Avtaran Divas Special | अपने जन्म और कर्म को दिव्य कैसे बनायें | Sant Shri Asaram Bapu Ji Satsang

Sant Shri Asharamji Ashram
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Avtaran Divas Satsang: Sant Shri Asaram Bapu Ji,
Haridwar Ashram, 4-Apr-2010

सत्संग के कुछ मुख्य अंश:
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जन्मोत्सव मनाना चाहिए, लेकिन विवेकपूर्ण मनाने से बहुत फायदा होता है; और विवेक में अगर वैराग्य मिला दिया जाये, तो और विशेष फायदा होता है...

और विवेक-वैराग्य के साथ अगर भगवान के जन्म-कर्म को जानने वाली गति-मति हो जाये, तो परम कल्याण समझो...

ईश्वर में न जन्म और कर्म हैं, और न ही जीवत्व के बंधन और वासना है, इसलिए भगवान के कर्म और जन्म दिव्य माने जाते हैं...

भगवान के जन्म और कर्म दिव्य मानने से, जानने से, आपको भी लगेगा कि कर्म होते हैं तो पंचभौतिक शरीर से होते हैं, मन की मान्यता से होते हैं; मैं सब परिस्थितियों से असंग हूँ, ज्ञानस्वरूप हूँ, प्रकाश मात्र हूँ, चैतन्य स्वरूप हूँ, आनंद स्वरूप हूँ...

इस प्रकार भगवान अपने स्वतः सिद्ध स्वभाव को जानते हैं, ऐसे ही आप भी अपने स्वतः सिद्ध स्वभाव को जान लें, तो आपका जन्म और कर्म दिव्य हो जायेगा...

तो महापुरुषों का जन्मोत्सव मनाने से महापुरुषों को तो कोई फायदे-नुकसान का सवाल नहीं है, लेकिन हम लोगों को फायदा होता है कि उस निमित्त हम भी अपने जन्म और कर्म को दिव्य बनायें, कर्म बंधन से छूट जायें...

जिसमें कर्तृत्व भाव नहीं है, फल आकांक्षा नहीं है, उसके जन्म और कर्म दिव्य हो जाते हैं...

अष्टावक्र मुनि ने कहा: कर्तृत्व भोक्तृत्व (भाव) जब तक रहेगा, तब तक ये जीव जन्म मरण में भटकेगा; अपने आत्मा को अकर्ता और अभोक्ता जब मानता है, उसी समय वो कर्म बंधन से छूट जाता है...

शुभ कर्म तो करे लेकिन शुभ कर्म का कर्ता अपने को न माने; प्रकृति ने किया और परमात्मा की सत्ता से हुआ...

अशुभ कर्म से बचे और कभी गलती से हो गए, तो अशुभ कर्म के कर्तापन में न उलझे, और फिर-फिर से ने करे, ह्रदयपूर्वक उसका त्याग कर दे, प्रायश्चित हो गया...

तो शुभ-अशुभ में अपने को न उलझाये, सुख और दुःख में अपने को न उलझाये, पुण्य और पाप में अपने को न उलझाये, अपने ज्ञान स्वभाव में जग जाये, तो उसका जन्म-कर्म दिव्य हो जाता है...
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Apne janm aur karm ko divya kaise banayein..

Endearingly called 'Bapu ji'(Asaram Bapu Ji), His Holiness is a Self-Realized Saint from India. Pujya Asaram Bapu ji preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being; be it Hindu, Muslim, Christian, Sikh or anyone else. For more information, please visit -

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7 سال پیش در تاریخ 1396/01/25 منتشر شده است.
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