Ruthlessness | थोड़ी निर्दयता भी ज़रूरी है | Harshvardhan Jain | 7690030010

Harshvardhan Jain
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76.1 هزار بار بازدید - 3 ماه پیش - #Ruthnessless
#Ruthnessless #थोड़ी_निर्दयता_भी_ज़रूरी_है #harshvardhanjain
Get up, wake up and become your own supporter, friend and advisor; only then your success will dare to create new skies. Get up, wake up and show the courage to infuse the power of a tsunami in your courage. This will spread your success in the world at the speed of a tsunami and your image will be established as an idol of success in the temple of people's hearts.

आदतें जीवन बदल देती हैं। यदि आपने श्रेष्ठ आदतों का सृजन कर लिया, तो विश्वास कीजिए आपने अपने भविष्य का सृजन कर लिया। आदतें एक बार ही बनानी पड़ती हैं और एक बार बनाई गई आदत सफल भी बन सकती है और सड़क पर भी बिठा सकती है। इसलिए आदतों को सोच समझकर बनाना चाहिए। अच्छी आदतें बनानी ही पड़ती हैं और खराब आदतें अपने आप बन जाती हैं। बच्चों में अच्छी आदतें बनाने के लिए माता-पिता लालच भी देते हैं, डर भी दिखाते हैं और जागरूक भी करते हैं। बिना डर के या बिना लालच के कोई भी व्यक्ति कठिन अभ्यास से नहीं गुजरता है और बिना कठिन अभ्यास किए कोई भी व्यक्ति न ही ज्ञानी बनता है और न ही योद्धा। इसलिए लोगों को सही रास्ते पर लाने के लिए या सही मार्गदर्शन करने के लिए उन्हें निर्दयता से सबक सिखाया जाता है, समझाया जाता है और जागरूक किया जाता है। इसके पश्चात ही अच्छे नागरिक बनते हैं। कोई भी देश तभी उन्नति कर सकता है, जब उसके नागरिक शिक्षित और संस्कारी हों।

दयावान बनने के लिए निर्दयी बनना पड़ता है। जिस प्रकार एक मूर्ति पूजा के योग्य तब बनती है, जब पत्थर के साथ निर्दयता की जाती है। एक हीरा चमकदार तब बनता है, जब पत्थर के साथ निर्दयता की जाती है। सोना तब चमकदार बनता है, जब उसे तपने के लिए आग के सागर में डुबाया जाता है। कोई भी व्यक्ति तब पहलवान बनता है, जब उसे अभ्यास के सागर में डुबोकर प्रतिदिन पसीने से स्नान कराया जाता है। एक दिन में कोई पहलवान नहीं बनता है, लगातार कई साल तक अभ्यास करते-करते शरीर आकार लेता है। कोई भी व्यक्ति ज्ञानी तब बनता है, जब मस्तिष्क की दीवारों को तोड़कर मस्तिष्क की संभावित सीमाओं को जीतने का प्रयत्न करता है। यह कार्य उतना आसान नहीं है जितना प्रतीत होता है। इसलिए श्रेष्ठता के दर्शन तब होते हैं, जब आप स्वयं को भूलकर अपने नए अवतार का बिगुल बजाते हैं।

उठो, जागो और स्वयं का समर्थक बनो, मित्र बनो और सलाहकार बनो; तभी आपकी सफलता नए आसमान का निर्माण करने का साहस करेगी। उठो, जागो और अपने साहस में सुनामी का सामर्थ्य फूकने का साहस दिखाओ। इससे आपकी सफलता सुनामी की रफ्तार से दुनिया में छा जाएगी और आपकी छवि लोगों के मन मंदिर में सफलता की मूर्ति रूप में स्थापित हो जाएगी। जिससे आप मार्गदर्शक के रूप में जाने जाएंगे और लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन जाएंगे। सफलता का जुनून जिसकी भूमिका में समा जाता है, सफलता उसके सिर चढ़कर बोलती है।

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3 ماه پیش در تاریخ 1403/02/11 منتشر شده است.
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