KILLING EXPERIMENT Confidential Gayatri Tantra मारण प्रयोग गोपनीय गायत्री तंत्र Spiritual Mystery

RADHEY ASTROLOGY & RESEARCH CENTRE
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मारण प्रयोग गोपनीय गायत्री तंत्र

मारण प्रयोग


तन्त्र ग्रन्थों में मारण, मोहन, उच्चाटन आदि के कितने ही प्रयोग मिलते हैं। शत्रु-नाश के लिए मारण प्रयोगों को काम में लाया जाता है। मारण कितने ही प्रकार का होता है। एक तो ऐसा है जिससे किसी मनुष्य की तुरन्त मृत्यु हो जाय। ऐसा प्रयोगों में ‘‘घात’’ या ‘‘कृत्या’’ प्रसिद्ध है। वह एक शक्तिशाली तांत्रिक अग्नि अस्त्र है जो प्रत्यक्षतः दिखाई नहीं पड़ता तो भी बन्दूक की गोली की तरह निशाने पर पहुंचता है और शत्रु को गिरा देता है। दूसरे प्रकार के मारण मन्द मारण कहे जाते हैं, इनके प्रयोग से किसी व्यक्ति को रोगी बनाया जा सकता है। ज्वर, दस्त, दर्द, लकवा, उन्माद, मतिभ्रम आदि रोगों का आक्रमण किसी व्यक्ति पर उसी प्रकार हो सकता है जिस प्रकार कीटाणु बमों से प्लेग, हैजा आदि महामारियों को फैलाया जाता है।

इस प्रकार के प्रयोग नैतिक दृष्टि से उचित हैं या अनुचित? यह प्रश्न दूसरा है, पर इतना निश्चित है कि यह असंभव नहीं, संभव है। जिस प्रकार विष खिलाकर या शस्त्र चलाकर किसी मनुष्य को मार डाला जा सकता है वैसे ही ऐसे अदृश्य उपकरण भी हो सकते हैं जिनको प्रेरित करने से प्रकृति के घातक परमाणु एकत्रित होकर अभीष्ट लक्ष की ओर दौड़ पड़ते हैं और उस पर भयंकर आक्रमण करके उस पर चढ़ बैठते हैं और परास्त करके प्राण संकट में डाल देते हैं। इसी प्रकार प्रकृति के गर्भ में विचरण करते हुए किसी रोग विशेष के कीटाणुओं को किसी व्यक्ति विशेष की ओर विशेष रूप से प्रेरित किया जा सकता है।

‘मृत्यु किरण’ आज का ऐसा ही वैज्ञानिक आविष्कार है। किसी प्राणी पर इन किरणों को डाला जाय तो उसकी मृत्यु हो जाती है। प्रत्यक्ष देखने में उस व्यक्ति को किसी प्रकार का घाव आदि नहीं होता पर अदृश्य मार्ग से उसके भीतरी अवयवों पर ऐसा सूक्ष्म आघात होता है कि उस प्रहार से उसका प्राणान्त हो जाता है। यदि वह आघात हलके दर्जे का हुआ तो उससे मृत्यु तो नहीं होती, पर मृत्यु तुल्य कष्ट देने वाले या घुला-घुलाकर मार डालने वाले रोग पैदा हो जाते हैं।

शाप देने की विद्या प्राचीन काल में अनेक लोगों को मालूम थी। जिसे शाप दिया था उसका बड़ा अनिष्ट होता था। शाप देने वाला अपनी आत्मिक शक्तियों को एकत्रित करके एक विशेष विधि-व्यवस्था के साथ जिसके ऊपर उनका प्रहार करता था, उसका वैसा ही अनिष्ट हो जाता था जैसा कि शाप देने वाला चाहता था। तान्त्रिक अभिचारों द्वारा भी इसी प्रकार से दूसरों का अनिष्ट हो सकता है। परन्तु ध्यान रखने की बात यह है कि इस प्रकार के प्रयोगों में प्रयोगकर्ता की शक्ति भी कम नष्ट नहीं होती। बालक प्रसव करने के उपरान्त माता बिलकुल निर्बल, निःसत्व हो जाती है, किसी को काटने के बाद सांप निस्तेज, हतवीर्य और शक्ति रहित हो जाता है। मारण, उच्चाटन के अभिचार करने वाले लोगों की शक्तियां भी भारी परिणाम में व्यय हो जाती हैं और उसकी क्षति-पूर्ति के लिए उन्हें असाधारण प्रयोग करने होते हैं।

जिस प्रकार तन्त्र द्वारा दूसरों का मारण, मोहन, उच्चाटन आदि अनिष्ट हो सकता है उसी प्रकार कोई कुशल तांत्रिक इस प्रकार के अभिचारों को रोक भी सकता है। उन प्रयोगों को निष्फल भी कर सकता है। यहां तक कि उस आक्रमण को इस प्रकार उलट सकता है कि वह प्रयोगकर्त्ता पर उलटा पड़े और उसी का अनिष्ट करदे। घात, कृत्या, चौकी आदि को कोई भिन्न तांत्रिक उलट दे तो उसके प्रेरिक प्रयोक्ता पर विपत्ति का पहाड़ टूटा हुआ ही समझिए।

उपरोक्त अनिष्टकर प्रयोग अक्सर होते हैं—तन्त्र विद्या द्वारा हो सकते हैं। पर नीति, धर्म, मनुष्यता और ईश्वरीय विधान की सुस्थिरता की दृष्टि से ऐसे प्रयोगों का किया जाना नितान्त अनुचित और अवांछनीय है। यदि इस प्रकार की गुप्त हत्याओं का तांता चल पड़े तो उससे लोक-व्यवस्था में भारी गड़बड़ी उपस्थित हो जाय और परस्पर के सद्भाव एवं विश्वास का नाश हो जाय। हर व्यक्ति दूसरों को आशंका, संदेह एवं अविश्वास की दृष्टि से देखने लगे। इसलिए तन्त्र विद्या के भारतीय तांत्रिकों ने इन क्रियाओं को निषिद्ध घोषित करके उन विधियों को गोपनीय रखा है। आजकल परमाणु बम बनाने के रहस्यों को बड़ी सावधानी से गुप्त रखा जा रहा है ताकि उनकी जानकारी सर्व सुलभ हो जाने से कहीं उसका दुरुपयोग न होने लगे। उसी प्रकार इन अभिचारों को भी सर्वथा गोपनीय रखने का ही नियम बनाया गया है।

मारण प्रयोग
मारण प्रयोग गोपनीय गायत्री तंत्र
6 سال پیش در تاریخ 1397/03/26 منتشر شده است.
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