Aparajita Stotram In Hindi - अपराजिता स्तोत्र हिंदी में | Aparajita Stotra - अपराजिता स्त्रोत
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Aparajita Stotram In Hindi -
Aparajita Stotram In Hindi - अपराजिता स्तोत्र हिंदी में | Aparajita Stotra - अपराजिता स्त्रोत
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अपराजिता स्तोत्र हिंदी में / अपराजिता स्तोत्र हिंदी
अपराजिता स्त्रोत हिंदी में / अपराजिता स्त्रोत हिंदी में
अपराजिता स्तोत्रम हिंदी में / अपराजिता स्तोत्रम हिंदी
(इस वैष्णवी अपराजिता महाविद्या के वामदेव बृहस्पति मार्कण्डेय ऋषि हैं गायत्री हैं उष्णिग् अनुष्टुप् बृहति छन्द है , लक्ष्मी नरसिंह देवता क्लीं बीजम् है , हुं शक्ति है , सकलकामना सिद्धिके लिये अपराजिता विद्या मन्त्रपाठ में इसका विनियोग किया जाता है
नीलकमलदल के समान श्यामल रंग वाली भुजङ्गों ( सर्पों ) के आभरण से युक्त शुद्धस्फटिकके समान उज्ज्वल वर्ण तथा कोटी चन्द्र के समान मुख वाली
शंख चक्र धारण करने वाली बालचन्द्र मस्तक पर धारण करने वाली, वैष्णवी अपराजिता देवीको नमस्कार करके महान् तपस्वी मार्कण्डेय ऋषि ने इस स्तोत्र का पाठ किया
मार्कण्डेय ऋषि ने कहा - हे मुनियों सर्वार्थ सिद्धिदेनेवाली असिद्धसाधिका वैष्णवी अपराजिता देवी के इस स्तोत्र को सुनिए
ॐ नारायण भगवान को नमस्कार , वासुदेव भगवान को नमस्कार, अनन्तभगवान् को नमस्कार है ,जो सहस्र सिर वाले क्षीर सागर में शयन करने वाले, शेष नाग के शैया में शयन करने वाले, गरुड वाहन वाले, अमोघ, अजन्मा, अजित, तथा पीतांबर धारण करने वाले हैं उन भगवान् को नमस्कार है
ॐ हे वासुदेव, संकर्षण प्रद्युम्न, अनिरुद्ध, हयग्रिव, मत्स्य, कूर्म, वाराह, नृसिंह, अच्युत, वामन, त्रिविक्रम, श्रीधर, राम, बलाराम, परशुराम, हे वरदायक, आप मेरे लिये वरदायक हों आपको नमस्कार है।
ॐ असुर दैत्य यक्ष राक्षस भूत-प्रेत,पिशाच, कूष्माण्ड, सिद्ध, योगिनी, डाकिनी-शाकिनी, स्कन्दग्रह, उपग्रह, नक्षत्रग्रह, तथा अन्य ग्रहों को मारो मारो पाचन करो पाचन करो। मथन करो मथन करो विध्वंस करो विध्वंस करो तोड दो तोड दो चूर्ण करो चूर्ण करो। शङ्ख चक्र वज्र शूल गदा मुसल तथा हल से भस्म करो ।
ॐ हे सहस्र बाहु, हे सहस्र प्रकार के आयुध वाले, जय, विजय, अजित, अमित, अपराजित, अप्रतिहत, सहस्रनेत्र, जलाने वाले, प्रज्वालित करने वाले, विश्वरूप, बहुरूप, मधुसूदन, महावराह, महापुरुष, वैकुण्ठ, नारायण, पद्मनाभ, गोविन्द, दामोदर, हृषिकेश, केशव,, सभी असुरोंको उत्सादन करने वाले, हे सभी भूत प्राणियों को वश में करने वाले, हे सभी दुःस्वप्न नाश करने वाले, सभी यन्त्रों को नाश करने वाले, सभी नागों को विमर्दन करने वाले, सर्वदेवों के महादेव, सभी बन्धनों का विमोक्ष करने वाले, सभी अहितों को मर्दन करने वाले, सभी ज्वरों को नाश करने वाले, सभी ग्रहों को निवारण करने वाले, सभी पापों को प्रशमन करने वाले, हे जनार्दन आप को नमस्कार है।
