सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध | sardar vallabhbhai patel nibandh | sardar patel biography in hindi

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सरदार पटेल की कहानी
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सरदार पटेल का जीवन परिचय
सरदार पटेल पर निबंध

वीडियो में मैने नीचे लिखे notes को बताया है
सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय
प्रारंभिक जीवन
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नडियाद में उनके ननिहाल में हुआ था। उनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल था और इनकी माता का नाम लाडबा पटेल था। इनकी पत्नी का नाम झाबेरबा पटेल था। पटेल जी जब 33 साल के थे, तब उनकी पत्नी का निधन हो गया था। ये खेड़ा जिले के करमसद में रहने वाले अपने पिता की चौथी संतान थे। सोमाभाई, नरसीभाई और विट्टलभाई उनके बड़े भाई थे। सरदार वल्लभभाई पटेल एक किसान परिवार से थे। इसलिए वल्लभभाई पटेल का बचपन करमसद के पैतृक खेतों में बीता। सरदार पटेल ‘लौह पुरुष’ के रूप में जाने जाते हैं।
सरदार पटेल की शिक्षा
करमसद के मिडिल स्कूल से पास हुए और नडियाद के हाई स्कूल में गए। जहां से उन्होंने मैट्रिक पास किया। उन्होंने बाद में लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की और भारत आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे और इसमें उन्हें बड़ी सफलता मिली और शहर के सबसे सफल बैरिस्टरों में से एक बन गये।
स्वतंत्रता संग्राम में पटेल जी का योगदान
ये वो दौर था जब पूरे देशभर में स्वतंत्रता के लिए आंदोलन चल रहे थे। वहीं इन आंदोलनों में महात्मा गांधी की मुख्य भूमिका थी। सरदार पटेल महात्मा गांधी से बहुत प्रेरित थे। यही कारण था कि पटेल जी ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। देश को आजादी दिलाने और आजादी के बाद देश का शासन सुचारु रुप से चलाने में सरदार पटेल जी का सबसे बड़ा योगदान रहा है।
वर्ष 1917 में उन्हें ‘गुजरात सभा’ का सचिव चुना गया, जो एक राजनीतिक संस्था थी। इसके बाद पंजाब में ब्रिटिश सरकार के नरसंहार और आतंक के खिलाफ लड़ने के लिए वल्लभभाई पटेल ने हमेशा के लिए अपना कानूनी कैरियर छोड़ दिया और खुद को पूरी तरह से राजनीतिक और स्वतंत्रता के कार्यों में लगा दिया।
इसके बाद ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में ब्रिटिश सरकार द्वारा वल्लभभाई को कार्य समिति के अन्य सदस्यों के साथ 9 अगस्त, 1942 को गिरफ्तार कर लिया गया। जिसमें सरदार जी लगभग तीन वर्ष तक जेल में रहे।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद योगदान
जब भारत को वर्ष 1947 में स्वतंत्रता मिली तो सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री बने और गृह मंत्री बनाएं गए। इसके साथ ही उन्होंने  राज्य और सूचना और प्रसारण विभागों के लिए जिम्मेदारी भी उठाई। लेकिन एक गंभीर समस्या अभी भी सामने खड़ी थी जिसका उन्हें सामना करना था। उस समय देश में छोटी-बड़ी 562 रियासतें थीं। इनमें से कई रियासतों ने तो आजाद रहने का ही फैसला कर लिया था, लेकिन सरदार पटेल ने इन सबको देश में मिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। देश की बड़ी जनसंख्या और राज्यों का एकीकरण वल्लभभाई पटेल के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि में से एक थी।
विभाजन के बाद अहम भूमिका
सरदार वल्लभभाई पटेल ने बड़े साहस और दूरदर्शिता के साथ भारत-पाकिस्तान विभाजन की समस्याओं को सुलझाया, कानून और व्यवस्था को बहाल किया। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के चले जाने के बाद आम सेवाओं को दुबारा सुचारु रूप से चलाने और हमारे नए लोकतंत्र को एक स्थिर प्रशासनिक आधार प्रदान करने के लिए एक ‘नई भारतीय प्रशासनिक सेवा’ का भी गठन किया।
पटेल जी का निधन
सरदार वल्लभभाई पटेल का मुंबई में 15 दिसंबर 1950 को निधन हो गया था। वल्लभभाई पटेल भारत की स्वतंत्रता के प्रमुख वास्तुकारों और अभिभावकों में से एक थे और देश की स्वतंत्रता को मजबूत करने में उनका योगदान अद्वितीय है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) अखंड भारत के निर्माता तथा भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री व प्रथम गृहमंत्री “सरदार वल्लभ भाई पटेल” को समर्पित एक स्मारक है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) को गुजरात राज्य के नर्मदा जिले के केवड़िया में ‘सरदार सरोवर बांध’ के निकट स्थापित किया गया है। जिसकी कुल ऊंचाई ‘182 मीटर’ (597 फीट) हैं।
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) का कुल वजन 1700 टन है। जिसमें पैर की ऊंचाई 80 फीट, हाथ की 70 फीट, कंधे की 140 फीट और चेहरे की ऊंचाई 70 फीट है। वहीं इस भव्य मूर्ति के भीतर एक लाइब्रेरी भी है, जहां पर ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल’ से जुड़े हुए इतिहास को दर्शाया गया है।
बता दें कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) की आधारशिला वर्ष 2014 में भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस की 138वीं वर्षगांठ पर रखी गई थी। वहीं ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) का उद्घाटन वर्ष 2018 में सरदार पटेल की 142वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ के द्वारा किया गया था। इसके बाद से ही यह स्थल दुनिया में पर्टयन का विशेष केंद्र बना हुआ है।
10 ماه پیش در تاریخ 1402/08/08 منتشر شده است.
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