औरंगाबाद योद्धा हिशाम उस्मानी का बड़ा खुलासा
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औरंगाबाद का नाम बदलने के
औरंगाबाद का नाम बदलने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने जा रहे मोहम्मद हिशाम उस्मानी को समर्थन देने का फैसला मुस्लिम मुस्लिम नुमाईंदा कौन्सिल के कार्यक्रम में सर्वसम्मति से लिया गया.
इस कार्यक्रम में याचिकाकर्ता मोहम्मद हिशाम उस्मानी ने बड़ा खुलासा किया कि नाम बदलने के फैसले के बाद कांग्रेस के शहर अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें ऑफर दिया गया था कि अगर आप नाम बदलने के खिलाफ नहीं बोलेंगे तो आपको एमएलसी या फिर विधान सभा उम्मीदवारी दि जाएगी। इस आफर को ठुकरा कर उन्होंने नाम परिवर्तन के ख़िलाफ़ कानुनी लड़ाई शुरू की. बॉम्बे हाई कोर्ट से सफलता नहीं मिली तो क्या हुआ हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा। औरंगाबाद का नाम बचाने के लिए आखिरी सांस तक लड़ेंगे। अदालती लड़ाई में कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना (UBT) की मदद नहीं लेंगे ऐसा मोहम्मद हिशाम उस्मानी ने कहा।
इस दौरान कुछ प्रस्ताव भी पारित किये गये, जिसमें कहा गया कि आगामी विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र में इस बात का उल्लेख करें कि ऐतिहासिक औरंगाबाद को यथावत रखने के लिए निर्णय में बदलाव किया जायेगा. नाम परिवर्तन पर अपनी भूमिका नहीं बदलने वाले दलों का समाज समर्थन नहीं करेगा। दुकानों या निजी कार्यालयों पर "औरंगाबाद" प्रमुखता से लिखा जाना चाहिए। ऐतिहासिक औरंगाबाद का नाम धार्मिक भावनाओं के चलते राजनीतिक कारणों से बदला गया, समुदाय में आक्रोश है. सभी जाति और धर्म के लोगों ने नये नाम को स्वीकार नहीं किया है. ऐतिहासिक औरंगाबाद का नाम वैश्विक स्तर पर पर्यटन के विकास के लिए जाना जाता है। इसी के चलते मुस्लिम नुमाईंदा कौन्सिल के अध्यक्ष जियाउद्दीन सिद्दीकी ने मौलाना आज़ाद रिसर्च सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में घोषणा की कि औरंगाबाद का नाम बचाने के लिए जन आंदोलन और अदालती लड़ाई जारी रखने के लिए "मिशन औरंगाबाद" शुरू किया गया है।
इस कार्यक्रम में याचिकाकर्ता मोहम्मद हिशाम उस्मानी ने बड़ा खुलासा किया कि नाम बदलने के फैसले के बाद कांग्रेस के शहर अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें ऑफर दिया गया था कि अगर आप नाम बदलने के खिलाफ नहीं बोलेंगे तो आपको एमएलसी या फिर विधान सभा उम्मीदवारी दि जाएगी। इस आफर को ठुकरा कर उन्होंने नाम परिवर्तन के ख़िलाफ़ कानुनी लड़ाई शुरू की. बॉम्बे हाई कोर्ट से सफलता नहीं मिली तो क्या हुआ हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा। औरंगाबाद का नाम बचाने के लिए आखिरी सांस तक लड़ेंगे। अदालती लड़ाई में कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना (UBT) की मदद नहीं लेंगे ऐसा मोहम्मद हिशाम उस्मानी ने कहा।
इस दौरान कुछ प्रस्ताव भी पारित किये गये, जिसमें कहा गया कि आगामी विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र में इस बात का उल्लेख करें कि ऐतिहासिक औरंगाबाद को यथावत रखने के लिए निर्णय में बदलाव किया जायेगा. नाम परिवर्तन पर अपनी भूमिका नहीं बदलने वाले दलों का समाज समर्थन नहीं करेगा। दुकानों या निजी कार्यालयों पर "औरंगाबाद" प्रमुखता से लिखा जाना चाहिए। ऐतिहासिक औरंगाबाद का नाम धार्मिक भावनाओं के चलते राजनीतिक कारणों से बदला गया, समुदाय में आक्रोश है. सभी जाति और धर्म के लोगों ने नये नाम को स्वीकार नहीं किया है. ऐतिहासिक औरंगाबाद का नाम वैश्विक स्तर पर पर्यटन के विकास के लिए जाना जाता है। इसी के चलते मुस्लिम नुमाईंदा कौन्सिल के अध्यक्ष जियाउद्दीन सिद्दीकी ने मौलाना आज़ाद रिसर्च सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में घोषणा की कि औरंगाबाद का नाम बचाने के लिए जन आंदोलन और अदालती लड़ाई जारी रखने के लिए "मिशन औरंगाबाद" शुरू किया गया है।
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در تاریخ 1403/04/16 منتشر شده
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