आगरा के चाहर वाटी क्षेत्र अकोला के गहर्रा खुर्द में हजारों नम: आंखों ने वीर सैनिकों की अंतिम विदाई
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अकोला के गांव गहर्रा खुर्द
अकोला के गांव गहर्रा खुर्द निवासी 32 वर्षीय सैनिक जय सिंह की गुरुवार की सुबह सैनिक अस्पताल में मृत्यु हो गई। जय सिंह 3 जनवरी 2010 को सेना रेजिमेंट में सिग्नल में नायक के पद पर भर्ती हुए थे। वह जम्मू के अखनूर में तैनात थे। उनका पार्थिव शरीर शुक्रवार की सुबह 9 बजे गांव लाया गया। सैनिक सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। सैनिक के बड़े पुत्र कृष्णा ने उन्हें मुखाग्नि दी। जय सिंह के दो पुत्र 11 वर्षीय कृष्णा, 6 वर्षीय सम्राट और 9 वर्षीय पुत्री लवी है।
सैनिक के बड़े भाई जितेंद्र सिंह ने बताया कि जय सिंह को रविवार की सुबह अचानक तबीयत बिगड़ गई हो । कंपनी के जवानों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कर दिया था। साथ ही स्वजनों को भी सूचना दे दी थी। स्वजन भी यूनिट में पहुंच गए थे। रविवार से सैनिक जय सिंह का उपचार चल रहा था। गुरुवार की सुबह उपचार के दौरान सैनिक की मृत्यु हो गई थी। शुक्रवार को सुबह 9 बजे जय सिंह के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर कंपनी के जवान गांव में स्थित आवास पर पहुंचे। सैन्य वाहन से पार्थिव शरीर उतारते ही अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। सैनिक की एक झलक पाने के लिए क्षेत्रीय लोगों की भीड़ का तांता लग गया। सुबह करीब 11 बजे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान जहां माहौल गमगीन था, वहीं सैनिक के सम्मान में युवाओं की टोली जोरदार नारेबाजी भी कर रहे थे।
फूलों से सजे सैन्य वाहन से सैनिक का पार्थिव शरीर गांव गहर्रा खुर्द पहुंचने से पहले ही हजारों की संख्या में लोग एकत्रित थे। सैनिक के पार्थिव शरीर का ताबूत खोलते ही कोहराम मच गया। पत्नी पूजा देवी, पिता रामवीर सिंह, बड़ा भाई जितेंद्र सिंह और मां सरोज देवी सहित पूरे परिवार का रो रोकर बुरा हाल हो रहा था। करुण क्रंदन देख कर भीड़ में हर आंख नम हो गई। इसके बाद अंतिम यात्रा शुरू हुई। घर से 100 मीटर की दूरी पर अपनी निजी खेत में सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सेना की टुकड़ी ने उन्हें मातमी धुन के साथ सम्मान दिया।
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पिछले शुक्रवार को ही घर से ड्यूटी पर गए थे जय सिंह: स्वजनों ने बताया की जय सिंह पिछले महीने ही छुट्टी पर घर आए थे। परिजनों के साथ छुट्टी बिता कर वह पिछले शुक्रवार को ही ड्यूटी पर जम्मू गए थे। रविवार शाम को परिजनों को उनके बीमार होने की सूचना मिलने पर परिजन मंगलवार को जम्मू कश्मीर पहुँच गए थे।
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पिता से ही फौज में जाने की मिली थी प्रेरणा: जय सिंह को अपने पिता राजवीर सिंह चाहर से ही फौज में रहकर देश सेवा की लगन बचपन से ही लगी थी। उनके पिता फ़ौज में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वह सूबेदार के पद से रिटायर हुए हैं। पिता के फ़ौज में होने से उनका बचपन से फ़ौज के वातावरण में ही बीता था।
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इन्होंने दी श्रृद्धांजलि: प्रमोद चाहर, डा रामेश्वर चौधरी, रालोद नेता ब्रजेश चाहर, नायब तहसीलदार अनिल कुमार, थाना प्रभारी राजीव कुमार शर्मा, कैप्टन प्रताप सिंह, वीरपाल सिंह, महेश कुमार, हरदेव सिंह आदि ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
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5 روز پیش
در تاریخ 1403/06/24 منتشر شده
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