Lofi Version | With Lyrics-संकट मोचन हनुमान | Sankat Mochan Hanuman | Rasraj Ji Maharaj

Vianet LoFi Bhajans
Vianet LoFi Bhajans
3.8 میلیون بار بازدید - پارسال - Subscribe us :-
Subscribe us :- https://bit.ly/3EESq5h

Make Reels On Instagram :-
Instagram: 743294710853378

Available on :-

iTunes - AppleMusic: sankat-mochan-hanuman-lofi-bhajan-single  
Jio Saavn - https://www.jiosaavn.com/album/sankat...  Wynk - https://wynk.in/music/album/sankat-mo... Spotify -https://open.spotify.com/album/1xP1Sy... Amazon - https://music.amazon.in/albums/B0BWJY...

Sankat Mochan Hanuman Ashtak आज हनुमान जी का दिन है। रामायण के अनुसार वे जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। मान्यता है कि धरती पर जिन 7 मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त हुआ है उनमें से एक बजरंगबली भी हैं। इनका अवतार पुरुषोत्तम राम की मदद के लिए हुआ था।

► Album - Sankat Mochan Hanuman (Lofi)
► Song - Sankat Mochan Hanuman (Lofi)
► Singer - Rasraj Ji Maharaj
► Music - Baljeet Singh Chahal
► Lyrics - Traditional
➤ Label - Vianet Media
➤ Sub Label - Ambey
➤Parent Label(Publisher) - Shubham Audio Video Private Limited
➤ Trade Inquiry - [email protected]
4644-DVT_VNM/3743-TDVT-4644

#संकटमोचनहनुमान
#SankatMochanHanumanwithlyrics
#hanumanastaklyrics
#Bajrangbali
#Tuesdayspecialsong
#rasrajjimaharaj

॥ हनुमानाष्टक ॥

बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को,

यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि,

संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,

सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥

अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब,

लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥

रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु,

दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥

बान लाग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब,

लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥

रावन जुध अजान कियो तब,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु,

बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥

बंधू समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही,

अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥

काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,

जो कछु संकट होए हमारो ॥ ८ ॥

॥ दोहा ॥

लाल देह लाली लसे,
अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर ॥
پارسال در تاریخ 1401/12/01 منتشر شده است.
3,871,851 بـار بازدید شده
... بیشتر