नमामि शमीशान II Namami Shamishan II #omnamahshivaya #shreeswamismarth

Hridik
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116.7 هزار بار بازدید - 2 ماه پیش - नमामि शमीशान II Namami Shamishan
नमामि शमीशान II Namami Shamishan II नमामी शमीशान निर्वाणरूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ! निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।। निराकारमोंकारमूलं तुरीयं, गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ! करालं महाकाल कालं कृपालं, गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ।। तुषाराद्रि संकाश गौरं गंभीरं, मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् ! स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारुगङ्गा, लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।। चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ! मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ।। प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् ! त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।। कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ! चिदानन्द संदोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।। न यावत् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ! न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं, प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ।। न जानामि योगं जपं नैव पूजां, नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ! जरा जन्म दुःखौद्य तातप्यमानं, प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ।। रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ! ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।
2 ماه پیش در تاریخ 1403/05/03 منتشر شده است.
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