लालची बगुला | बगुला और केकड़ा | Crane and the Crab in Hindi | Hindi Fairy Tales

Happy Toons - Hindi Stories
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1.5 میلیون بار بازدید - 6 سال پیش - बगुला और केकड़ा | लालची
बगुला और केकड़ा | लालची बगुला | Crane and the Crab in Hindi | Hindi Fairy Tales

किसी झील के किनारे एक बगुला रहता था | वह इतना बुढा और कमजोर हो चुका था कि अपना आहार भी नहीं खोज पाता था | मछलियां उसके नज़दीक से गुजर जाती थी लेकिन जल में गर्दन डाल कर उन्हें पकड़ने की शक्ति भी उस में नहीं थी | इसी कारण कई-कई दिनों तक उसे भूखा रहना पड़ता था |
एक दिन झील के किनारे खड़ा होकर वह बुरी तरह से रोने लगा, उसकी आंखों से आंसू बह कर जमीन पर गिरने लगे | उसे इस प्रकार रोता हुआ देखकर एक केकड़ा उसके पास पहुंचा और सहानुभूति पूर्वक उससे पूछा – “बगुला भाई तुम रो क्यों रहे हो?” | बगुला बोला – “दोस्त, मैंने जीवन में अनेक प्रकार के पाप किए हैं, अब जब इस बात का ज्ञान हुआ है तो मैंने निश्चय किया है कि अपने प्राणों की आहुति दे दूं इसलिए आज मैं नजदीक आई मछलियों को भी नहीं पकड़ रहा हूं, इसके अलावा एक और चिंता जनक बात है” |
केकडे ने पूछा – “कौन सी बात है मित्र, जल्दी बोलो?” |
बगुला बोला – “मुझे एक ज्योतिषी ने बताया है कि इस बार 12 साल तक वर्षा का योग नहीं है और बिना जल के हमारा जीवन कैसे बचेगा? यह झील तो कुछ समय के बाद सूखने लगेगी, ऐसे में जल में रहने वाले प्राणी जो भूमि पर चलने में सक्षम है, वह तो यहां से कुछ दूर एक बहुत बड़े सरोवर में चले जाएंगे लेकिन तुम्हारे जैसे छोटे-छोटे जीव और मछलियों का क्या होगा? वह तो बेचारी सारी की सारी मर जाएगी, मैं बस इसी चिंता में घुला जा रहा हूं इसलिए मैंने खाना पीना भी छोड़ दिया है” |
बगुले की बातें सुनकर केकड़ा भी चिंता में पड़ गया और उसे अपने जीवन की चिंता सताने लगी | केकड़े ने जब यह बात अपने जलचरों को बताई तो वह सभी चिंतित हो बगुले के पास पहुंचे और उससे पूछा _ “भाई! क्या किसी उपाय से हमारे प्राणों की रक्षा हो सकती है? |
उनकी बातें सुनकर बगुला बोला – “यहां से कुछ दूर एक बहुत बड़ा सरोवर है, उसका पानी कभी सूखता नहीं | अगर 24 सालों तक भी बारिश ना हो तब भी उस सरोवर का जल समाप्त नहीं होने वाला | वह बहुत ही गहरा सरोवर है, यदि सारे जलचर उसमें चले जाए तो उनका जीवन बच जाएगा अन्यथा सभी तड़प तड़प कर मर जाएंगे” |
यह सुनकर मछलियां उदास हो गई और बोली – “तब तो हमारी मृत्यु निश्चित है, हमारे तो पैर ही नहीं है, जिन से चलकर वहां तक पहुंच सके” | किसी ने बगुले से पूछा – “बगुले भाई, क्या कोई ऐसा उपाय जिससे हम सबका जीवन बचा जाए?”
बगुला बोला – “उपाय तो है और वह उपाय यह है कि तुम में से एक जलचर प्रतिदिन मेरी पीठ पर बैठ जाए और मैं उसे ले जा कर उस सरोवर में छोड़ आऊंगा, इस तरह से एक-एक करके सब दूसरे सरोवर में पहुंच जाएंगे” | मछलियों ने बोला – “तब मेहरबानी करके आप हमें उस दूसरे सरोवर में छोड़ आइए, हम आपका बहुत आभार मानेंगी” |
