अप्सरा को आने पर मजबूर कर देता है II यह मंत्र भूल कर भी ना पढ़े इस मंत्र को #apsra

tantrik baba
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321.8 هزار بار بازدید - 3 سال پیش - अप्सरा के शरीर से आने
अप्सरा के शरीर से आने वाली सुगंध किसी भी इंसान को उसके प्रेम में पागल बना सकती है Guru ji ka Contact +918077871808 अप्सरा साधना प्रेम को अभिव्यक्त करने का सौभाग्य और सशक्त माध्यम है अप्सरा साधना। हिन्दू पौराणिक कथाओं में ऐसी अपूर्व सुंदरियों का उल्लेख मिलता है जो अपनी मोहक और कामुक अदाओं से किसी को भी अपना दीवाना बना देती थीं। इन्हें अप्सरा कहा जाता है और माना जाता है कि ये स्वर्ग लोक में रहती हैं। देवताओं द्वारा अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने में इनका उपयोग किया जाता था। किसी को भी दीवाना बना देती थीं ये खूबसूरत युवतियां इनकी मोहक अदाओं में फंसकर अपना सब कुछ गवां बैठते थे महान और प्रभावशाली कहे जाने वाले लोग। आकर्षक सुन्दरतम वस्त्र, अलंकार और सौंदर्य प्रसाधनों से युक्त-सुसज्जित, चिरयौवना रंभा के बारे में कहा जाता है कि उनकी साधना करने से साधक के शरीर के रोग, जर्जरता एवं बुढ़ापा समाप्त हो जाते हैं। ऋग्वेद और महाभारत में कई अप्सराओं का उल्लेख है। स्वर्ग की चार अत्यंत सुंदर जिन चार अप्सराओं का ज्यादातर उल्लेख किया जाता है उनके नाम हैं उर्वशी, मेनका, रंभा और तिलोत्तमा। कहा जाता है कि इन्होंने अपने रूप, सौंदर्य और कामुक अदाओं से कई ऋषि मुनियों की तपस्या भंग की और उन्हें पथभ्रष्ट कर दिया। विश्वामित्र को रिझाया था अप्सरा ने हा जाता है कि अप्सराओं का सबसे ज्यादा उपयोग इंद्र ने किया। ऋषि विश्वामित्र की कठोर तपस्या से इंद्र को यह भय हुआ कि वे कहीं उनके सिंहासन पर कब्जा न कर लें। जिस पर उन्होंने विश्वामित्र की तपस्या भंग करने उस समय की नामी अप्सरा रंभा को पृथ्वी लोक पर भेजा। रंभा ने अपनी मोहक अदाओं से विश्वामित्र को लुभाने का प्रयास किया पर विश्वामित्र ने उसे श्राप दे दिया और वह पाषाण मूर्ति बन गई। रंभा के असफल रहने पर इंद्र ने रंभा से भी ज्यादा खूबसूरत अप्सरा मेनका को भेजा जिसने पहले एक युवती का रूप धरा और फिर अपनी मोहक व कामुक अदाओं से विश्वामित्र को वश में कर उनका तप भंग कर दिया। इतनी सुंदर अप्सरा कभी नहीं देखी थी. सुन्दर अण्डाकार गुलाबी रंग का चेहरा, मन-मोहिनी, मुख पर आभूषण धारण किए हुए, उन्नत गुलाब जैसी रंगत वाले स्तन धारण करने वाली सुन्दरीयां हैं, जिसके स्तन चुमने योग्य हो, स्तन पीने योग्य हो। जिसका कमर और नितम्बों का आकार सुराई की भांति हो। जिसकी आखें सम्मोहन युक्त, खंजर के समान, कमल नयन हो, जिसकी तरह एक नजर देख लें वो उसके मोहपाश में बन्ध जाए। लाल, पीले और श्वेत वस्त्रों को धारण करने वाली देव सुंदरीयों से कौन नहीं मिलना चाहता? अप्सरा भी हमारे लोक की सुन्दरीयों की भांति ही होती हैं लेकिन पृथ्वी लोक पर सुन्दरीयों की अपनी परिभाषा, मर्यादा और अपना चिंतन होता हैं। यहां तो जो जरा सी सुन्दरता लिए हुए होती हैं उसमें इतना अहंकार आ जाता हैं