Parvati Mangal - पार्वती मंगल | ❤️जैसा जीवनसाथी चाहेंगे वैसा ही मिलेगा ❤️| shiv vivah - शिव विवाह

Mantra Sarovar
Mantra Sarovar
6.7 هزار بار بازدید - 12 ماه پیش - Parvati Mangal - पार्वती मंगल
Parvati Mangal - पार्वती मंगल | ❤️जैसा जीवनसाथी चाहेंगे वैसा ही मिलेगा ❤️| shiv vivah - शिव विवाह
________________________________________________

kya hai parvati mangal ( shiv vivah ki katha ) / क्या है पार्वती मंगल ( शिव विवाह की कथा )

पार्वती-मङ्गल में गोस्वामी श्रीतुलसीदास जी ने देवाधिदेव भगवान् शङ्कर के द्वारा जगदम्बा पार्वती के कल्याणमय पाणिग्रहण का काव्यरूप में रसमय चित्रण किया है। जगदम्बा पार्वती जी ने भगवान् शङ्कर को पतिरूप में पाने के लिए कैसी-कैसी साधना व तप किए हैं और किन-किन क्लेशों को उन्होंने सहन किया है, उनके आराध्यदेव ने उनकी कैसे-कैसे परीक्षा ली और अन्त में कैसे माँ पार्वती जी ने शङ्कर जी को प्राप्त किया, उन सभी का वर्णन इस पार्वती-मङ्गल में में किया गया है। परम पूज्य तुलसीदास जी ने पार्वती जी की तपस्या व अनन्य निष्ठा का बहुत ही हृदयग्राही एवं मनोरम चित्र अपनी लेखनी द्वारा चित्रित किया है। शिव-बरात के वर्णन में तुलसीदास जी ने हास्य का पुट भी सम्मिलित किया है। अन्त में विवाह तथा विदाई का मार्मिक तथा रोचक वर्णन भी किया है। 'जानकी मङ्गल' के जैसे यह भी 'सोहर' और 'हरिगीतिका' छन्दों में रची गयी है। इसमें सोहर की 148 द्विपदियाँ तथा 16 हरिगीतिकाएँ हैं। इसकी भाषा भी 'जानकी मङ्गल के जैसे अवधी ही है।

parvati mangal padhne ke fayde / parvati mangal path ke fayde
parvati mangal path ke labh / parvati mangal benefits
पार्वती मंगल पाठ के फायदे  / शिव विवाह की कथा पाठ के फायदे

- विवाह न होने की समस्या दूर हो
- प्रेम विवाह की बाधा दूर हो
- जीवनसाथी के साथ मधुर सम्बन्ध
- प्रेम में बढ़ोतरी
- विवाह कार्य सकुशल संपन्न हो
- विवाह कार्य का आनंद हो

parvati mangal / parvati mangal path
parvati mangal paath / parvati mangal stotra
पार्वती मंगल / पार्वती मंगल पाठ
shiv vivah / shiv parvati vivah / shankar ji ka vivah
shankar vivah / शिव विवाह / शिव विवाह की कथा / शिव पार्वती विवाह

पार्वती-मंगल

बिनइ गुरहि गुनिगनहि गिरिहि गननाथहि ।

ह्रदयँ आनि सिय राम धरे धनु भाथहि ।।1।।

गावउँ गौरि गिरीस बिबाह सुहावन ।

पाप नसावन पावन मुनि मन भावन ।।2।।

अर्थ

गुरु की, गुणी लोगों अर्थात विज्ञजनों की, पर्वतराज हिमालय की और गणेश जी की वन्दना करके फिर जानकी जी की और भाथेसहित धनुष धारण करने वाले श्रीरामचन्द्र जी को स्मरण कर श्रीपार्वती और कैलासपति महादेव जी के मनोहर, पापनाशक, अन्तःकरण को पवित्र करने वाले और मुनियों के भी मन को रुचिकर लगने वाले विवाह का गान करता हूँ.


कबित रीति नहिं जानउँ कबि न कहावउँ ।

संकर चरित सुसरित मनहि अन्हवावउँ ।।3।।

पर अपबाद-बिबाद-बिदूषित बानिहि ।

पावन करौं सो गाइ भवेस भवानिहि ।।4।।

अर्थ

मैं काव्य की शैलियों को नहीं जानता और न कवि ही कहलाता हूँ, मैं तो केवल शिवजी के चरित्ररुपी श्रेष्ठ नदी में मन को स्नान कराता हूँ. और उसी श्रीशंकर एवं पार्वती-चरित्र का गान करके दूसरों की निंदा और वाद-विवाद से मलिन हुई वाणी को पवित्र करता हूँ.


जय संबत फागुन सुदि पाँचै गुरु छिनु ।

अस्विनि बिरचेउँ मंगल सुनि सुख छिनु छिनु ।।5।।

अर्थ

जय नामक संवत के फाल्गुन मास की शुक्ला पंचमी बृहस्पतिवार को अश्विनी नक्षत्र में मैंने इस मंगल विवाह-प्रसंग की रचना की है, जिसे सुनकर क्षण-क्षण में सुख प्राप्त होता है.


गुन निधानु हिमवानु धरनिधर धुर धनि ।

मैना तासु घरनि घर त्रिभुवन तियमनि ।।6।।

कहहु सुकृत केहि भाँति सराहिय तिन्ह कर ।

लीन्ह जाइ जग जननि जनमु जिन्ह के घर ।।7।।

मंगल खानि भवानि प्रगट जब ते भइ ।

तब ते रिधि-सिधि संपति गिरि गृह नित नइ ।।8।।

अर्थ

पर्वतों में शीर्षस्थानीय गुणों की खान हिमवान पर्वत धन्य हैं, जिनके घर में त्रिलोकी की स्त्रियों में श्रेष्ठ मैना नाम की पत्नी थी. कहो ! उनके पुण्य की किस प्रकार बड़ाई की जाय, जिनके घर में जगत के माता पार्वती ने जन्म लिया. जब से मंगलों की खान पार्वती प्रकट हुईं तभी से हिमाचल के घर में नित्य नवीन रिद्धि-सिद्धियाँ और संपत्तियाँ निवास करने लगीं.

________________________________________________________

स्वर - भास्कर पंडित
Voice By - Bhaskar Pandit  

________________________________________

"लगाइये आस्था की डुबकी "
~ मंत्र सरोवर ~
@MantraSarovar  
_________________________________________

#mantrasarovar #parvatimangal #shivvivah #पार्वतीमंगल
12 ماه پیش در تاریخ 1402/05/20 منتشر شده است.
6,704 بـار بازدید شده
... بیشتر