..... rest of the aparajita stotra in hindi is in the video
aparajita stotram benefits / aparajita stotra ke fayde / aparajita stotra ke labh
अपराजिता स्तोत्र के लाभ / अपराजिता स्तोत्र के फायदे
इस अपराजित स्तोत्र की रचना स्वयं श्री हरी नारायण ने की है, यह स्तोत्र इतना प्रभावशाली है की इसका पाठ अथवा श्रवण करने वाले के प्राण स्वयं यमराज भी नहीं ले पाते तथा वह इससे डरकर पाठ करनेवाले के चरणों में गिर जाते हैं
यह स्तोत्र शत्रु का नाश करता है , विष से बचाता है , चोरी और डकैती से सुरक्षा देता है , आपके बारे में बुरा सोचने वालों को हर प्रकार से कष्ट देता है , आपके ऊपर से हर प्रकार की तंत्र विद्या का नाश कर देता है , भूत - प्रेत आदि इस सुनते ही भाग जाते हैं , बाँझपन दूर होता है , तथा सर्प दोष आदि भय नष्ट हो जाते हैं
इस स्तोत्र के समस्त लाभों का वर्णन संभव नहीं बस निरंतर इस अपराजित स्तोत्र के श्रवण से इसके लाभ प्रत्यक्ष होने लगते हैं
aparajita stotra / aparajita stotra lyrics
aparajita stotram lyrics
ॐ निलोत्पलदलश्यामां भुजङ्गाभरणान्विताम् । शुद्धस्फटिकसङ्काशां चन्द्रकोटिनिभाननाम् ॥ १॥
शङ्खचक्रधरां देवी वैष्णवीमपराजिताम् बालेन्दुशेखरां देवीं वरदाभयदायिनीम् ॥ २ नमस्कृत्य पपाठैनां मार्कण्डेयो महातपाः ॥ ३॥
शृणुष्वं मुनयः सर्वे सर्वकामार्थसिद्धिदाम् । असिद्धसाधनीं देवीं वैष्णवीमपराजिताम् ॥ ४ ॥
ॐ नमो नारायणाय, नमो भगवते वासुदेवाय, नमोऽस्त्वनन्ताय सहस्रशीर्षायणे, क्षीरोदार्णवशायिने, शेषभोगपर्य्यङ्काय, गरुडवाहनाय, अमोघाय अजाय अजिताय पीतवाससे,
ॐ वासुदेव सङ्कर्षण प्रद्युम्न, अनिरुद्ध, हयग्रिव, मत्स्य कूर्म्म, वाराह नृसिंह, अच्युत, वामन, त्रिविक्रम, श्रीधर राम राम राम । वरद, वरद, वरदो भव, नमोऽस्तु ते, नमोऽस्तुते, स्वाहा,
ॐ असुर दैत्य-यक्ष-राक्षस भूत-प्रेत-पिशाच- कूष्माण्ड- सिद्ध-योगिनी - डाकिनी- शाकिनी - स्कन्दग्रहान् उपग्रहान्नक्षत्रग्रहांश्चान्या हन हन पच पच मथ मथ विध्वंसय विध्वंसय विद्रावय विद्रावय चूर्णय चूर्णय शङ्खेन चक्रेण वज्रेण शूलेन गदया मुसलेन हलेन भस्मीकुरु कुरु स्वाहा।
rest of the aparajita stotram lyrics is in the video
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स्वर - भास्कर पंडित
Voice By - Bhaskar Pandit
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"लगाइये आस्था की डुबकी "
~ मंत्र सरोवर ~
@MantraSarovar
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ॐ नारायण भगवान को नमस्कार , वासुदेव भगवान को नमस्कार, अनन्तभगवान् को नमस्कार है ,जो सहस्र सिर वाले क्षीर सागर में शयन करने वाले, शेष नाग के शैया में शयन करने वाले, गरुड वाहन वाले, अमोघ, अजन्मा, अजित, तथा पीतांबर धारण करने वाले हैं उन भगवान् को नमस्कार है
