शंख कैसे बनता है ? Shankh kaise bante hain? how a conch shell is formed ? Adventure Videos In Hindi

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487.8 هزار بار بازدید - 4 سال پیش - प्रकृति की एक अनमोल रचना
प्रकृति की एक अनमोल रचना है पृथ्वी पर स्थित विशाल महासागर |
जिन की गहराइयों में कई प्राकृतिक और मूल्यवान संपदाओं का भण्डार स्थित है |


जिनमें समुद्री नमक,
गोमती चक्र,
कौड़ियां,
शिवलिंग,
शालिग्राम,
मणि ,
नग ,
शैवाल ,
सिवार ,
मोती ,
मूंगा ,
रंग-बिरंगे पत्थर
तथा आत्मरत्न इत्यादि का समावेश है |

इनमें से ही मंदिरों में पूजन तथा आरती के दौरान बजने वाले शंख की आवाज़ तो आपने सुनी ही होगी |      

समुद्र के किनारे की रेत में प्रायः आपने छोटे,
बड़े तथा कई प्रकार के  शंख और  सीपियाँ भी ज़रूर देखे होंगे | इनमें से कुछ शंखों को देखने के लिए तो  सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता पड़ती है ,
तो कुछ के आकार ३  से ४ फुट तक दीर्घरूपी होते हैं |

तो आइये जानते हैं शंख कैसे निर्मित होते हैं |


दैनिक जीवन में हम जिस शंख का उपयोग करते हैं वह शंख प्लास्टिक, धातु  या पत्थर से नहीं  बनता |     ना  ही यह कोई मानव निर्मित वस्तु है  |  दरअसल यह शंख  एक बिना रीढ़ के समुद्री जीव मॉलस्क के शरीर के कड़े कवच  होते हैं | जैसे जैसे मॉलस्क के शरीर के आकार विकसित होते हैं , वैसे वैसे ही इनके कवच  भी कठोर और बड़े होने लगते हैं |  ये कवच  चूने से बनते हैं |    क्योंकि मॉलस्क समुद्र से चूने को प्राप्त करते हैं और इसी चूने को  शंख रुपी आकार के रूप में जमा करते चले जाते हैं | ये कवच  कई प्रकार के होते हैं जैसे सीपी ,  कौड़ी  तथा गोमती  चक्र |
जब मॉलस्क की मृत्यु हो जाती है, तो शंख तैरते हुए पानी की सतह पर आ जाते हैं|
जिन्हे  व्यापारी उठाकर एकत्रित कर  लेते हैं और उसकी अच्छी तरह सफाई और पॉलिश करके अच्छे दामों पर बेच देते हैं।

शंख की संरचना |

शंख ३ परतो से बना हुआ होता है | बाहरी परत चिकने पदार्थ से बनी तथा चूनारहित होती है | दूसरी निचली परत चूने की बनी होती है तथा सबसे निचली तीसरी सतह कई हलकी हलकी परतें होती हैं | जो कि सीप की तरह के पदार्थ तथा चूने से बनी हुई होती हैं |

समुद्री जीव मॉलस्क की ६०००० से अधिक प्रजातियां होती हैं जिनके कारण शंख भी विविध प्रकार के होते हैं | ये कई रंगों में उपलब्ध होते हैं | इनपर अलग अलग रंग,  धब्बे और धारियाँ मॉलस्क जीव की ग्रंथियों में उपस्थित कुछ रंग बिरंगे पदार्थों के कारण बन जाती हैं |  जिनके कारण शंखों की सुंदरता और भी बढ़ जाती है |

शंख के उपयोग
शंख मॉलस्क जीवों की रक्षा तो करते ही हैं पर इसके अलावा ये अन्य प्रकार से भी उपयोगी हैं |
हिन्दू धर्म  के अनुसार मंदिरों तथा घरों में पूजन तथा आरती के समय शंख बजाना शुभ माना जाता है |
प्राचीन काल में शंख तथा कौड़ियों का उपयोग मुद्रा के रूप में किया जाता था | आज के समय में शंखों से गले के हार तथा छोटी छोटी सीपों से बटन बनाएं जाते हैं |  इन्ही शंखों , सीपियों , और गोमती चक्रों का  घरों की सजावट की वस्तुयें  जैसे तोरण तथा झूमर इत्यादि बनाने में भी बड़े पैमाने पर उपयोग  होता है |



शंख बजाने के वैज्ञानिक लाभ |


शंख बजाते वक्त हमें काफी ताकत की जरूरत पढ़ती है। जिसकी वजह से फेफड़ों की अच्‍छी एक्‍सरसाइज हो जाती है। अगर आप हर दिन शंख फूंकते हैं तो ये काफी अच्छा माना जाता है | इससे चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र से जुड़ी परेशानियों में लाभ मिलता है।
इससे आपको गले और फेफड़ों के कोई रोग नही होंगे। इतना ही नही शंख फूंकने से यादाश्त भी काफी अच्छी रहती है। शंख फूंकने से फेफड़ों के माध्यम से दूषित हवा बाहर निकल जाती है जिसकी वजह से शरीर को एक अलग सी ऊर्जा मिलती है। गुर्दे की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। रोजाना कुछ देर शंख बजाने या शंख की ध्वनि सुनने से दिल की बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है।। वैज्ञानिकों का मानना है कि शंख की आवाज से वातावरण में मौजूद कई तरह के जीवाणुओं तथा कीटाणुओं का नाश हो जाता है।
4 سال پیش در تاریخ 1399/05/29 منتشر شده است.
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