5/24 भारत: तर्क और विविधता की सभ्यता Indian_Civilization | Bharat: Civilization of Logic & Diversity
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3 سال پیش
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जानें, कैसे प्राचीन भारतीय संस्कृति
जानें, कैसे प्राचीन भारतीय संस्कृति का आधार गणतांत्रिक जीवन शैली थी जिससे हिंदुओं को विलक्षण पहचान मिली. कैसे राजनैतिक और धार्मिक संस्थाएं भी गणतंत्र के आधार पर बनी थी. बाद में बुद्ध ने अपने संघ में इन्ही मूल्यों को अपनाया. डा. शिंदे बता रहे हैं कि क्या सिंधुघाटी सभ्यता में गणतंत्र के प्रमाण मिलते हैं? क्या सिंधुघाटी सभ्यता सरस्वती सभ्यता थी? प्राचीन भारतीयों के लिए सरस्वती का क्या महत्व था? भारत के लोगों का आचरण कैसा था? वे तर्क और वाद से कैसे सत्य की स्थापना करते थे? योग का वैदिक, बौद्घ व जैन धर्म से क्या सम्बन्ध है? और योग भारत की एकता, विवधता और समरसता का आधार कैसे है? शकुंतला, ऋषभदेव, बाहुबली व भरत कौन थे? भारत देश के नाम से इनका क्या सम्भन्ध है?
अगला अध्याय ---
अध्याय ६, भारत : प्रकृति का बालक/ Bharat - Child of Nature
6/24 | भारत: प्रकृति पूजकों का देश |...
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संक्षिप्त विवरण ---
वृत्तचित्रों की शृंखला : भारतीय सभ्यता : सातत्य और परिवर्तन
Subscribe Now : https://www.seevid.ir/c/VishuddhiFi...
इस वृत्तचित्र का उदेश्य भारत के ज्ञान - विज्ञान, कलाओं और जीवन के वैज्ञानिक व आध्यात्मिक महत्व को प्रामाणिक रूप से प्रस्तुत करना है। महारास की भारतीय संस्कृति की यह भव्य प्रस्तुति केवल मंत्रमुग्ध नहीं करती । भविष्य के लिए नई दृष्टि देती है। भारतीयों की प्रकृति श्रद्धा, मानव और पृथ्वी दोनों को उपभोक्तावाद से बचा सकती है। प्रकृति की विविधता और उसकी आन्तरिक एकता, मानव की भी वास्तविकता है। विविधता का उत्सव मनाती महारास की भारतीय संस्कृति हज़ारों वषों तक जीवन को सत्य,समृद्धि और सौन्दर्य से तृप्त करती रही है। यह फिल्म श्रृंखला इसे भारतीय दर्शन, प्राचीन स्थापत्य व लोक कलाओं से दर्शाती है।
पश्चिम के आक्रमणकारी भारत की देव विविधता और कलाओं के प्रति घृणा से भरे हुए थे। उनके आक्रमण युद्घ नहीं थे क्रूर हत्याकांड थे। उन्होंने विश्वविद्यालयों को जलाकर भारत के ज्ञान - विज्ञान की निरन्तरता को अवरुद्ध कर दिया।
भारत का मध्यकालीन विनाश और उपनिवेशिक शोषण मानवता की बहुत बड़ी हानि है। भारतीयों के स्वस्थ जीवन का आधार उनकी समग्र दृष्टी रही है।
अखण्ड दृष्टि का पुननिर्माण कठिन है। लेकिन अपनी सभ्यता के पुननिर्माण की अदम्य इच्छा भारतीयों के मन में आज भी है। भारतीय आज भी प्राचीन सभ्यता के उच्च स्वरुप को बनाए रखना चाहते हैं। इस फिल्म का निर्माण उसी इच्छा का परिणाम है।
विशेष :
- १० वर्षों का अनुसंधान और फिल्मांकन
- १४१ भारतीय स्थल, संग्रहालय और पुस्तकालय
- ५२ विदेशी स्थल और संग्रहालय
- ३० उच्चकोटि के विद्वानों का योगदान - इतिहास, दर्शन, पुरातत्व, संस्कृत, कला, मस्तिष्क विज्ञान , योग आदि क्षेत्र से।