ॐ हे वासुदेव, संकर्षण प्रद्युम्न, अनिरुद्ध, हयग्रिव, मत्स्य, कूर्म, वाराह, नृसिंह, अच्युत, वामन, त्रिविक्रम, श्रीधर, राम, बलाराम, परशुराम, हे वरदायक, आप मेरे लिये वरदायक हों आपको नमस्कार है।
ॐ असुर दैत्य यक्ष राक्षस भूत-प्रेत,पिशाच, कूष्माण्ड, सिद्ध, योगिनी, डाकिनी-शाकिनी, स्कन्दग्रह, उपग्रह, नक्षत्रग्रह, तथा अन्य ग्रहों को मारो मारो पाचन करो पाचन करो। मथन करो मथन करो विध्वंस करो विध्वंस करो तोड दो तोड दो चूर्ण करो चूर्ण करो। शङ्ख चक्र वज्र शूल गदा मुसल तथा हल से भस्म करो ।
ॐ हे सहस्र बाहु, हे सहस्र प्रकार के आयुध वाले, जय, विजय, अजित, अमित, अपराजित, अप्रतिहत, सहस्रनेत्र, जलाने वाले, प्रज्वालित करने वाले, विश्वरूप, बहुरूप, मधुसूदन, महावराह, महापुरुष, वैकुण्ठ, नारायण, पद्मनाभ, गोविन्द, दामोदर, हृषिकेश, केशव,, सभी असुरोंको उत्सादन करने वाले, हे सभी भूत प्राणियों को वश में करने वाले, हे सभी दुःस्वप्न नाश करने वाले, सभी यन्त्रों को नाश करने वाले, सभी नागों को विमर्दन करने वाले, सर्वदेवों के महादेव, सभी बन्धनों का विमोक्ष करने वाले, सभी अहितों को मर्दन करने वाले, सभी ज्वरों को नाश करने वाले, सभी ग्रहों को निवारण करने वाले, सभी पापों को प्रशमन करने वाले, हे जनार्दन आप को नमस्कार है।
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ॐ निलोत्पलदलश्यामां भुजङ्गाभरणान्विताम् । शुद्धस्फटिकसङ्काशां चन्द्रकोटिनिभाननाम् ॥ १॥
शङ्खचक्रधरां देवी वैष्णवीमपराजिताम् बालेन्दुशेखरां देवीं वरदाभयदायिनीम् ॥ २ नमस्कृत्य पपाठैनां मार्कण्डेयो महातपाः ॥ ३॥
शृणुष्वं मुनयः सर्वे सर्वकामार्थसिद्धिदाम् । असिद्धसाधनीं देवीं वैष्णवीमपराजिताम् ॥ ४ ॥
ॐ नमो नारायणाय, नमो भगवते वासुदेवाय, नमोऽस्त्वनन्ताय सहस्रशीर्षायणे, क्षीरोदार्णवशायिने, शेषभोगपर्य्यङ्काय, गरुडवाहनाय, अमोघाय अजाय अजिताय पीतवाससे,
ॐ वासुदेव सङ्कर्षण प्रद्युम्न, अनिरुद्ध, हयग्रिव, मत्स्य कूर्म्म, वाराह नृसिंह, अच्युत, वामन, त्रिविक्रम, श्रीधर राम राम राम । वरद, वरद, वरदो भव, नमोऽस्तु ते, नमोऽस्तुते, स्वाहा,
ॐ असुर दैत्य-यक्ष-राक्षस भूत-प्रेत-पिशाच- कूष्माण्ड- सिद्ध-योगिनी - डाकिनी- शाकिनी - स्कन्दग्रहान् उपग्रहान्नक्षत्रग्रहांश्चान्या हन हन पच पच मथ मथ विध्वंसय विध्वंसय विद्रावय विद्रावय चूर्णय चूर्णय शङ्खेन चक्रेण वज्रेण शूलेन गदया मुसलेन हलेन भस्मीकुरु कुरु स्वाहा।
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स्वर - भास्कर पंडित
Voice By - Bhaskar Pandit
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"लगाइये आस्था की डुबकी "
~ मंत्र सरोवर ~
@MantraSarovar
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در تاریخ 1402/06/07 منتشر شده
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