जन नायक के विचारों को जनजन तक पहुंचाने को ले कर्पूरी चर्चा आज, जदयू नेताओं ने लिया तैयारी का जायजा।

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जन नायक के आदर्शों विचारों को जनजनतक पहुंचाने को ले कर्पूरी चर्चा आज

जद यू नेताओं ने लिया तैयारी का जायजा।


अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो, पग - पग पर अड़ना सीखो, जीना है तो मरना सीखो

यह मूलमंत्र हैं, जननायक कर्पूरी ठाकुर की सफल राजनीतिक जीवन की। समाज के दबे कुचले - वंचित- शोषितों के प्रति उनके इस मूल मंत्र को जनजन तक पहुंचाने को लेकर 3 दिसंबर को बलदेव प्रसाद शुकदेव प्रसाद उच्च विद्यालय प्रशाल मे कर्पूरी चर्चा का आयोजन प्रखंड जनता दल यूनाईटेड ईकाई की ओर से किया गया है। उनका जन्म 24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर जिले की (पितौंजिया) अब कर्पूरी ग्राम में हुआ था। भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उन्होंने  26 माह  जेल मे बिताये। उन्होंने ने1952  मे बिधानसभा का चुनाव जीतने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।22-12-1970 से 2-6-1971 एवं 24-6-1977 से 21-4-1979 तक दो बार प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे। वे सूबे को पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे।1967 मे उप मुख्यमंत्री रहते हुए अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त की।1971  मे किसानों को गैर लाभकारी भूमि पर से मालगुजारी टैक्स समाप्त कर बड़ी राहत दी।  मुंगेरी लाल आयोग की अनुशंसा के आलोक मे मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होने पिछड़ी जातियों के लिए 12  प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की।लोक नारायण जय प्रकाश नारायण एवं समाजवादी चिंतक डॉ० राममनोहर लोहिया इनके राजनीतिक गुरू थे।जनत के बीच लोकप्रियता के कारण इन्हें जननायक भी कहा जाता है। जननायक कर्पूरी ठाकुर राजनीतिक जीवन मे अपनी सादगी व सुचिता के कारण नेताओं के लिए आदर्श प्रस्तुत करते हैं।नयी पीढ़ी के राजनीतिज्ञ उनके जीवन मूल्यों ,आदर्शों से प्रेरणाग्रहण कर सकते हैं।
एसटी आयोग के अध्यक्ष  शंभू सूमन, प्रदेश महासचिव संजीव श्रीवास्तव, गुलाब चौधरी, मंजय साह ने लिया तैयारी का जायजा।
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10 ماه پیش در تاریخ 1402/09/11 منتشر شده است.
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