जैसे मिस यूनिवर्स यह ही हैं। सच में तो मिस यूनिवर्स भी अप्सरा के सामने पानी भरती नजर आती हैं। इस दुनिया की लडकियां स्वार्थी होती हैं अहंकारी होती हैं, जरा सी बात से घबहारा जाती हैं परेशान हो जाती हैं और परेशान ही करती है, लेकिन अप्सरा इन सब भाव से परे होती हैं और अपने साधक को सच्चा प्रेम और सच्चा ज्ञान देती हैं। वैसे देव सुन्दरी भी इस दुनियां की लडकियों से जलती हैं यदि उनका साधक उसका प्रेम किसी में बाटता हैं। भगवान शंकर नें भी कहा हैं कि यदि अप्सरा से पत्नी का सम्बन्ध हो तो साधक को अपना प्यार किसी लडकी से नहीं बाटना चाहिए अन्यथा यह इन अप्सरा को अच्छा नहीं लगता और साधक को छोड देती हैं। इन अप्सरा की साधना के मार्ग शास्त्रों में दिए हैं लेकिन साधना तभी सफल होती हैं जब अपने काम भाव को नियंत्रित रखा जाए। यदि कामवेग या काम भाव से साधना करी तो सफल नहीं होती हैं। साधना काल को छोड काम भावना परेशान करें तो कोई दिक्कत नहीं लेकिन साधना के दौरान कामभाव पर ध्यान ना देकर साधना पर ध्यान देना चाहिए। अपने ऐसे किस्से तो सुने ही होगें कि इस इस अप्सरा नें इस इस ऋषि की साधना भंग कर दी मतलब यह कि उन ऋषि में साधना के दौरान कामभाव आ गए और ऐसी देवियों के प्रेम में पडकर क्या करना हैं भूल गए तो ऐसे में मनुष्य की क्या औकात? इसलिए कामभाव साधना शक्ति को क्षीण कर देता हैं और वो आपकी मंत्र की शक्ति से बाहर हो जाती हैं और अपने घर वापस चली जाती हैं। इस साधना में काम भाव पर नियत्रंण बहुत जरुरी हैं हां साधना सम्पन्न होने के बाद चाहे तो पत्नी रुप में भी सम्बन्ध रख सकता हैं। साधना सामग्री : प्राण प्रतिष्ठित अप्सरा यंत्र अप्सरा माला , अप्सरा गुटिका और अप्सरा मुद्रिका भी अप्सरा साधना विधि : साधना करने के लिए आप एकांत स्थान चुन सकते वह वह उत्तम रहेगा. उस स्थान पर जाकर आप सफ़ेद वस्त्र बिछा लें और पीले चावल का इस्तेमाल करके एक यंत्र का निर्माण कर लें. उसके बाद ऐसे वस्त्र धारण कर लें जो सुगन्धित हो और उस पर इत्र लगा लें. इसके बाद एक मखमल का आसन लगा लें. इसका मुख उत्तर दिशा की तरफ कर लें. जो यंत्र अपने बनाया है उसका पंचोपकर पूजन कर लें और जिस कमरे में आप बैठे है उसमे गुलाब के इत्र का प्रयोग कर लें. अपने आस पास ऐसा माहौल बना लें कि चारो और से महक आती रहे. इसके बाद गुरु गणपति का धयन करें और स्फटिक मणिमाला का मंत्र के साथ 108 माला जाप कर लें. यह आपको आधी रात के समय में करना है. यह आप किसी भी महीने में कर सकते है लेकिन इसको केवल शुक्रवार के दिन ही करने से सफलता मिलती है. इसके अलावा अगर चन्द्र ग्रहण के समय करने से भी अपर सफलता प्राप्त की जा सकती है. जब आपका जाप पूरा हो जाये तो उसी जगह पर सो जाएँ. अगर आप कुछ दिन की साधना कर लें तो आप स्वयं ही महसूस कर सकते है इस साधना का प्रभाव. एकदम से पुरे कमरे में जहाँ आप जप कर रहे होते है उसमे खुशबू फ़ैल जाएगी. इसके अलावा घुंगरू की आवाज़े भी आपको सुनाई देंगी. #apsarasadhna
3 سال پیش در تاریخ 1400/08/18 منتشر شده است.
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