Vd 10 मै सभी बुद्धिवान लोगोको शरनजाता हु। अग्नी जल पृथ्वी आकाश धर्म को‌, ये नियमोको see discription

Mitra Upakram for300 Cr world  Studants & Parents
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17.6 هزار بار بازدید - 2 سال پیش - यह हमारे भारत देश का
यह हमारे भारत देश का दुर्भाग्य है की बिना समजे हम गलत अर्थ निकालते है और देश की हानी करते है जब हम कहते है बुद्धम् शरणम् गच्छामि तो घबरा जाते है की जैसे हमे गौतम बुद्ध ना पड रहा है बार बार समझाते है कि मै जग मे ना जाने कितने बुद्ध हुए है मेरे साथ कितने बुद्ध है और भविष्य मे कितने बुद्ध आयेंगे
मैं बुद्धिवालो को शरण जाता हूँ उन्होने कही नही कहा
कभी नही कहा के गौतम बुद्ध म् शरणम ् गच्छामि

ये आकाश जल अग्नी वायू पृथ्वी इस धर्म को मैं शरण जाता हूँ।
जब हम धम्मम शरणं गच्छामि सुनते है तो आशिकी किट होते है

इसी तरह ये पृथ्वी चंद्रमा ग्रह तारे अपने कक्षा मे ही चल रहे है नियमानुसार चल रहे है

माय इन नियमको को शरण जाता हूँ

छब्बीस सौ साल पहले भी यही हुआ

और जब दुसरे भले आदमी का जन्म हुआ सत्यनारायणजी गोयंका तूने भी अपना सारा जीवन बार बार यही समझाने मे शक्ती खर्च  हवी की

ही हिंदू मुस्लिम सीखे  ई सा बुद्ध यह संप्रदाय है

अग्नि आकाश जल वायू पृथ्वी यह धर्म है

अहो प्रशासनिक सुधारणे हा विषय समजले और हमारे सब कन्सेसमेंट को सुधारले तो प्रशासन सुधरेगा
2 سال پیش در تاریخ 1401/10/09 منتشر شده است.
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