बच्चा कौन है ? किसका है ? कहां से आया ? I रविन्द्रनाथ टैगौर की कहानी I Rabindranath Tagore's story I

Sunil Batta Films
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14.7 هزار بار بازدید - پارسال - Channel- Sunil Batta Films Rabindranath
Channel- Sunil Batta Films
Rabindranath Tagore Story "Bhikharin"
Tagore began his career in short stories in 1877—when he was only sixteen—with "Bhikharini" ("The Beggar Woman")
रविन्द्रनाथ टैगौर की कहानी " भिखारिन "
Produced by Sunil Batta, Directed by- Sunil Batta & Mohd. Faisal Riaz, Story- Rabindranath Tagore , Screen Play- Pradeep Srivastava, Music-Krishan Swaroop, Camera-Chandreshwar Singh Shanti, Graphics & Background Music- M Faisal Riaz, Production Controller- Shahwaz Hussain, Production Manager- Puneet Pandey,Editors-Mohd Faisal Riaz,Vijay Diwaker, Costume- Nizam Hussain, Play-back singer- Swati Rizvi, Light- Guddu Verma, Asst. Director- Prachi Srivastava, Vinay Agrahari, Camera Asst.- Runak Pal,Kuldeep Shukla, Cast- Noor Ahmed Tuba, Asifa Zaman, Faiz Khan, Nizam Hussain, Shahnawaz Hussain, Aakash Balmiki, Puneet Pandey, Simran Nisha.


Synopsis of the Film- यह इसका रोज का नियम है……मंदिर के द्वार पर खड़े रहना और श्रद्धालुओं के आगे हाथ फैलाकर विनती करना……बाबू……अन्धी पर कुछ दया हो जाए यह ……जानती है कि मंदिर में आने वाले नेकदिल और श्रद्धालु हुआ करते हैंइस……का यह अनुमान असत्य भी नहीं है……आने-जाने वाले दो-चार पैसे इसके हाथ पर रख ही देते हैं अन्धी……उनको दुआएं देती और उनकी भलमनसाहत को सराहती……स्त्रियां भी इसके पल्ले में थोड़ा बहुत अनाज डाल जाया करती है……इसी वजह से सालों साल से चल रहे इस नियम से मंदिर की चैखट पर आने वाली यह अंधी भिखारिन पार्वती कभी निराश नहीं लौटी……इसके लिए तो ईश्वर ना जाने कितने रुपों में आकर इसकी खाली झोली भरता है……झोपड़ी के समीप पहुंचते ही एक दस वर्ष का लड़का उछलता कूदता आता और इस अंधी भिखारिन से चिपट जाता……अंधी टटोलकर उसके मस्तक को चूमती……यह बच्चा कौन है ? किसका है ? कहां से आया ? इस बात से कोई परिचित नहीं…… हाँ पांच वर्ष पहले तक तो पास-पड़ोस वालों ने पार्वती को अकेला ही देखा था……एकाएक उन्हीं दिनों एक दिन संध्या समय लोगों ने इसकी गोद में एक बच्चा देखा……वह रो रहा था……अन्धी पार्वती उसका मुख चूम-चूम कर उसे चुप कराने का प्रयत्न कर रही थी…यह कोई असाधारण घटना न थी अतः किसी ने भी न पूछा……कि बच्चा किसका है……उसी दिन से यह बच्चा अन्धी के पास है और प्रसन्न है……पार्वती बच्चे को अपने से अच्छा खिलाती है और पहनाती है अब दोनों माँ बेटा खुश है……अन्धी ने अपनी झोपड़ी में एक हांडी छुपा रखी थी……सुबह से शाम तक जो कुछ मांगकर लाती……उसमें डाल देती……वह उसे सब से छिपाकर रखती कि कहीं किसी दूसरे व्यक्ति की दृष्टि उस पर न पड़े……खाने के लिए अन्न काफी मिल जाता था……उससे काम चलाती……पहले बच्चे को पेट भरकर खिलाती……फिर स्वयं खाती रात में बच्चे ……को अपने वक्ष से लगाकर सो जाती……प्रातःकाल होते ही बच्चे को खिला-पिलाकर फिर मन्दिर के द्वार पर जा खड़ी होती……काशी के सेठ बनारसी दास बहुत प्रसिद्ध व्यक्ति हैं……बच्चा-बच्चा इनकी कोठी से परिचित है……वह बहुत बड़े देशभक्त और धर्मात्मा हैं……धर्म में इनकी बड़ी रूचि है……दिन के बारह बजे तक सेठ स्नान-ध्यान में संलग्न रहते……कोठी पर हर समय भीड़ लगी रहती……कर्ज के इच्छुक तो आते ही थे……परन्तु ऐसे व्यक्तियों का भी तांता बंधा रहता जो अपनी जमा पूंजी सेठजी के पास धरोहर के रूप में रखने आते……सैकड़ों भिखारी भी अपनी जमा-पूंजी इन्हीं सेठजी के पास जमा कर जाते……अन्धी को भी यह बात ज्ञात थी……किन्तु पता नहीं अब तक वह अपनी कमाई……यहां जमा कराने से क्यों हिचकती रही……उसके पास काफी रुपए हो गए थे……हांडी लगभग पूरी भर गयी थी……अब उसे शंका थी कि कहीं कोई इसे चुरा न ले……अगले दिन सुबह अन्धी वह हांडी अपने फटे हुए आंचल में छिपाकर सेठजी को कोठी पर जा पहुँची……छोटी सी दुनिया छोटे से सपने……जहाँ संतोष होता है……वहां सुख होता है और ये ही सुखों की पूँजी पार्वती की धरोहर थी तभी……तो सेठ जी के पास अपनी कमाई जमा करने के बाद वो निश्चित थी वो ही मंदिर का चबूतरा वो ही……झोपड़ी हालांकि…… ये सब कुछ अंधी के लिए एक अंधेरे के सिवा कुछ न था लेकिन उसकी दुनिया तो मोहन से आबाद थी और देखते-देखते 2 बरस कैसे पंख लगा के उड़ गए और फिर….....रविन्द्रनाथ टैगौर की कहानी " भिखारिन "

রবীন্দ্রনাথ ঠাকুরের জন্ম হয় ৭ই মে ১৮৬১ সালে, পশ্চিমবঙ্গের কোলকাতা শহরে অবস্থিত জোড়াসাঁকো ঠাকুরবাড়িতে | তাঁর বাবার নাম ছিলো মহর্ষি দেবেন্দ্রনাথ ঠাকুর, যিনি কিনা ব্রাহ্মসমাজের একজন ধর্মগুরু ছিলেন এবং তাঁর মায়ের ছিলো নাম সারদাসুন্দরী দেবী |
বাংলা সাহিত্য জগতে সর্বশ্রেষ্ঠ বলে যদি কেউ থেকে থাকেন তাহলে সেটা অবশ্যই আমাদের সকলের প্রিয় রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর | তাঁর লেখা অসাধারণ সব কবিতা ও গান, আজও প্রত্যেকটা বাঙালীর সমানভাবে মন কাঁড়ে | তিনি শুধু একজন শ্রেষ্ঠ গল্পকারই ছিলেন না, সেইসাথে ছিলেন একজন ঔপন্যাসিক, সংগীতস্রষ্টা, নাট্যকার, দেনাপাওনা, প্রাবন্ধিক, অভিনেতা, কণ্ঠশিল্পী ও দার্শনিকও |

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پارسال در تاریخ 1402/02/09 منتشر شده است.
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