भगवान् को मानना क्यों है खतरनाक? ॐ के जाप के सभी सवालों के जवाब।

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@worldlinkers आपने जो भी किताबों में पढ़ा है, या फिर संत, महात्माओं से सुना है वो उनका अनुभव हो सकता है, आपका नहीं। आप अगर दुसरे  के अनुभव को मान लेते हैं तो आप एक गहरे झूठ में उतर जाते हैं, लेकिन अगर आप अपने जीवन में खुद कुछ प्रयोग करते हैं तो फिर आप स्वम् ही जान लेते हैं, जो ज्ञान आपके अनुभव से आता है केवल वही सार्थक है।

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आपने जो भी किताबों में पढ़ा है, या फिर संत, महात्माओं से सुना है वो उनका अनुभव हो सकता है, आपका नहीं। आप अगर दुसरे  के अनुभव को मान लेते हैं तो आप एक गहरे झूठ में उतर जाते हैं, लेकिन अगर आप अपने जीवन में खुद कुछ प्रयोग करते हैं तो फिर आप स्वम् ही जान लेते हैं, जो ज्ञान आपके अनुभव से आता है केवल वही सार्थक है।
जो लोग कमेंट करके गाली दे रहे हैं, उनसे मेरा निवेदन है, की वो ठीक प्रकार से मेरी बात नहीं समझ पाए। जो मैंने कहा उसका एक अंश भी आपने नहीं समझा । मेरे कहने का अर्थ है की एक तो है ॐ की ओरिजिनल ध्वनि, जो हमें ब्रह्मण्ड से प्राप्त होती है, जिससे सारे ब्रह्मण्ड की उत्पति हुई है, एक वो आवाज जो हम अपने मुहं से उसकी नकल करते निकलते हैं, नक़ल करने के कारण ही जो असली ध्वनि है ॐ की उसको सुनने में हम वंचित रह जाते हैं.


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5 سال پیش در تاریخ 1398/03/14 منتشر شده است.
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