Aditya Hridaya Stotra Hindi - आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी | Aditya Hridaya in Hindi | Aditya Hridaya

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Aditya Hridaya Stotra Hindi - आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी | Aditya Hridaya in Hindi | Aditya Hridaya

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आदित्य हृदय स्तोत्र के फायदे / आदित्य हृदय स्तोत्र के लाभ

आदित्य ह्रदय स्तोत्र पाठ अथवा श्रवण के कुछ विशेष लाभ
कुंडली से सूर्य गृह दोष निवारण
भगवान् सूर्य के कारण ही नेत्रों में तेज होता है इसलिए यह नेत्र रोग निवारक स्तोत्र भी है
इसके पाठ अथवा श्रवण से बुद्धि तीक्ष्ण होती है
समस्त प्रकार के चर्म रोग दूर होते है
आत्मविश्वास में वृद्धि होती है
तनाव व नकारात्मकता कम हो जाती है तथा
भगवान् सूर्य की कृपा से पिता पुत्र में अच्छे सम्बन्ध हो जाते हैं
- यदि कोई सरकारी विवाद चल रहा हो तो भी आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना लाभकारी होता है, प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग प्राप्त होता है।

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आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी /  आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी में

'उधर श्रीरामचन्द्रजी युद्धसे थककर चिन्ता करते हुए रणभूमिमें खड़े थे। इतनेमें रावण भी युद्धके लिये उनके सामने उपस्थित हो गया। यह देख भगवान् अगस्त्य मुनि, जो देवताओंके साथ युद्ध देखनेके लिये आये थे, श्रीरामके पास जाकर बोले ' ॥ १-२ ॥

'सबके हृदयमें रमण करनेवाले महाबाहो राम ! यह सनातन गोपनीय स्तोत्र सुनो। वत्स! इसके जपसे तुम युद्धमें अपने समस्त शत्रुऑपर विजय पा जाओगे। इस गोपनीय स्तोत्रका नाम है 'आदित्यहृदय' । यह परम पवित्र और सम्पूर्ण शत्रुओंका नाश करनेवाला है। इसके जपसे सदा विजयकी प्राप्ति होती है। यह नित्य अक्षय और परम कल्याणमय स्तोत्र है । सम्पूर्ण मंगलोंका भी मंगल है। इससे सब पापोंका नाश हो जाता है। यह चिन्ता और शोकको मिटाने तथा आयुको बढ़ानेवाला उत्तम साधन है' ॥ ३–५॥

'भगवान् सूर्य अपनी अनन्त किरणोंसे सुशोभित (रश्मिमान्) हैं। ये नित्य उदय होनेवाले (समुद्यन्), देवता और असुरोंसे नमस्कृत, विवस्वान् नामसे प्रसिद्ध, प्रभाका विस्तार करनेवाले (भास्कर) और संसारके स्वामी (भुवनेश्वर) हैं। तुम इनका [रश्मिमते नमः, समुद्यते नमः, देवासुरनमस्कृताय नमः, विवस्वते नमः, भास्कराय नमः, भुवनेश्वराय नमः - इन नाम- मन्त्रोंके द्वारा] पूजन करो। 'सम्पूर्ण देवता इन्हींके स्वरूप हैं। ये तेजकी राशि तथा अपनी किरणोंसे जगत्‌को सत्ता एवं स्फूर्ति प्रदान करनेवाले हैं।

ये अपनी रश्मियोंका प्रसार करके देवता और असुरोंसहित सम्पूर्ण लोकोंका पालन करते हैं। ये ही ब्रह्मा, विष्णु, शिव, स्कन्द, प्रजापति, इन्द्र, कुबेर, काल, यम, चन्द्रमा,वरुण, पितर, वसु, साध्य, अश्विनीकुमार, मरुद्गण, मनु, वायु, अग्नि, प्रजा, प्राण, ऋतुओंको प्रकट करनेवाले तथा प्रभाके पुंज हैं। इन्हींके नाम आदित्य (अदितिपुत्र), सविता (जगत्को उत्पन्न करनेवाले), सूर्य (सर्वव्यापक), खग (आकाशमें विचरनेवाले), पूषा (पोषण करनेवाले), गभस्तिमान् (प्रकाशमान), सुवर्णसदृश,
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ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् । रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम् ॥1॥
दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् । उपगम्याब्रवीद् राममगस्त्यो भगवांस्तदा ॥2॥
राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्मं सनातनम् । येन सर्वानरीन्‌ वत्स समरे विजयिष्यसे ॥3॥

आदित्यहृदयं  पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम् । जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम् ॥4॥
सर्वमंगलमागल्यं सर्वपापप्रणाशनम् । चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम् ॥5॥
रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम् । पुजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम् ॥6॥

सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावन: । एष देवासुरगणांल्लोकान्‌ पाति गभस्तिभि: ॥7॥
एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिव: स्कन्द: प्रजापति: । महेन्द्रो धनद: कालो यम: सोमो ह्यापां पतिः ॥8॥
पितरो वसव: साध्या अश्विनौ मरुतो मनु: । वायुर्वहिन: प्रजा प्राण ऋतुकर्ता प्रभाकर: ॥9॥

आदित्य: सविता सूर्य: खग: पूषा गभस्तिमान् । सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेता दिवाकर: ॥10॥
हरिदश्व: सहस्त्रार्चि: सप्तसप्तिर्मरीचिमान् । तिमिरोन्मथन: शम्भुस्त्वष्टा मार्तण्डकोंऽशुमान् ॥11॥
हिरण्यगर्भ: शिशिरस्तपनोऽहस्करो रवि: । अग्निगर्भोऽदिते: पुत्रः शंखः शिशिरनाशन: ॥12॥
व्योमनाथस्तमोभेदी ऋग्यजु:सामपारग: । घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवंगमः ॥13॥
आतपी मण्डली मृत्यु: पिगंल: सर्वतापन:। कविर्विश्वो महातेजा: रक्त:सर्वभवोद् भव: ॥14॥
नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावन: । तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन्‌ नमोऽस्तु ते ॥15॥

नम: पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नम: । ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नम: ॥16॥
जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नम: । नमो नम: सहस्त्रांशो आदित्याय नमो नम: ॥17॥
नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नम: । नम: पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते ॥18॥
ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सुरायादित्यवर्चसे । भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नम: ॥19॥..............
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स्वर - भास्कर पंडित
Voice By - Bhaskar Pandit  

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"लगाइये आस्था की डुबकी "
~ मंत्र सरोवर ~
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11 ماه پیش در تاریخ 1402/05/28 منتشر شده است.
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