जय गंगा मैया कथा | शुक्राचार्य की माता भद्री की कथा

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2.8 میلیون بار بازدید - پارسال - भक्त को भगवान से और
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!

Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here - दर्शन दो भगवान | Darshan Do Bhagwaan ...

Watch the Short story ''Shukracharya ki mata Bhadri ki katha' now!

Watch all Ramanand Sagar's Jai Ganga Maiya full episodes here - http://bit.ly/JaiGangaMaiya

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बहुत समय पहले देवताओं और असुरों  में युद्ध हो रहा था। असुर देवताओं से बचने के लिए उनसे छिपते हुए ऋषि भृगु के आश्रम में शरण लेते हैं। देवता असुरों का पीछा करते हुए आश्रम पर पहुँच जाते हैं। ऋषि भृगु की पत्नी देवताओं को असुरों को सौंपने से मना कर देती हैं क्योंकि वो उनके शरणार्थी हैं। ब्रह्म देव वहाँ आकर गुरु माँ से कहते है की उन्हें असुरों को शरण नहीं देनी चाहिए जिस पर गुरु माँ उन्हें कहती है की यह आश्रम सभी के लिए खुला है यहाँ पर कोई भी आश्रय ले सकता है। और असुरों ने हमसे आश्रय माँगा है और अब वो यहाँ पर सुरक्षित रहेंगे। देवताओं के जाने के बाद गुरु माँ ऋषि भृगु से इस पर वार्ता करती हैं। ऋषि भृगु गुरु माँ की बात से सहमत होते हैं। असुर ब्रह्म देव की बात से चिंतित हो जाते हैं और उनके द्वारा गुरु माँ को असुरों के ख़िलाफ़ भड़काने की बात पर ब्रह्म देव को खाने के लिए निकल पड़ते हैं। जैसे ही असुर ब्रह्म देव को खाने पहुँचते हैं तो देवता उन्हें रोक देते हैं और फिर से उनमें युद्ध शुरू हो जाता है। असुर जब हारने लगते हैं तो असुर वहाँ से भाग कर ऋषि भृगु के आश्रम में आ जाते हैं। देवता उनके पीछे आश्रम में नहीं घुस पाते। शुक्राचार्य ब्रह्म देव की तपस्या करते हैं और उनसे तपस्या पूर्ण होने पर ब्रह्म देव से आशीर्वाद पाकर अपनी माता से मिलने ऋषि भृगु के आश्रम में आते हैं। शुक्राचार्य आश्रम में राक्षसों को देख कर हैरान हो जाते हैं। गुरु माँ से मिलने के बाद शुक्राचार्य अपनी माता से राक्षसों के आश्रम में होने का कारण पूछते हैं तो गुरु मैं उसे सब कुछ बता देती हैं। तभी वहाँ इंद्र देव आ जाते हैं जो गुरु माँ को कहते हैं की उन्होंने राक्षसों को आश्रम में शरण देकर अच्छा नहीं किया है। गुरु शुक्राचार्य इंद्र देव की बात सुन क्रोधित हो जाते हैं और इंद्र द्वारा अपनी माता के अपमान के बदले श्राप देने लगते हैं तो गुरु माँ शुक्राचार्य रोक देती हैं। इंद्र देव वहाँ से चले जाते हैं और ब्रह्मा जी को लेकर श्री हरी के पास जाते हैं और उनसे कहते हैं की आप ही कोई निवारण करे वो दुराचारी राक्षसों को भृगु जी के आश्रम से निकलें। श्री हरी गुरु माँ के सामने प्रकट होते हैं और उन्हें राक्षसों को आश्रम में शरण ना देने के लिए कहते हैं। देवताओं ने श्री हरी से प्रार्थना की उनकी इस समस्या का समाधान करना होगा। यदि दैत्यों का वध नहीं हुआ तो देवताओं का क्या होगा। देवताओं के अनुरोध पर श्री हरी अपने सुदर्शन को राक्षसों को मारने के लिए भेज देते हैं। सुदर्शन चक्र को आता देख राक्षस गुरु माँ से अपनी रक्षा की प्रार्थना करते हैं। गुरु माँ सुदर्शन चक्र को आदेश देती हैं की मैं ऋषि भृगु की पत्नी दिव्य आदेश देती हूँ की वापस चले जाए। सुदर्शन चक्र रुक जाता है और श्री हरी वहाँ प्रकट हो जाते हैं और गुरु माँ को कहते हैं की आपको ऐसा नहीं करना चाहिए तो गुरु माँ श्री हरी से कहती हैं की मैंने राक्षसों को अपनी शरण प्रदान की है इसलिए मेरे जीते जी ऐसा नहीं हो सकता। श्री हरी गुरु माँ को मोक्ष प्रदान करते हैं और उनके मारने के बाद सुदर्शन चक्र सभी राक्षसों को मार देते हैं।

Credits-
Directed By- Ramanand Sagar, Anand Sagar, Moti Sagar
Screenplay & Dialogue - Ramanand Sagar
Produced By- Ramanand Sagar, Subhash Sagar, Prem Sagar
Video Recordist- Ramesh Boricha, Shekhar Bhujbal
Art Director- Mukesh Kalola
Cinematography- Avinash Satoskar, Santosh Kumar
Chief Sound Recordist- E. Rudra
Edited By- Narendra Arora, Dilip Surana
Lyrics & Music By- Ravindra Jain
Research & Adaptation- Ram Chandra Sadekar, Amjad Shaikh, Sr. B.P. Vyas
Title Song By- Ravi
Chief Technical Advisor- Jyoti Sagar
Cast- Rina Kapoor
S. D. Banerjee
Sunil Nagar
Kumar Hegde
Pinki Parikh
Shivani Goswami
Navneet Chouhan

In association with Divo - our YouTube  Partner

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پارسال در تاریخ 1402/01/25 منتشر شده است.
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