Rudra Sukta In Hindi - रूद्र सूक्त हिंदी में | rudra suktam in hindi - रुद्र सूक्त का पाठ

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Rudra Sukta In Hindi - रूद्र सूक्त हिंदी में | rudra suktam in hindi - रुद्र सूक्त का पाठ rudra sukta benefits / rudra sukta ke labh / rudra sukta ke fayde रूद्र सूक्त का महत्व / रूद्र सूक्त के फायदे / रूद्र सूक्त के लाभ जैसा की हम सब जानते हैं भगवान् शिव आशुतोष हैं अर्थात बहुत ही कम पूजा अर्चना आदि से शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं तथा उससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह की पूजा में भगवान् शंकर को सबसे प्रिय जलधारा है इसीलिए भगवान् भोलेनाथ के पूजन में रुद्राभिषेक की परंपरा है और इनके अभिषेक में इस रूद्र सूक्त की ही प्रमुखता है। रुद्राभिषेक के अंतर्गत रुद्राष्टाध्यायी के पाठ में ग्यारह बार इस रूद्र सूक्त की आवृत्ति करने पर ही पूर्ण रुद्राभिषेक माना जाता है इसके श्रवण का फल आप कुछ इस प्रकार समझिये की यह रुद्रसूक्त आध्यात्मिक, आधिदैविक एवं आधिभौतिक तीनो तापों से मुक्त करने वाला है तथा इसका श्रवण करने वाला मृतुन्जय महाकाल की कृपा से अमृतत्व की और अग्रसर होता है। रुद्रसूक्त का अर्थ होता है भगवान् रूद्र की प्रसंशा में भली भांति कहा हुआ स्तोत्र यह शुक्ल यजुर्वेद में वर्णित है और इसे नीलसूक्त भी कहते हैं तथा rudra suktam / rudra sukta / rudra suktam with lyrics / rudra suktam in sanskrit rudra suktam sanskrit ॥ अथ रूद्र-सूक्तम् ॥ नमस्ते रुद्र मन्यवऽ उतो तऽ इषवे नमः। बाहुभ्याम् उत ते नमः॥१॥ या ते रुद्र शिवा तनूर-घोरा ऽपाप-काशिनी। तया नस्तन्वा शन्तमया गिरिशंताभि चाकशीहि ॥२॥ यामिषुं गिरिशंत हस्ते बिभर्ष्यस्तवे । शिवां गिरित्र तां कुरु मा हिन्सीः पुरुषं जगत् ॥३॥ शिवेन वचसा त्वा गिरिशाच्छा वदामसि । यथा नः सर्वमिज् जगद-यक्ष्मम् सुमनाऽ असत् ॥४॥ अध्य वोचद-धिवक्ता प्रथमो दैव्यो भिषक् । अहींश्च सर्वान जम्भयन्त् सर्वांश्च यातु-धान्यो ऽधराचीः परा सुव ॥५॥ असौ यस्ताम्रोऽ अरुणऽ उत बभ्रुः सुमंगलः। ये चैनम् रुद्राऽ अभितो दिक्षु श्रिताः सहस्रशो ऽवैषाम् हेड ऽईमहे ॥६॥ असौ यो ऽवसर्पति नीलग्रीवो विलोहितः। उतैनं गोपाऽ अदृश्रन्न् दृश्रन्नु-दहारयः स दृष्टो मृडयाति नः ॥७॥ नमोऽस्तु नीलग्रीवाय सहस्राक्षाय मीढुषे। अथो येऽ अस्य सत्वानो ऽहं तेभ्यो ऽकरम् नमः ॥८॥ प्रमुंच धन्वनः त्वम् उभयोर आरत्न्योर ज्याम्। याश्च ते हस्तऽ इषवः परा ता भगवो वप ॥९॥ विज्यं धनुः कपर्द्दिनो विशल्यो बाणवान्ऽ उत। अनेशन्नस्य याऽ इषवऽ आभुरस्य निषंगधिः॥१०॥ या ते हेतिर मीढुष्टम हस्ते बभूव ते धनुः । तया अस्मान् विश्वतः त्वम् अयक्ष्मया परि भुज ॥११॥ परि ते धन्वनो हेतिर अस्मान् वृणक्तु विश्वतः। अथो यऽ इषुधिः तवारेऽ अस्मन् नि-धेहि तम् ॥१२॥ अवतत्य धनुष्ट्वम् सहस्राक्ष शतेषुधे। निशीर्य्य शल्यानां मुखा शिवो नः सुमना भव ॥१३॥ नमस्तऽ आयुधाय अनातताय धृष्णवे। उभाभ्याम् उत ते नमो बाहुभ्यां तव धन्वने ॥१४॥ Rudra Sukta In Hindi | Rudra Sukta Hindi rudra suktam in hindi | rudra suktam hindi रूद्र सूक्त हिंदी में | रूद्र सूक्त हिंदी | रुद्र सूक्त का पाठ दुःख दूर करनेवाले (अथवा ज्ञान प्रदान करनेवाले) हे रुद्र ! आपके क्रोधके लिये नमस्कार है, आपके बाणोंके लिये नमस्कार है और आपकी दोनों भुजाओंके लिये नमस्कार है ॥ १ ॥ हे गिरिशन्त (कैलासपर रहकर संसारका कल्याण करनेवाले अथवा वाणीमें स्थित होकर लोगोंको सुख देनेवाले या मेघमें स्थित होकर वृष्टिके द्वारा लोगोंको सुख देनेवाले) ! हे रुद्र! आपका जो मंगलदायक, सौम्य, केवल पुण्यप्रकाशक शरीर है, उस अनन्त सुखकारक शरीरसे हमारी ओर देखिये अर्थात् हमारी रक्षा कीजिये ॥ २ ॥ कैलासपर रहकर संसारका कल्याण करनेवाले तथा मेघोंमें स्थित होकर वृष्टिके जगत्की रक्षा करनेवाले हे सर्वज्ञ रुद्र ! शत्रुओंका नाश करनेके लिये जिस बाणको आप अपने हाथमें धारण करते हैं, वह कल्याणकारक हो और आप मेरे पुत्र-पौत्र तथा गो, अश्व आदिका नाश मत कीजिये ॥ ३ ॥ हे कैलासपर शयन करनेवाले! आपको प्राप्त करनेके लिये हम मंगलमय वचनसे आपकी स्तुति करते हैं। जिस प्रकार हमारा समस्त संसार तापरहित, निरोग और निर्मल मनवाला बने, वैसा आप करें ॥ ४ ॥ अत्यधिक वन्दनशील, समस्त देवताओंमें मुख्य, देवगणोंके हितकारी तथा रोगोंका नाश करनेवाले रुद्र मुझसे सबसे अधिक बोलें, जिससे मैं सर्वश्रेष्ठ हो जाऊँ । हे रुद्र ! समस्त सर्प, व्याघ्र आदि हिंसकोंका नाश करते हुए आप अधोगमन करानेवाली राक्षसियोंको हमसे दूर कर दें ॥ ५ ॥ उदयके समय ताम्रवर्ण (अत्यन्त रक्त), अस्तकालमें अरुणवर्ण (रक्त), अन्य समयमें वभ्रु (पिंगल) - वर्ण तथा शुभ मंगलोंवाला जो यह सूर्यरूप है, वह रुद्र ही है। किरणरूपमें ये जो हजारों रुद्र इन आदित्यके सभी ओर स्थित हैं, इनके क्रोधका हम अपनी भक्तिमय उपासनासे निवारण करते हैं ॥ ६ ॥ जिन्हें अज्ञानी गोप तथा जल भरनेवाली दासियाँ भी प्रत्यक्ष देख सकती हैं, विष धारण करनेसे जिनका कण्ठ नीलवर्णका हो गया है, तथापि विशेषतः रक्तवर्ण होकर जो सर्वदा उदय और अस्तको प्राप्त होकर गमन करते हैं, वे रविमण्डलस्थित रुद्र हमें सुखी कर दें ॥ ७ ॥ नीलकण्ठ, सहस्रनेत्रवाले, इन्द्रस्वरूप और वृष्टि करनेवाले रुद्रके लिये मेरा नमस्कार है। उस रुद्रके जो अनुचर हैं, उनके लिये भी मैं नमस्कार करता हूँ ॥ ८ ॥ हे भगवन्! आप धनुषकी दोनों कोटियोंके मध्य स्थित प्रत्यंचाका त्याग कर दें और अपने हाथमें स्थित बाणोंको भी दूर फेंक दें अर्थात् हमपर अनुग्रह करें ॥ ९ rest of the rudra sukt is in the video ________________________________________________________ स्वर - भास्कर पंडित Voice By - Bhaskar Pandit ________________________________________ "लगाइये आस्था की डुबकी " ~ मंत्र सरोवर ~ @Mantra Sarovar _________________________________________ #mantrasarovar #rudrasuktainhindi #rurdasuktaminhindi #रूद्रसूक्तहिंदीमें
پارسال در تاریخ 1402/04/04 منتشر شده است.
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