Safar Me Dhoop To Hogi Jo Chal Sako To Chalo | Nida Fazli | Hindi Poem
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3 سال پیش
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निदा फ़ाज़ली सफ़र में धूप
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहां बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
यहां किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज धुआं धुआं है फ़ज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो
यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
Recited by Hashim Haider.
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#nidafazli #safar #poetry #hindi #poems
3 سال پیش
در تاریخ 1400/07/02 منتشر شده
است.
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