भीष्म ने दिया द्रौपदी को सदा सुहागन होने का आशीर्वाद | महाभारत एक धर्म युद्ध

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19.9 هزار بار بازدید - پارسال - भक्त को भगवान से और
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!

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श्री कृष्ण द्रौपदी को सांत्वना देते हैं की पांडवों को कुछ नहीं होगा। दुर्योधन भीष्म की प्रतिज्ञा के बारे में जब अपने शिविर में जाकर शकुनि दुशासन और कर्ण को बताता है तो तो कर्ण को अर्जुन का वध ना कर अपने पर अफ़सोस होता है लेकिन फिर भी वह दुर्योधन को भीष्म की प्रतिज्ञा पर बधाई देता है। श्री कृष्ण पांडवों के पास जाते हैं और उनकी भीष्म की प्रतिज्ञा की चिंता को दूर करने के लिए उन्हें समझाते हैं। भीष्म से पांडवों के वध करने से बचाने के लिए श्री कृष्ण द्रौपदी को में रूप बदल कर भीष्म के शिविर में भेजते हैं और भीष्म से अपने पतियों के प्रणों की रक्षा के लिए सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद देने के लिए कहती है। भीष्म द्रौपदी को नहीं पहचान पाते क्योंकि द्रौपदी ने घूँघट किया हुआ था। भीष्म जब उसे आशीर्वाद दे देते हैं तो भीष्म को द्रौपदी अपना चेहरा देखा देती है जिसे देख भीष्म अपनी प्रतिज्ञा और द्रौपदी के आशीर्वाद के कारण धर्म संकट में आ जाते हैं। भीष्म समझ जाते हैं की यह सब श्री कृष्ण के कहने से हुआ है वहाँ श्री कृष्ण और पांडव पहुँच जाते हैं।

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پارسال در تاریخ 1402/05/23 منتشر شده است.
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