सकाळी ज्या घरात स्वामींचे हे स्तवन ऐकलं जाते तिथे सुख, समृद्धी, आरोग्य सह कधी कशाचीही कमी पडत नाही

Bhakti Marathi
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3.2 میلیون بار بازدید - 5 سال پیش - Title - Swami Samarth Stavan
Title - Swami Samarth Stavan Singer - Shubhangi Joshi Copyrights - Bhakti Vision Entertainment श्री गणेशाय नमः | श्री सरस्वत्यै नमः | श्री गुरुभ्यो नमः | श्री कुलदेवतायै नमः| श्री अक्कलकोट निवासी पूर्ण दत्तावतार- दिगंबर - यतीवर्य- श्री स्वामीराजाय नमः || ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवल ज्ञानमूर्ती | व्दंव्दातीत गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम् || एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षीभूतं | भावातीत त्रिगुणरहित सद्गुरु तं नमामि || ओम रक्तांग , रक्तवर्ण पद्मनेत्र , सुहास्यवदनं , कथा- टोपी-च-माला दण्डकुमण्डलुधर , कटयांकर , रक्षक त्रैगुण्यरहित त्रैलोक्यपालक , विश्वनायक भक्तवत्सल, कलियुगे , श्रीस्वामीसमर्थवार्ताधारक पाहि माम् | पाहि माम् | पाहि माम् | आता करूया प्रार्थना | जय जयाजी अघहरणा | परात्परा कैवल्यसादना | ब्रह्मानंदा यतीवर्या || जय जयाजी पुराणपुरुषा | लोकपाला सर्वेशा | अनंत ब्रह्मांडधीशा | वेदवध्या जगद्गुरु || सुखधामनिवासिया | सर्वसाक्षी करूणालया | भक्तजन ताराया | अनंतरूपें नटलासी || तूं अग्नि तूं पावन | तूं आकाश तूं जीवन | तूंची वसुंधरा पूर्ण | चंद्र सूर्य तूंच पैं || तूं विष्णु आणि शंकर | तूं विधाता तू इंद्र | अष्टदिक्पालादि समग्र | तूचं रूपें नटलासी || कर्ता आणि करविता | तूंच हवी आणि होता | दाता आणि देवविता | तूंच समर्था निश्र्चयें || जंगम आणि स्थिर | तूंच व्यापिलें समग्र | तूजलागीं आदिमध्याग्र | कोठें नसे पाहतां || असुनिया निर्गुण | रूपे नटलासी सगुण ज्ञाता आणि ज्ञान | तुचं एक विश्वेशा || वेदाचांही तर्क चांचरे |शास्त्रातेंही नावरे || विष्णु शंकर एकसरें | कुंठीत झाले सर्वही || मी केवळ अल्पमती | करूं केवीं आपली स्तुती || सहस्त्रमुखही निश्चिती | शिणला ख्याती वर्णितां || दृढ ठेविला चरणीं माथा | रक्षावे मजसी समर्थ | कृपाकटाक्षें दीनानाथा | दासाकडे पाहावें || आतां इतुकीं प्रार्थना | आणावीजी आपल्या मना | कृपासमुद्रीं या मिना | आश्रय देईजे सदैव || पाप ताप आणि दैन्य | सर्व जावो निरसोन | इहलोकीं सौख्यदेवोन | परलोक साधन करावें दुस्तर हा भवसागर | याचे पावावया पैलतीर | त्वन्नाम तरणी साचार | प्राप्त हो मजला ते || आशा मनीषा तृष्णा | कल्पना आणि वासना | भ्रांती भुली नाना | न बाधोत तुझ्या कृपें || किती वर्णुं आपुले गुण | द्यावे मज सुख साधन | अज्ञान तिमिर निरसुन | ज्ञानार्क हृदयीं प्रगटो पैं || शांती मनीं सदा वसो | वृथाभिमान नसो | शोधा समाधान वसो | तुझ्या कृपेनें अंतरीं || भवदुःख हें निरसो | तुझ्या भजनीं चित्त वसो | वृथा विषयांची नसो | वासना या मनातें || सदा साधू- समागम | तुझें भजन उत्तम | तेणें होवो हा सुगम | दुर्गम जो भवपंथ || व्यवहारीं वर्ततां | न पडो भ्रांती चित्ता | अंगी न यावी असत्यता | सत्यें विजयी सर्वदा || आप्तवर्गाचें पोषण | न्यायमार्गवलंबन | इतुकें द्यावे वरदान | कृपा करूनि समर्था || असोनियां संसारात | प्राशीन तव नामामृत | प्रपंच आणि परमार्थ | तेणें सुगम मजलागीं || कर्ता आणि करविता | तूंची एक स्वामीनाथा | माझिया ठायी वार्ता | मीपणाची नसेची || गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुगुरुर्देवो महेश्वराः | गुरुः साक्षात् परं ब्रम्ह तस्मै श्रीगुरुवे नमः || LIKE | COMMENT | SHARE | SUBSCRIBE
5 سال پیش در تاریخ 1398/12/29 منتشر شده است.
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