Shri Krishnashtakam | श्री कृष्णाष्टकम् | Bhaje Vrajaikmandanam | भजे व्रजैकमण्डनं | Krishna Bhajan

Amrita Chaturvedi
Amrita Chaturvedi
276.7 هزار بار بازدید - 2 سال پیش - Listen to this beautiful composition
Listen to this beautiful composition by Adi Shankara written in the praise of Lord Krishna.
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Credits:
Singer: Amrita Chaturvedi Upadhyay
Lyrics: Traditional
Music: Rohit Kumar (Bobby)
Flute: Pt. Ajay Shankar Prasanna
Mixmaster: Mix Box Studio
Video credits: UM Productions (Utkarsh Mishra, 8929967696)
℗  2022 Amrita Chaturvedi

भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं,
स्वभक्तचित्तरञ्जनं सदैव नन्दनन्दनम् ।
सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं,
अनंगरंगसागरं नमामि कृष्णनागरम् ॥ १ ॥
मैं नटखट भगवान कृष्ण की वंदना करता हूं, जो व्रज का अमूल्य गहना है, जो सभी पापों का विनाश कर देते हैं, जो सदैवअपने भक्तों को को प्रसन्न करते है, बाबा नंद के घर का आनंद, जिनके सिर पर मोर पंख सुशोभित है, भगवान कृष्ण की मधुर-मीठी आवाज़ है, उनके हाथ में बांसुरी और जो प्रेम के सागर है।

मनोजगर्वमोचनं विशाललोललोचनं,
विधूतगोपशोचनं नमामि पद्मलोचनम् ।
करारविन्दभूधरं स्मितावलोकसुन्दरं,
महेन्द्रमानदारणं नमामि कृष्णवारणम् ॥ २ ॥
मैं उन भगवान भगवान कृष्ण की वंदना करता हूं, जो मनुष्य के अन्दर अभिमान और काम से छुटकारा दिलाते हैं, ऐसे प्रभि के पास सुंदर और बड़ी आंखें हैं, जो गोपालों (चरवाहों) के दुखों को दूर करते हैं। मैं उन भगवान कृष्ण को प्रणाम करता हूं जिन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ की तर्जनी ऊँगली से उठाया, जिनकी मुस्कान और एक झलक अत्यंत आकर्षक है, जिन्होंने इंद्र के घमंड को नष्ट कर दिया था |

कदम्बसूनकुण्डलं सुचारुगण्डमण्डलं,
व्रजाङ्गनैकवल्लभं नमामि कृष्ण दुर्लभम् ।
यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया,
युतं सुखैकदायकं नमामि गोपनायकम् ॥ ३ ॥
मैं उन भगवान कृष्ण को नमन करता हूं, जो कदंब के फूलों से बने कुण्डल पहनते हैं, जिनके सुंदर लाल गाल हैं, जो ब्रज के गोपियों के एकमात्र प्राण से भी प्रिय सखा हैं, और जिन्हें भक्ति के अलावा और किसी भी तरह से प्राप्त करना मुश्किल है। मैं भगवान भगवान भगवान कृष्ण को नमन करता हूं, जो ग्वालों, नन्द बाबा और माता यशोदा के प्रिय हैं, जो अपने भक्तों को खुशी के अलावा कुछ नहीं देते है और जो ग्वालों के भगवान हैं।


सदैव पादपङ्कजं मदीयमानसे निजं
दधानमुत्तमालकं नमामि नन्दबालकम् ।
समस्तदोषशोषणं समस्तलोकपोषणं,
समस्तगोपमानसं नमामि नन्दलालसम् ॥ ४ ॥
मैं नन्द बाबा के बेटे को नमन करता हूं, जिन्होंने अपने कमल जैसे सुन्दर पैर मेरे मस्तिष्क में रख दिए हैं और जनके पास सुंदर काले घुंगराले बाल हैं। मैं उन भगवान कृष्ण की पूजा करता हूं जो सभी प्रकार के दोषों को दूर करता है, और सारे संसार का पालन पोषण करते है | ऐसे मेरे प्रभु भगवान कृष्ण सभी ग्वालों और बाबा नन्द के प्रिय है।

भुवोभरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं,
यशोमतीकिशोरकं नमामि चित्तचोरकम् ।
दृगन्तकान्तभङ्गिनं सदासदालसङ्गिनं,
दिने दिने नवं नवं नमामि नन्दसंभवम् ॥ ५ ॥
मैं भगवान कृष्ण को नमन करता हूं, जो पृथ्वी पर होने वाले अधर्म कार्य को रोकते है और धरम की रक्षा करते है, जो हमें दुखों के सागर को पार करने में सहायक है, जो मईया यशोदा का लाल है, और इनकी मनमोहक अदाएं और मुस्कान सभी के दिलों को भा जाती है। मैं नन्द के के बेटे को नमन करता हूं, जिसके पास बेहद सुन्दर और आकर्षक आंखें हैं, जो हमेशा संत और भक्तजनों के साथ है, और जिसके दिन-प्रतिदिन नए रूप दिखाई देते हैं।

गुणाकरं सुखाकरं कृपाकरं कृपापरं,
सुरद्विषन्निकन्दनं नमामि गोपनन्दनम् ।
नवीनगोपनागरं नवीनकेलिलंपटं,
नमामि मेघसुन्दरं तटित्प्रभालसत्पटम् ॥ ६ ॥
भगवान कृष्ण सभी सधगुण,खुशी और सरलता के भंडार हैं। वह देवताओं के शत्रुओं को नष्ट करते है और गोपियों को प्रसन्न करते है। मैं उस भगवान कृष्ण को नमन करता हूं, जो हर दिन प्रकट होते है,जिनके पास काले बादलों की तरह केश है और श्याम सुंदर रंग है, जो एक पीला वस्त्र पहनते है, जो बिजली की तरह चमकता है।


समस्तगोपनन्दनं हृदंबुजैकमोदनं,
नमामि कुञ्जमध्यगं प्रसन्नभानुशोभनम् ।
निकामकामदायकं दृगन्तचारुसायकं,
रसालवेणुगायकं नमामि कुञ्जनायकम् ॥ ७ ॥
भगवान कृष्ण सभी ग्वालों को प्रसन्न करते हैं और उनके साथ खेलते है। वह प्रकट होता है तेजस्वी सूर्य के रूप में और कमल को खिलने वाला हृदय खिलने का कारण बनता है श्रद्धा के साथ । मैं ऐसे भगवान को नमन करता हूं, जो पूरी तरह से भक्त की इच्छाओं को पूरा करते हैं, जिनकी सुंदर झलक तीर के समान दिल में उतरती है और जो बांसुरी पर मधुर धुन बजाते हैं।

विदग्धगोपिकामनोमनोज्ञतल्पशायिनं,
नमामि कुञ्जकानने प्रवृद्धवह्निपायिनम् ।
किशोरकान्तिरंजितं दृअगंजनं सुशोभितं
गजेन्द्रमोक्षकारिणं नमामि श्रीविहारिणम् || ८ ||
भगवान कृष्ण को शैया पर लेटे हुए गोपियों हमेशा उनके बारे में सोचती हैं और अपना मैं चित इसी मूरत में लगाए रखती है। मैं भगवान कृष्ण को नमन करता हूं, जिनकी आँखों का आकर्षण और एक काले रंग की अनगढ़ से आकर्षक हैं, जिन्होंने हाथी गजेंद्र को उसकी करुण पुकार पर एक मगरमच्छ के जबड़े से को मुक्ति दिला दी थी |

यदा तदा यथा तथा तथैव कृष्णसत्कथा,
मया सदैव गीयतां तथा कृपा विधीयताम् ॥  
प्रमाणिकाष्टकद्वयं जपत्यधीत्य यः पुमान् ।
भवेत्स नन्दनन्दने भवे भवे सुभक्तिमान् ॥ ९ ॥

हे भगवान कृष्ण ! कृपया मुझे आशीर्वाद दें ताकि मैं आपके गौरव को और अतीत का गुणगान कर सकूँ, चाहे मैं जिस भी स्थान पर रहूं वहां पर ही आपने नाम का सुमरिन करूं । कोई भी भक्त जो इस का पाठ करता है, उन्हें हर जनम में भगवान कृष्ण की भक्ति का आशीर्वाद सदैव मिलता है |
2 سال پیش در تاریخ 1401/03/19 منتشر شده است.
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