SHIVBABA | धन बढ़ाने का BEST तरीका

Our Soul Father
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SHIVBABA | धन बढ़ाने का BEST तरीका
ओ३म शान्ति हमारा धन हमारे घर को शिवबाबा के भंडारी शिवबाबा की संतान हम सभी बाद भाग्यवान बच्चे हैं। इस कल्याणकारी संगमयुग पर बाबा ने आकर अपना परिचय दे कर अपना बनाया अब बाबा कहते हैं सब तन मन धन सौंप दा और निश्चिन्त बेफिक्र बादशाह बनते ' बादशाह तो सतयुग  में बनेंगे हो परन्तु अभी से बेफिक्र होना है है। अब हम सोचे फ्रिक हमारे जीवन में सैन कौन सी होती है तो सबसे पहल वा तन की, फिर मन फिर धन को सम्बन्ध सम्पर्क की।आप जानते हो हो कि जो कुछ भी वर्तमान में हमारे जीवन में चल रहा है वो शिवबाबा ने बताया कि हमार ही पूर्व जन्मों के के कर्मों का return है। जब ज्ञान
ही नहीं था तो विकारों' के वश कर्म किया
अहंकार, लोभ, मोह, क्रोध, वंश काम करते थे क्योंकि देह भान में भै थे।अब किसी को सफलता से ईर्ष्या हो रही है १ व्यक्ति से नहीं उसकी सफलता से तो हमारे पास सफलता कैसे आएगी। फिर किसी के नुकसान से खुश हो रहे हैं तो हमारा नुकसान होगा क्योंकि आत्मा जिससे खुश होती है वही तो आएगा। भी खुश उसक तो ऐसे ही धन का भी हुआ हमने कमाया परन्तु सन्तुष्ट नहीं हुए। हमने कमाया पर दूसरे को देख ईर्ष्या हुई पास ज्यादा कैसे | दान करेंगे ता तो घटेगा हमने दान भी नहीं किया किसी की मदद भी नहीं की। धन का आदर नहीं किया । धुन का दुरुपयोग किया। दूसरे के धन से ईर्ष्या की तो हमारा धन जाने लग गया। नुकसान होने लगा बिमारी में लगा। कमाई बंद होन लग गई। पड़ा हुआ धन खर्च होता गया।. 2 शिवबाबा न बिन्दी लगाओ अब परमात्मा सिखाया कि बीत जो करोगे वही पाओगे । वर्तमान मे सोचना बोलना करना सब अच्छा अच्छा शिवबाबा ने कहा अच्छा अच्छा सोचोगे, तो सब अच्छा ही होगा से निश्चित है। तो सबसे पहले तो शिवबाबाने को चाहे कोई कोई कैसा भी कहा हर आत्मा भी करतान हो कुछ हो आपका नुकसान भी करा  हो आपको सिर्फ दुआ और दुआ हो देनी है क्योंकि कोई कैसा भी क्यों कर रहा है ये बाबा ने व्यवहार क्यो सिर्फ मैं जानता हूँ
कि ये बात सदा याद रखो कि जीवन में जो कुछ सामने से आ रहा है ये मेरा भाग्य है ये मेरे हो किए कर्मों का return है फिर चाहे नुकसान है या फायदा है है। क्रोध है Insult, Appreciation, आ प्यार है। जो भी सारे रिश्ते है सब निश्चित है। वो बाबा ने कहा परिस्थिति को हर व्यक्ति को सिर्फ और सिर्फ accept करना है कोई भी Question नहीं। ऐसा करने से एक तो आत्मा शक्तिशाली होगी कर्म दूसरा पुराने किए कम का हिसाब पूरा एक होगा और दुआ देने से अभीका श्रेष्ठ कर्म हो गया। तो,तन, बीमार है तो किसी दूसरे का दुआ साथ दवाई दो, मदद करो ईलाज करवाओ है तो जाने मन अशान्त है तो जाने अनजाने  दुख को दुख दीया किसी का मन अशान्त, किया तो  अमृतवेले  से और सबसे माफी शिवबाबा से माफ़ी क्षमा माग लो  और सबको माफ कर दो। कम से कम 7 दिन करो। धन के लिए बाबा ने कहा कि धन किसी को दिया और उसका गलत इस्तमाल हुआ तो निमित आप बन जाओगे। इसलिए कोई धन से क्या करेगा, आप नहीं जानते इसीलिए धन सिर्फ़ यज्ञ मे लगाओ, यज्ञ की  वृद्धि में लगाओ। ब्रह्मा भोग में लगाओ / शिवबाबा के कार्य में लगाओ तो सब जमा होगा, और भविष्य में तो वर्तमान में भी धन की कमी नहीं होगी भरपूरता होगी। कोई कार्य धन के कारण
रुकेगा नही लगाओ परमात्मा क्या शिव पिता को बुद्धि रूपी हाथ थमाया है तो हर क्षेत्र में ही सफलता
सफलता आप भोजन बना कर बाँट सकते अनाज बाँट सकते हैं। कपडे बॉट सकते हैं। सेवा कर सकते हैं परन्तु, धन सिर्फ यज्ञ सेवा में लगाना है तभी वृद्धि को पाएगा। सफल होगा।
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@ShivaOurSoulFather
4 ماه پیش در تاریخ 1403/02/27 منتشر شده است.
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