भारत की अदभुत मूर्तिकला, नृत्य, संगीत, चित्रकला, मंदिर स्थापत्य ज्ञान और आनन्द को पैदा करने वाला है यह वृत्तचित्र।
प्रस्तुतकर्ता : श्रीमती सूरज एवं श्री वल्लभ भंशाली
शोध और निर्देशन : डॉ दीपिका कोठारी एवं रामजी ओम
विद्वान : प्रो मिनाक्षी जैन, डा. कोनराड एल्स्ट, प्रो. मक्खन लाल
निर्माता : विशुद्धि फिल्म्स एवं देश अपनाएं सहयोग फाउंडेशन
लेखन एवं फिल्मांकन: रामजी ओम
संकलन : संतोष राउत
पार्श्व संगीत : टूटन बी रॉय
website : www.vishuddhifilms.com
#भारतीयसंस्कृति #भारतीयसभ्यता #वैदिकसंस्कृति #प्रकृतिपूजक #सिंधुघाटीसभ्यता #सरस्वतीनदी
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इस वृत्तचित्र का उदेश्य भारत के ज्ञान - विज्ञान, कलाओं और जीवन के वैज्ञानिक व आध्यात्मिक महत्व को प्रामाणिक रूप से प्रस्तुत करना है। महारास की भारतीय संस्कृति की यह भव्य प्रस्तुति केवल मंत्रमुग्ध नहीं करती । भविष्य के लिए नई दृष्टि देती है। भारतीयों की प्रकृति श्रद्धा, मानव और पृथ्वी दोनों को उपभोक्तावाद से बचा सकती है। प्रकृति की विविधता और उसकी आन्तरिक एकता, मानव की भी वास्तविकता है। विविधता का उत्सव मनाती महारास की भारतीय संस्कृति हज़ारों वषों तक जीवन को सत्य,समृद्धि और सौन्दर्य से तृप्त करती रही है। यह फिल्म श्रृंखला इसे भारतीय दर्शन, प्राचीन स्थापत्य व लोक कलाओं से दर्शाती है।
पश्चिम के आक्रमणकारी भारत की देव विविधता और कलाओं के प्रति घृणा से भरे हुए थे। उनके आक्रमण युद्घ नहीं थे क्रूर हत्याकांड थे। उन्होंने विश्वविद्यालयों को जलाकर भारत के ज्ञान - विज्ञान की निरन्तरता को अवरुद्ध कर दिया।
भारत का मध्यकालीन विनाश और उपनिवेशिक शोषण मानवता की बहुत बड़ी हानि है। भारतीयों के स्वस्थ जीवन का आधार उनकी समग्र दृष्टी रही है।
अखण्ड दृष्टि का पुननिर्माण कठिन है। लेकिन अपनी सभ्यता के पुननिर्माण की अदम्य इच्छा भारतीयों के मन में आज भी है। भारतीय आज भी प्राचीन सभ्यता के उच्च स्वरुप को बनाए रखना चाहते हैं। इस फिल्म का निर्माण उसी इच्छा का परिणाम है।
विशेष :
- १० वर्षों का अनुसंधान और फिल्मांकन
- १४१ भारतीय स्थल, संग्रहालय और पुस्तकालय
- ५२ विदेशी स्थल और संग्रहालय
- ३० उच्चकोटि के विद्वानों का योगदान - इतिहास, दर्शन, पुरातत्व, संस्कृत, कला, मस्तिष्क विज्ञान , योग आदि क्षेत्र से।
भारत की अदभुत मूर्तिकला, नृत्य, संगीत, चित्रकला, मंदिर स्थापत्य ज्ञान और आनन्द को पैदा करने वाला है यह वृत्तचित्र।
प्रस्तुतकर्ता : श्रीमती सूरज एवं श्री वल्लभ भंशाली
शोध और निर्देशन : डॉ दीपिका कोठारी एवं रामजी ओम
विद्वान : प्रो मिनाक्षी जैन, डा. कोनराड एल्स्ट, प्रो. मक्खन लाल
निर्माता : विशुद्धि फिल्म्स एवं देश अपनाएं सहयोग फाउंडेशन
लेखन एवं फिल्मांकन: रामजी ओम
संकलन : संतोष राउत
पार्श्व संगीत : टूटन बी रॉय
website : www.vishuddhifilms.com
#भारतीयसंस्कृति #भारतीयसभ्यता #वैदिकसंस्कृति #प्रकृतिपूजक #सिंधुघाटीसभ्यता #सरस्वतीनदी
3 سال پیش
در تاریخ 1400/01/27 منتشر شده
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