Death of the fifth Abbasid Caliph Harun - al-Rashid 24 March 809.खलीफा के आखिरी दिन
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खलीफा का आखिरी दिन
खलीफा का आखिरी दिन
समरकंद में रफी इब्न अल-लेथ की आशंका में एक बड़ा बगावत शुरू हुयी। जो हारुन अल-रशीद को खुरासान मुंतकिल होने पर मजबूर किया। उन्होंने सबसे पहले अली ईसा मसीह महान को हटा दिया और गिरफ्तार कर लिया, लेकिन बगावत बेकाबू ही कर रहे हैं। हारुन ने अली को बतरफ कर दिया था और उनकी जगह हरथामा इब्न अयान का नेतृत्व किया था, और 808 में बागी रफ़ी इब्न अल-लेथ से निपटने के लिए खुद मशरिक की ओर कूच किया था, लेकिन मार्च 809 में तुस में बने रहे वो खुद ही अपनी बीमारी के कारण इंटक कर गए। उन्हें खुरासान के अब्बासिद गवर्नर हुमायद इब्न कहतबा के समर पैलेस दार अल-इमारा में बोल्ड किया गया। इस तारीखी वाक्य की वजह से दार अल-इमराह को हारुन के मकबरे के नाम से जाना जाता था, लेकिन 818 में इमाम अल-रिज़ा की शाहदत की वजह से यह मक़ाम बाद में मशहद (शाहदत की जगह) के नाम से मशहूर हुआ।
खलीफा बनने से पहले हारून ने 782 ई. में अपने वालिदा के दौर-ए-हुकूमत में बोस्फोरस में बीजान्टिन्यों पर फतह के बाद खूब नाम कमाया था। इस शानदार स्थिति के बाद खलीफा अल-मेहदी के दिल में अपने बेटे हारुन के लिए इस कदर रिश्ते पैदा हुयी के उन्होंने हारून को मूसा-अल-हदी के बाद अपने खिलाफ का जानशीन नामजद कर दिया, और साथ ही उन्हें अल-रशीद के लक़ब से नवाजा गया जिसका मतलब होता है सही रहनुमाई करने वाला इस तरह वह 16 साल की छोटी सी उम्र में खिलाफत के वलीअहद बन गए उन्हें शाम (सीरिया) से अजरबैजान तक सल्तनत के मगरिबी इलाके पर हुकूमत करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
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Regards
Voice: @mdakhlaque779
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खलीफा बनने से पहले हारून ने 782 ई. में अपने वालिदा के दौर-ए-हुकूमत में बोस्फोरस में बीजान्टिन्यों पर फतह के बाद खूब नाम कमाया था। इस शानदार स्थिति के बाद खलीफा अल-मेहदी के दिल में अपने बेटे हारुन के लिए इस कदर रिश्ते पैदा हुयी के उन्होंने हारून को मूसा-अल-हदी के बाद अपने खिलाफ का जानशीन नामजद कर दिया, और साथ ही उन्हें अल-रशीद के लक़ब से नवाजा गया जिसका मतलब होता है सही रहनुमाई करने वाला इस तरह वह 16 साल की छोटी सी उम्र में खिलाफत के वलीअहद बन गए उन्हें शाम (सीरिया) से अजरबैजान तक सल्तनत के मगरिबी इलाके पर हुकूमत करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
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در تاریخ 1402/01/04 منتشر شده
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