Amitabh Bachchan ने जब सुनाई Harivansh Rai Bachchan की यह Rare Kavita भारत के सांप | Sahitya Tak

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97.3 هزار بار بازدید - 4 سال پیش - #BharatKeSaanp
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राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने
एक बड़ा दफ्तर कायम कर
टेबल, कुर्सी, मेज, फाइलों, टेलीफोनों
टाइप की दस-बीस मशीनों की प्रदर्शनी लगवा करके
चपरासी से महासचिव तक
कर्मचारियों की पूरी पलटन बिठला कर के
सालों पत्राचार कराकर
लिक्खाड़ों की मीटिंग पर मीटिंग बुलाकर
सफर खर्च दैनिक भत्ते का बिल भुगता कर
अग्रिम रायल्टी की मोटी रकम चुकाकर
भारत के सांपों के ऊपर पुस्तक एक प्रकाशित की है
केंचुल से चिकने कागज पर कई तिरंगी तस्वीरों की
जिल्द बंधी, जाहिर है महंगी...
और बहुत से लोग खफा हैं
भारत की गरीब जनता तक कैसे ये पुस्तक पहुंचेगी
भारत की नंगी, भूखी जनता के आगे
खड़ी समस्यायें जितनी हैं उनमें क्यों दें
प्राथमिकता इसको कि वो सांपों का ज्ञान बढ़ाएं
सहमत उनसे किंतु नहीं मैं...
भारत के इतिहास, धर्म, संस्कृति के पीछे
सांपों ने भूमिका अदा की जो
वो किससे छुपी हुई है
टिकी हुई है भूमि सांप ही के फन पर तो
ज्ञान मिले सांपों का कितनी ही कीमत पर
वो सस्ता है
अ से ज्ञ तक, मैंने पूरी पुस्तक पढ़ ली
और मेरी और ही शिकायत
कहने का अधिकार आपको सही गलत है
पुस्तक भर में भारत के जहरीले सांपों का
कोई जिक्र नहीं है....सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने पिता हरिवंशराय बच्चन को याद करते हुए  आज तक के मंच पर यह कविता सुनाई, जो आज की व्यवस्था, विशेषकर साहित्यिक संस्थानों पर एक ऐसा व्यंग्य है, जिसे नकारा नहीं जा सकता. तो बिग बी से सुनिए अकविता श्रेणी की बीग बी द्वारा पढ़ी गई 'भारत के सांप' नामक बच्चन जी की यह कविता. साहित्य तक पर खासतौर से आप के लिए.

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4 سال پیش در تاریخ 1399/02/01 منتشر شده است.
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