चमत्कारी शिव मंदिर जो देखते ही देखते हो जाता है सामने से गायब | Stambheshwar Mahadev Temple

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101.4 هزار بار بازدید - 6 سال پیش - -------------------------------------------------------------------------------------------------------------Story of Stambheshwar Mahadev Temple[
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Story of Stambheshwar Mahadev Temple

[ चमत्कारी शिव मंदिर जो देखते ही देखते हो जाता है नजरों के सामने से गायब  | Stambheshwar Mahadev Temple ]

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-----------------------------------------------------------------------------------------------------------भारत में अनेकों मंदिर हैं जिनमें कोई न कोई चमत्कार होते रहते हैं |इन चमत्कारों की गाथा उस मंदिर और भगवान के प्रति आस्था को Parkat करते हैं |
आज हम एक ऐसे चमत्कारिक मंदिर के बारे में Batae Ja Rahe Hai जो रोजाना देखते he देखते आँखों के सामने से गायब हो जाता है और फिर पुनः दर्शन देने लगता है |
गुजरात के भड़ुच जिले के जंबूसर तहसील के कावी कंबोई में स्थित यह मंदिर स्तंभेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है |कावी कंबोई बड़ोदरा शहर से 75 किमी की दूरी पर है |
इस मंदिर में शिवलिंग के दर्शन दिन में केवल एक बार किया जा सकता है |यह मंदिर अरब सागर में कैम्बे तट स्थित है |समुद्र तट पर दिन में दो बार ज्वार भाटा आता है |ज्वार भाटे के समय समुद का पानी मंदिर के अन्दर प्रवेश कर जाता है और इस प्रकार दो बार समुद्र का पानी शिवलिंग का जलाभिषेक करके लौट जाता है |

ऐसा प्रतिदिन सुबह और शाम के समय होता है |ज्वार के समय इस मंदिर में जाने की किसी को भी अनुमति नहीं है क्योंकि इस समय यह मंदिर पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है |
यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को एक पर्ची बाँटी जाती है जिसमें ज्वार के आने का समय लिखा होता है |

इस मंदिर का जिक्र श्री महाशिव पुराण में रुद्र संहिता भाग 2 ,अध्याय 11,पेज नं़358 में मिलता है जो इसके प्राचीन होने का प्रमाण है |
इसके अलावा स्कन्ध पुराण में इस चमत्कारिक मंदिर के निर्माण के बारे में विस्तार से बताया गया है |
पौराणिक कथा के अनुसार ताड़कासुर राक्षस अपनी कठोर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया था और अमर होने का वरदान माँगा |
भगवान शिव यह वरदान देने से मना कर दिये तो ताड़कासुर ने दूसरा वरदान माँगा कि उसे सिर्फ शिवपुत्र ही मार सके और वो भी केवल 6 दिन की आयु का |

ताड़कासुर वरदान पाकर तीनों लोकों में हाहाकार मचाने लगा |सभी देवता और ऋषिमुनि उसके आतंक से परेशान हो गये |अंततः वे इससे निजात पाने के लिए भगवान महादेव के पास पहुँचे |
तब श्वेत पर्वत के कुंड से कार्तिकेय का जन्म हुआ |कार्तिकेय के छः मस्तिष्क और बारह हाथ थे और उन्होंने छः दिन की आयु में  ही ताड़कासुर का वध किया |

कार्तिकेय को जब पता चला कि ताड़कासुर उनके पिता महादेव का बहुत बड़ा भक्त था तो आत्मग्लानि से भर गये और स्वयं को दोषी मानने लगे |
इस पर भगवान विष्णु ने उन्हें उपाय सुझाया कि यहाँ पर एक शिवलिंग स्थापित करें और भगवान शिव से माफी के लिए प्रार्थना करें |

तब यहाँ का शिवलिंग स्थापित हुआ और तभी से यह स्तंभेश्वर तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध हुआ |
इस चमत्कारिक मंदिर के चमत्कार को देखने के लिए श्रद्धालु को पुरा दिन लग जाता है |तभी वे अपनी आँखों के सामने मंदिर को ओझल और पुनः प्रकट होते देख सकते है ➤ Subscribe to The Divine Tales/ यहाँ क्लिक कर सब्सक्राइब करें 👉 https://bit.ly/2VWOyuI
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6 سال پیش در تاریخ 1397/04/28 منتشر شده است.
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