70 घंटे काम? सावधान! | Narayana Murthy: Work 70 hours a week

Ravish Kumar Official
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1.8 میلیون بار بازدید - 9 ماه پیش - जब देश में महंगाई बढ़
जब देश में महंगाई बढ़ जाए, बेरोज़गारी बढ़ जाए तो वही बेस्ट टाइम होता है युवाओं को लेक्चर देने का। भारत के युवाओं को रोज़गार भले न मिले, रोज़गार को लेकर तरह-तरह के लेक्चर ज़रूर मिल रहे हैं। 2019 में प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं को लेक्चर दिया कि पकौड़ा तलना भी रोज़गार है, 2023 में इंफोसिस कंपनी के संस्थापक नारायण मूर्ति लेक्चर दे रहे हैं कि युवाओं को 70 घंटे काम करने चाहिए। यही नारायण मूर्ति क्यों नहीं कहते कि यह उनका भी देश है और कितनी बुरी बात है कि अस्सी करोड़ लोग मुफ्त अनाज पर निर्भर हैं, उनकी आर्थिक हालत बहुत ख़राब है। क्या यह हालत युवाओं के 70 घंटे काम नहीं करने से हुई है या इसका कारण उन आर्थिक नीतियों में है, जिनके सहारे बड़े उद्योगपति और अमीर होते हैं और ज़्यादातर जनता और ग़रीब होती है। महानगरों से लेकर क़स्बों में, छोटी-छोटी दुकानों में लोग घंटों काम करते हैं। इनके जीवन में परिवार के लिए समय नहीं है। आज का भारत उस राजनीति की चपेट में है जो दिन रात परिवार के संस्कार की बात करती है, परिवार की संस्था के मिट जाने पर रोती है, धर्म के लिए चिंता की बात बताती है। लेकिन उस राजनीति से आप पूछिए कि लोग सत्तर घंटे काम करेंगे तो परिवार की संस्था के लिए समय कहां से बचेगा? क्या यह राजनीति नारायण मूर्ति के बयान का विरोध करेगी? हुआ उल्टा, वह चुप रह गई क्योंकि ये उद्योगपति भी बदले में भारत सरकार को लेकर अब सवाल नहीं करते, चुप रहते हैं। आप जनता तो मूर्छित अवस्था में हैं ही।

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9 ماه پیش در تاریخ 1402/08/10 منتشر شده است.
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