मुझमें
दीपक सा जलता देखोगे
अपनी हद रोशन करने से
तुम मुझको कब तक रोकोगे
मैं इस माटी का वृक्ष नही
जिसको नदियों ने सीचा है
बंजर माटी में पलकर मेने
मृत्यु से जीवन खींचा है
मैं पत्थर पर लिखी इबादत हु
सीसे कब तक तोड़ोगे
मिटने वाला में नाम नहीं
तुम मुझको कब तक रोकोगे
इस जग में जितने जुल्म नही
उतने सहने की ताकत है
तानो के भी शोर में रहकर
सच कहने की आदत है
में सागर से भी गहरा हु
तुम कितने कंकर फेकोगे
चुन चुन कर आगे बडूंगा मे
तुम मुझको कब तक रोकोगे
#हिंदी #हिन्दीकविता #hindi #hindikavita #harivanshraibachchan
2 سال پیش
در تاریخ 1401/04/08 منتشر شده
است.
50,352
بـار بازدید شده