उस दिन से वह बगला रोज एक मछली अपनी पीठ पर बैठा कर ले जाता और कुछ दूर जाने पर एक पत्थर के टुकड़े पर जा बैठता, मछली को शिलाखंड पर पटक पटक कर मार डालता और उसे खा जाता | मछलियां खा-खाकर बगुला खूब हष्ट पुष्ट हो गया |
एक दिन केकडे ने उस बगुले से कहा – “मित्र बगुला, सबसे पहले मैं ही तुमसे मिला था, लेकिन तुम अन्य वन्यजीव को तो उस सरोवर में ले जा रहे हो किंतु मेरी उपेक्षा कर रहे हो, कृपया करके आज मुझे उस सरोवर में छोड़ आओ” | बगुला मछलियां खा-खाकर उब चुका था | उसने सोचा कि स्वाद बदलने के लिए आज यह केकड़ा ही ठीक रहेगा | ऐसा सोचकर उसने केकड़े को अपनी पीठ पर बैठा लिया और दूर उड़ चला |
रोज की तरह ही वह केकड़े को पत्थर के टुकड़े पर ले जाकर बैठ गया | यह देखकर केकड़ा आशंकित हो उठा और उसने बगुले से पूछा – “मित्र बगुला, कितनी दूर है वह सरोवर” | अब बगुले ने सोचा कि इसे सच बता ही देना चाहिए क्योंकि थोड़ी देर में तो यह मर ही जाएगा |
केकड़े की बात सुनकर वह हंसा और बोला – “अरे कैसा सरोवर, अरे मूर्ख यहां कोई भी सरोवर नहीं है | यह तो तुम लोगों को लाने के लिए मेरी एक चाल थी” | बगुले की बातें सुनकर केकड़ा सन्न रह गया, उसने नीचे झांका तो उसे बगले द्वारा लाई गई मछलियों के अवशेष भूमि पर पड़े हुए दिखाई दिए |
वह केकड़ा अब अपनी जान बचाने के लिए तैयार हो गया | अब केकड़े से बगुले ने कहाँ – “ऐ केकड़े, अपने भगवान को याद कर ले क्योंकि मैं तेरा जीवन छिनने जा रहा हूं” |
बगुले का इतना कहना था कि केकड़ा उसकी गर्दन से चिपक गया उसने अपने तेज दांत और पंजे बगुले की नर्म गर्दन में गड़ा दिए और तब तक बकरे की गर्दन दबाता रहा जब तक बगुले के प्राण का अंत ना हो गया |
अब बगुले के मरने के बाद वह केकड़ा किसी प्रकार सरकता हुआ अपने सरोवर में जा पहुंचा | उसे वापस आया देखकर मछलियों ने उससे पूछा कि – “केकड़ा भाई, तुम तो आज नए सरोवर के लिए गए थे,  वापस क्यों लौट आए?” |
केकड़ा बोला – “कैसा सरोवर? और कैसा सुखा? यह तो उस धूर्त बदले की एक चाल थी” | यह कहकर उसने मछलियों को सारी बातें बता दी, साथ ही यह भी बता दिया कि मैंने उस बगुले को मार डाला है |
सारे जलचर यह बात सुनकर बहुत प्रसन्न हो उठे और केकड़े को धन्यवाद देने लगे जिस की बुद्धिमानी के कारण आज वह मरने से बच गए थे | मछलियां बोली – “अच्छा हुआ, उस धूर्त बगुले को दंड मिल गया और वह मर गया, अब हम निश्चिंत होकर आनंदपूर्वक अपना जीवन बिताएंगे” |
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें आंखें मूंद कर किसी की बात पर विश्वास नहीं कर लेना चाहिए क्योंकि कभी-कभी भेड़ की खाल में भेड़िए भी छुपे रहते हैं |

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6 سال پیش در تاریخ 1397/10/15 منتشر شده است.
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