ग़ज़ल | Dushyant Kumar | एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो (Ek patthar to) | Hindi Ghazal, Famous Ghazal

Poetry with Aakarsh Tyagi
Poetry with Aakarsh Tyagi
3.9 هزار بار بازدید - 3 سال پیش - ये जो शहतीर है पलकों
ये जो शहतीर है पलकों पे उठा लो यारो
अब कोई ऐसा तरीक़ा भी निकालो यारो

दर्द-ए-दिल वक़्त को पैग़ाम भी पहुँचाएगा
इस कबूतर को ज़रा प्यार से पालो यारो

लोग हाथों में लिए बैठे हैं अपने पिंजरे
आज सय्याद को महफ़िल में बुला लो यारो

आज सीवन को उधेड़ो तो ज़रा देखेंगे
आज संदूक़ से वो ख़त तो निकालो यारो

रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया
इस बहकती हुई दुनिया को सँभालो यारो

लोग कहते थे कि ये बात नहीं कहने की
तुम ने कह दी है तो कहने की सज़ा लो यारो

कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबीअ'त से उछालो यारो


हिंदी गजलों की दुनिया में अगर किसी का सबसे बड़ा योगदान है तो वह नाम है दुष्यंत कुमार त्यागी जिसने दुनिया को यह सिखाया की ग़ज़लें सिर्फ उर्दू फारसी अरबी की मोहताज ही नहीं है जिन्होंने हिंदी भाषियों को यह जज्बा दिया कि वह भी हिंदी में गजलों को लिख, पढ़, सुन सकते हैं । यह हमारी छोटी सी कोशिश है उनकी बेहतरीन गजलों का एक संग्रह बनाकर संजोने की जिससे आने वाली पीढ़ियों को इन्हें सुनकर पढ़कर प्रेरणा मिलती रहे ।

हिंदी ग़ज़ल सम्राट दुष्यंत कुमार जी की कुछ बेहतरीन गजलो को उनकी इस प्ले लिस्ट "ग़ज़ल संग्रह" दुष्यंत कुमार में सुन सकते हैं ।

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3 سال پیش در تاریخ 1399/11/18 منتشر شده است.
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